DNA Analysis: DNA में अब हम आपके लिए एक नये युद्ध का विश्लेषण करेंगे. एशिया में हर दिन युद्ध हो रहा है. एक जंग रुकती है तो दूसरी जंग शुरू हो जाती है. ईरान और इजरायल के बीच युद्ध रुका तो अब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्ध शुरू हो गया. कल रात, थाईलैंड ने कंबोडिया पर एयर स्ट्राइक कर दी. दोनों देशों में कौन कितना ताकतवर है. किसकी जीत की संभावना ज्यादा है. ये हम आपको विस्तार से बताएंगे. लेकिन ये बात जो कही जा रही है कि दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह एक हिंदू मंदिर है. ये कितना सच है? इसका जवाब आपको हमारा विश्लेषण पढ़ने के बाद ही मिलेगा.
23 जनवरी यानी बुधवार को देर शाम थाईलैंड की एयरफोर्स ने कंबोडिया के एक सैन्य बेस पर हमला कर दिया. इन हमलों के लिए थाईलैंड की एयरफोर्स ने F-16 विमानों का इस्तेमाल किया था. थाईलैंड की बमबारी में कंबोडिया का सैन्य बेस तकरीबन पूरी तरह तबाह हो गया है. हमले के जवाब में आज सुबह कंबोडिया ने भी लंबी दूरी की मिसाइलों से थाईलैंड पर हमला किया है. कंबोडिया की फौज ने भारी तोप और टैंक भी थाईलैंड बॉर्डर की तरफ रवाना कर दिए हैं.
#DNA | थाईलैंड-कंबोडिया में युद्ध की वजह ‘दो मंदिर’, ‘एक युद्ध खत्म, दूसरा शुरू’ दुनिया ऐसे चलेगी?
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— Zee News (@ZeeNews) July 24, 2025
कंबोडिया के रॉकेट अटैक का निशाना एक अस्पताल और एक बड़ा पेट्रोल पंप बना है. अस्पताल पर हमले में 11 लोगों की मौत हो गई है. जबकि पेट्रोल पंप पर दागे गए रॉकेट्स की वजह से थाईलैंड बॉर्डर की तरफ जाने वाला एक हाईवे पूरी तरह बाधित हो गया है. आखिर थाईलैंड और कंबोडिया ने एक दूसरे की ताकत को तोलने के लिए भारी हथियारों का इस्तेमाल क्यों किया. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच किस विवाद ने युद्ध की शक्ल ले ली. इन सवालों का जवाब समझने के लिए आपको DNA की WAR REPORT अच्छे से पढ़नी चाहिए.
थाईलैंड और कंबोडिया के बॉर्डर से लगातार ऐसी ही तस्वीरें सामने आ रही हैं. दोनों देशों की फौज एक दूसरे पर बारूद की बरसात कर रही है. लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस बारूदी शोर के पीछे वजह हैं.
इन दो मंदिरों के नाम हैं प्रिय विहार मंदिर और तां माओ मंदिर. 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच बने ये दोनों मंदिर भगवान शिव के हैं. ये दोनों ही मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया के बॉर्डर पर स्थित हैं. और बॉर्डर के इसी हिस्से को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से विवाद है.
थाईलैंड कंबोडिया बॉर्डर के इस हिस्से पर जून 2025 में तनाव बढ़ गया था. जब कंबोडिया की एक सैन्य टुकड़ी ने मंदिर परिसर के अंदर जाकर कंबोडिया का राष्ट्रगान गाया था. उस वक्त थाईलैंड की फौज ने कंबोडियाई टुकड़ी को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था. लेकिन जब अधिकारिक तौर पर कंबोडियाई सरकार ने भूमि विवाद का मुद्दा उठाया तो थाईलैंड ने हवाई बमबारी से जवाब दिया.
थाईलैंड की वायुसेना के इस एक्शन की वजह से अब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुआ टकराव एक बड़े युद्ध में बदलता नजर आ रहा है. खासकर सीमावर्ती इलाकों में दोनों देशों की सेनाओं ने लगातार बमबारी जारी रखी है. कंबोडियाई फौज ने थाईलैंड के कुछ शहरों पर लंबी दूरी के रॉकेट भी दागे हैं. सबसे पहले आप उन इलाकों को देखिए और समझिए, जहां थाईलैंड और कंबोडिया के बीच टकराव तेज हुआ है.
किस तरफ कितनी मौतें
थाईलैंड के सुरीन, सीसाकेट और उबोन प्रांत के बॉर्डर्स पर लगातार फायरिंग चल रही है. थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 24 घंटों में हमलों की वजह से 32 नागरिकों की मौत हो चुकी है. जबकि कंबोडिया के 25 से 30 सैनिकों के मारे जाने की खबर है. कंबोडिया और थाईलैंड के बीच ऐसा ही बारूदी टकराव आज से 17 साल पहले भी हुआ था. तब भी सीमा पर स्थित इन्हीं दो हिंदू मंदिरों पर अधिकार की वजह से. दोनों देशों ने एक छोटा युद्ध लड़ा था.
साल 2008 में हुए टकराव में कंबोडिया के 19 और थाईलैंड के 16 सैनिक मारे गए थे. जबकि कंबोडिया के तीन और थाईलैंड के दो नागरिकों ने गोलाबारी की चपेट में आने की वजह से जान गंवा दी थी. आज एक बार फिर ये दोनों देश आमने सामने हैं. लेकिन इस बार फर्क हथियारों की क्षमता का है. थाईलैंड ने पहले ही हमले में एयरफोर्स का इस्तेमाल किया है, जो बताता है कि थाईलैंड इस विवाद में खुद को ऊपर साबित करना चाहता है. जबकि कंबोडिया ने भी ग्रैड जैसे लंबी दूरी के रॉकेट दागे हैं. जो इशारा देता है कि कंबोडियाई सरकार भी पीछे हटने के लिए राजी नही हैं.
जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अलर्ट मोड में क्यों है?
पूर्वी एशिया में पहले ही चीन और ताइवान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है. उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग की वजह से जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अलर्ट मोड में हैं. ऐसे में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच टकराव अगर बड़े युद्ध में बदला तो इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता पर खतरा मंडराएगा.
थाईलैंड और कंबोडिया के हथियारों की लिस्ट
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जारी टकराव सिर्फ दो देशों के बीच का तनाव नहीं है. अगर ये टकराव बड़े युद्ध में बदला तो ये हथियारों का टेस्टिंग ग्राउंड बन जाएगा कंबोडिया के पास ज्यादातर हथियार मेड इन चाइना हैं. जबकि थाईलैंड के पास ज्यादातर हथियार अमेरिका के हैं. इस युद्ध का नतीजा बता देगा कि चीन के हथियार बेहतर हैं या फिर अमेरिका के इस आंकलन को समझने के लिए आपको थाईलैंड और कंबोडिया के हथियारों की लिस्ट देखनी चाहिए.
अगर तोपखाने की बात करें तो कंबोडिया के पास चीन की SH 155 mm तोप हैं, जिनकी रेंज 50 से 55 किलोमीटर तक है. जबकि थाईलैंड के पास अमेरिका की M-109 तोप है, जिसकी रेंज 65 किलोमीटर तक है. मिलिट्री हेलीक़ॉप्टर के मामले में कंबोडिया के पास चीन का हार्बिन Z-9 है. जिसे टैंक रोधी क्षमता के लिए जाना जाता है. दूसरी तरफ थाईलैंड के पास अमेरिका में बने BELL और BLACK HAWK हेलीकॉप्टर हैं, जो युद्ध के मैदान में अपनी क्षमता को साबित कर चुके हैं.
ये एक ऐसा सैन्य क्षेत्र है, जहां थाईलैडं के सामने कंबोडिया दूर-दूर तक नहीं टिकता. ये हैं फाइटर जेट्स. थाईलैंड की एयरफोर्स के पास F-16 और GRIPPIN जैसे आधुनिक फाइटर जेट हैं. जबकि कंबोडिया की एयरफोर्स सिर्फ हेलीकॉप्टर्स पर निर्भर है. यानी कंबोडियाई एयरफोर्स के पास फाइटर जेट नहीं हैं.