- दैनिक भास्कर ने अलग-अलग दिन में किए 25 कॉल, मुश्किल काम कॉल का कनेक्ट होना
- मुंबई- कोलकाता के प्रतिनिधी उठाते हैं फोन, फिर पूछते हैं रायपुर या छत्तीसगढ़ कहां है
Dainik Bhaskar
Feb 16, 2020, 12:05 PM IST
अमिताभ अरुण दुबे, रायपुर. बच्चों की मदद के लिए बनाई गई चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 सेवा को तकनीकी दिक्कतों में बुरी तरह उलझा दिया गया है। अगर आप किसी बच्चे की इमरजेंसी में मदद करना चाहें और हेल्पलाइन पर फोन लगाएं तो आधे से पौन घंटे तो फोन कनेक्ट होने में ही लग जाते हैं। इसकी बड़ी वजह ये है कि अगर आप रायपुर से कॉल करेंगे तो मुंबई या कोलकाता में कॉल रिसीव होगी। लंबे इंतजार के बाद इसे स्थानीय सेंटर से कनेक्ट किया जाएगा। दैनिक भास्कर ने लगातार एक हफ्ते तक अलग-अलग दिन और अलग-अलग समय में ऐसे ही कॉल किए और खुलासा हुआ कि चाइल्ड हेल्पलाइन तुरंत कार्रवाई के मामले में फेल हो गई है।
1.30 बजे कॉल, साढ़े 3 बजे तक 9 फोन, उठाए ही नहीं
भास्कर ने गुरुवार को दोपहर 1.30 बजे 1098 पर कॉल किया, पर किसी ने फोन नहीं उठाया। पौने 3 बजे तक एक-एक कर 9 कॉल किए गए पर फोन नहीं उठा। कहीं लंच की वजह से तो फोन रिसीव नहीं किया जाता, इस संदेह में शनिवार को फिर डेढ़ बजे से साढ़े 3 बजे तक फोन लगाए गए। लेकिन तब भी किसी ने फोन नहीं उठाया।
11.30 बजे कॉल, 35 मिनट में हुई कनेक्ट फिर पूछा रायपुर का पता बताओ
भास्कर ने पिछले बुधवार को सुबह 11.30 बजे चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल किया। टीम ने शास्त्री चौक पर बाल मजदूर की शिकायत दर्ज करवाई। फोन रिसीव करने वाले ने सवालों की झड़ी लगा दी- रायपुर कहां है… शास्त्री चौक कहां है… रायपुर कहां हैं… कौन सी दुकान है वगैरह। फिर कहा कि कॉल रायपुर ट्रांसफर कर रहे हैं। 35 मिनट होल्ड रखा गया, फिर कॉल कनेक्ट हुआ।
12.15 बजे कॉल, 45 मिनट में हुआ कनेक्ट, एक घंटे बाद आया फोन
भास्कर ने रविवार को दोपहर 12.15 बजे कॉल किया तो यह रिसीव हुआ। कहा गया कि बच्चे शिकायत के लिए रायपुर कनेक्ट कर रहे हैं। 45 मिनट तक होल्ड रखने के बाद भी रायपुर से फोन कनेक्ट नहीं हुआ। इसके बाद शिकायतकर्ता से नंबर मांगा गया, तब 1 घंटे बाद रिटर्न कॉल आया।
हर महीने 150 कॉल, बात सुधार की
जानकारों के मुताबिक रायपुर में औसतन हर महीने चाइल्ड हेल्पलाइन सेंटर में 150 कॉल आ रहे हैं। इसमें 40 से 50 कॉल मदद के लिए, 30 से 40 कॉल सूचना देने के लिए आते हैं। तकरीबन 70 से 80 कॉल फर्जी होते हैं। सीआरबी के मुताबिक प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध के 5424 मामले हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पांडेय ने तत्काल कॉल कनेक्ट न हो पाने के बारे में कहा कि यह बड़ी खामी है क्योंकि इस वजह से बच्चों के शोषण को तत्काल रोकना मुश्किल हो जाता है। समय पर मदद संभव नहीं हो पाती। इसके लिए हमने 1098 हेल्पलाइन को पत्र लिखा है। शासन से भी व्यवस्था सुधारने की मांग रखी है।
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