- उन्होने कहा- कांग्रेस को परिपक्व विपक्ष की भूमिका निभाना नहीं आता, भाजपा से सीखें मर्यादित आचरण
- राज करने के लिए कांग्रेस का धर्म अलग और राज पाने के लिए अलग
Dainik Bhaskar
Feb 29, 2020, 10:46 PM IST
रायपुर । भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राजधानी रायपुर पहुंचे। यहां मीडिया से चर्चा में सुधांशु त्रिवेदी ने सीएए, दिल्ली हिंसा और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहां कि सोनिया गांधी राजधर्म की बात कर रही हैं। उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि जब उनका राज था, तब धर्म क्या था? असम के मुख्यमंत्री, राजस्थान के मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री तो हूबहू यही कह रहे थे जो सीएए में कहा गया है। नवंबर 1947 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का प्रस्ताव और सितंबर 1947 में महात्मा गांधी का वक्तत्व है, हमने तो सबकुछ वही किया है। हम तो अपनी बात पर कायम हैं, पर ऐसा लगता है कि आपका धर्म राज में कुछ और राज पाने के लिए कुछ और हो जाता है।
त्रिवेदी ने कहा कि एक दौर था जब कांग्रेस कहती थी कि सरकार चलाना सिर्फ उन्हें आता है, लेकिन पिछले एक दशक में देश की जनता ने जवाब दे दिया है कि सरकार चलाना किसे आता है या नहीं, लेकिन एक बात वे कहना चाहते हैं कि कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही, विपक्ष में नहीं रही, इसलिए उन्हें परिपक्व विपक्ष की भूमिका निभाना नहीं आता। उन्हें भाजपा से मर्यादित आचरण सीखना चाहिए।
कांग्रेस ने एक बार शांति और संयम की बात नहीं कही
दिल्ली की घटना के संबंध में भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इसके लिए वे जिम्मेदार हैं, जो आज तक ये नहीं बता पाए कि सीएए के कौन से प्रावधान और कौन सा शब्द भारत के किसी नागरिक की नागरिकता ले सकता है। इसके बावजूद उकसावे की कार्रवाई करते रहे। दूसरे वो लोग जिम्मेदार हैं, जिन्होंने आज तक संयम की अपील नहीं की। त्रिवेदी ने कहा कि दिल्ली में हमारी सिर्फ 8 सीटें हैं। जिनकी 62 सीटें आईं, वे चुनाव परिणाम से 12 घंटे पहले चुनाव आयोग पर प्रश्नचिह्न लगा रहे थे, इसलिए उनका मानना है कि सरकार की संवैधानिक संस्थाओं के ऊपर राजनैतिक कारणों से और राजनैतिक पूर्वाग्रह के आधार ऊपर आक्षेप करने के बजाय व्यवस्था के अनुसार तर्कसंगत उत्तर देना चाहिए।
त्रिवेदी ने सीएए पर हो रहे आंदोलन पर बोलते हुए कहा कि भारत के इतिहास में अनेक आंदोलन हुए मगर सीएए का आंदोलन सबसे विचित्र है। हर आंदोलन में एक प्रतिनिधि होता है। एक मांग होती है। अन्ना आंदोलन में एक कमेटी बनी थी जिसके संयोजक अरविंद केजरीवाल थे, आज तक अपने को वे संयोजक ही कहते हैं। उनकी बिंदूवार मांगें थी। श्रीराम जन्मभूमि न्यास और तथाकथित बाबरी मस्जिद की भी समिति थी। सबकी अपनी अपनी मांगें थीं। आपातकाल के दौरान आंदोलन में जयप्रकाश नारायण संयोजक थे। उनकी मांगें थी। यहां तो विचित्र स्थिति है। न कोई प्रतिनिधि है और न कोई मांग है। एक कहावत है कि खत का मजमून भांप लेते हैं लिफाफा देखकर। यहां तो एनआरसी के नाम पर जो बवाल कर रहे हैं। जब भारत सरकार सदन में स्पष्ट तौर पर कह चुकी है कोई ड्राफ्ट ही नहीं तो यहां खत को छोड़िए लिफाफा भी नहीं है और मजमून को लेकर यहां बवाल किया जा रहा है।
यह संयोग नहीं प्रयोग था
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 2000 में बिल क्लिंटन की यात्रा के बाद आज तक एक भी अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसी नहीं रही है, जब कश्मीर में कोई न कोई घटना न हुई हो। ये पहली बार ऐसा है जब कश्मीर में कोई घटना नहीं हुई परंतु उसी समय यहां पर इतना तांडव करने से, हम भले ही चुनाव हारे हैं, यह संदेह और अधिक गहरा जाता है कि यह संयोग नहीं, प्रयोग था।
वहीं उन्होने छत्तीसगढ़ में आयर विभाग की कार्रवाई पर सीएम भूपेश बघेल के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि क्या सरकार की अस्थिरता इनकम से जुड़ी हुई है? बता दें कि प्रदेश में कई जगहों पर इनकम टैक्स विभाग द्वारा छापेमार कार्रवाई की जा रही है। कांग्रेस इस पूरे मामले को लेकर काफी उग्र है और वो लगातार बीजेपी की बदले की कार्रवाई से इसे जोड़ रही है।
उन्होने कांग्रेस पर भी हमला किया। उन्होने उल्टा सवाल करते हुए पूछा कि इनकम टैक्स के छापे से राजनीतिक अस्थिरता कैसे आ सकती है?
Source link