- दर्ज एफआईआर को रद्द करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके बेटे अमित जोगी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी
- पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सरकारी बंगले मरवाही सदन में नौकर ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी
Dainik Bhaskar
Feb 29, 2020, 01:46 AM IST
बिलासपुर. मरवाही सदन में नौकर की आत्महत्या के मामले में खुद पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके बेटे अमित जोगी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट में जस्टिस आरपी शर्मा की कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया।
15 जनवरी को बिलासपुर स्थित पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सरकारी बंगले मरवाही सदन में उनके नौकर कोनी थाना क्षेत्र के ग्राम रमतला निवासी संतोष कौशिक उर्फ मनवा ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। घटना के बाद उसका भाई कृष्ण कुमार कौशिक व अन्य परिजनों ने सिविल लाइन पुलिस के समक्ष दिए बयान में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी उनके बेटे अमित जोगी और बंगले में मौजूद स्टाफ उसपर चोरी का आरोप लगाकर प्रताड़ित कर रहा था। उससे मारपीट भी की गई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जोगी पिता-पुत्र के खिलाफ संतोष कौशिक को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप में अपराध दर्ज कर लिया था।
इस एफआईआर को निरस्त करने की मांग को लेकर अजीत जोगी, अमित जोगी ने हाईकोर्ट में अपने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब आत्महत्या की घटना हुई वे बंगले में नहीं थे। अमित जोगी मुम्बई में थे तथा अजीत जोगी भी बिलासपुर से बाहर थे। राजनैतिक बदले के कारण पुलिस पर दबाव डालकर उनके खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया है। याचिका पर इससे पहले 11 फरवरी को सुनवाई हुई थी। शुक्रवार को इसपर कोर्ट का फैसला आया। शासन की ओर से इसमें उप महाअधिवक्ता मतीन सिद्दिकी ने पैरवी की।
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