- ग्राम पर्रेगुड़ा की घटना, बेटे के साथ बेटी ने कंधा देकर मुक्तिधाम तक पहुंचाया
- थाने में लिखित समझौता होने के बावजूद वृद्धा के अंतिम संस्कार में नहीं दिया साथ
Dainik Bhaskar
Feb 01, 2020, 01:20 PM IST
बालोद. छत्तीसगढ़ के बालोद में ग्राम पर्रेगुड़ा (करहीभदर) में सामाजिक बहिष्कार का दंश नेताम परिवार को भुगतना पड़ा। समाज के लोगों ने मिलउ राम नेताम की मां का निधन हो जाने के बावजूद उनका साथ नहीं दिया। जिसके कारण परिवार के ही लोगों ने कंधा देकर अर्थी को मुक्तिधाम तक पहुंचाया और अंतिम संस्कार किया। समाज के लोगों ने किसी बात के चलते करीब 4 साल पहले परिवार का बहिष्कार कर दिया था।
2016 से झेल रहे बहिष्कार का दंश, थाने में लिखित समझौता हुआ फिर भी नहीं दे रहे साथ
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जानकारी के मुताबिक, रंभा बाई नेताम (90) का बुधवार को निधन हो गया। उनके बेटे मिलऊ राम नेताम ने समाज वालों से कहा कि वे अंतिम संस्कार में साथ चले, लेकिन गोंडवाना समाज व ग्रामीणों ने इंकार कर दिया। इसके बाद गुरुवार को बिना सामाजिक व ग्रामीणों के सहयोग के मिलउ नेताम व उनकी बहन मोतीन, अहिल्याबाई ही अर्थी को कंधा देकर मुक्तिधाम पहुंचे। जहां अंतिम संस्कार किया गया।
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मिलउ नेताम ने बताया कि 2016 में उन्हें समाज के लोगों ने एक बात पर बहिष्कृत कर दिया था। जिसकी शिकायत उन्होंने शासन प्रशासन से भी की थी। जिसके बाद पिछले महीने ही सांकरा परिक्षेत्रीय समाज के पदाधिकारियों ने थाने में लिखित समझौता पत्र दिया था कि हम अब मिलउ के साथ कोई भेदभाव नहीं करेंगे। सामाजिक कार्यों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे। परिक्षेत्रीय स्तर से समाज में मिल जाने के बाद भी गांव वाले उनसे बहिष्कृत जैसा ही बर्ताव कर रहे हैं।
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