- ज्यादातर आवेदन 60 से 90 के दशक के, हाल ऐसा कि 1984-85 के रिकॉर्ड भी 90 फीसदी उपलब्ध नहीं
Dainik Bhaskar
Feb 01, 2020, 01:46 AM IST
रायपुर . सीएए और एनअारसी की वजह से लोगों में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों को लेकर चिंता है और नगर निगम का रवैया उस चिंता को और बढ़ाने वाला है। दरअसल अदालत के एक मामले में नगर निगम ने वर्ष 1964, 1965 और 1966 के सारे रजिस्टर और रिकार्ड कचहरी में भेज दिए थे। इसे अब तक निगम वापस नहीं ला सका है। इस वजह से इन तीनों ही वर्षों में जन्मे किसी व्यक्ति को अगर निगम से रिकार्ड चाहिए तो वह नहीं मिलेगा। यही नहीं, मध्यप्रदेश सरकार के जमाने में 1984-85 में एक नियम की वजह से नगर निगम में बर्थ सर्टीफिकेट के लिए भटक रहे लोगों ने दफ्तर में हमला बोलकर दो साल के रजिस्टर फाड़ दिए थे। उसमें से भी 90 फीसदी रिकार्ड गायब है।
राजधानी के लोगों को जरूरत पड़ने पर पुराने जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र नगर निगम के तब के रिकार्ड के अाधार पर ही मिलेंगे। निगम का दावा है कि उसके पास 1901 से अब तक के सारे रिकार्ड हैं। इस दावे में कितनी सच्चाई है, यह जानने के लिए भास्कर ने जांच की तो पता चला कि कुछ रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं हैं। और जो उपलब्ध हैं, उनमें से पुराने दस्तावेजों की हालत ठीक नहीं है। इसी जांच में खुलासा हुअा कि 1996 में नगर निगम की जन्म-मृत्यु शाखा से फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट जारी होने के मामले में अदालत ने 1964,65 और 66 के सारे रिकार्ड बुलवा लिए थे। निगम की ओर से सभी रजिस्टर अदालत में भेजे भी गए, लेकिन वापस लाने की कोशिश ही नहीं हुई। माना जा रहा है कि ये अब भी कोर्ट के मालखाने में ही होंगे। यहां तक कि निगम अफसरों को यह भी नहीं पता कि अदालत में मामला चल भी रहा है या नहीं।
एजेंटों ने भी करवा दी छेड़छाड़ : भास्कर टीम ने लगातार एक हफ्ते तक इसकी पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली और भी बातें सामने आई। एक कर्माचारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि डिजिटल सिस्टम आने से पहले निगम में पहले जन्म प्रमाण पत्र जारी करवाने के काम में एजेंट भी सक्रिय थे। इनमें से कुछ इतने प्रभावशाली हो गए कि दस्तावेजों में छेड़छाड़ भी करवा दी। रजिस्टरों के पन्नों को भी इधर-उधर किया गया, यहां तक कि नष्ट तक कर दिया गया. बार-बार बाइंडिंग भी करवाई जाती थी, इससे रजिस्टर और उनके रिकार्ड खराब होते रहे।
सीएए से पहले
- 2018 में 21500 जन्म प्रमाणपत्र जारी हुए। आवेदन 20430 थे।
- 2019 में करीब 22 हजार अावेदन अाए। इनमें 20634 जारी हुए
सीएए के बाद
- 2019 में अक्टूबर से अब तक साढ़े 9 हजार आवेदन। 7148 सर्टीफिकेट जारी।
रीकाॅल: भीड़ ने रिकार्ड ऐसे फाड़े कि किनके सुरक्षित किनके नहीं, बताना कठिन
अविभाजित मध्यप्रदेश में 1984-85 के दौरान जब तत्कालीन सरकार ने विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए बर्थ सर्टिफिकेट को अनिवार्य किया, तब निगम के मालवीय रोड स्थित दफ्तर में कई हफ्तों तक लोगों की भीड़ लग रही थी। इसे संभालना निगम अमले के लिए मुश्किल हो गया था। लोगों के हुजूम ने अलमारियों में रखे दस्तावेजों पर धावा तक बोल दिया था। अपने नाम ढूंढने लोग रजिस्टर के पन्ने तक फाड़ने लगे थे। इस आपाधापी में बहुत सारा रिकार्ड बर्बाद हो गया, जिसे बाद में एकत्र नहीं किया जा सका। इसलिए भी ये बता पाना आज भी मुश्किल है कि लाखों की आबादी वाले रायपुर में कितने लोगों के रिकार्ड सुरक्षित हैं और कितनों के नहीं?
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