Friday, June 27, 2025
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Chhattisgarh News In Hindi : Digital count of Dewangan community running across the country on the lines of NPR, exercise to know population force | एनपीआर की तर्ज पर देशभर में चल रही देवांगन समुदाय की डिजिटल गिनती, जनसंख्या बल जानने की कवायद

  • रायपुर से संचालित हो रहा खास तरह का सर्वे 
  • ब्लड बैंक, राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पहल  

Dainik Bhaskar

Feb 15, 2020, 03:33 PM IST

जॉन राजेश पॉल. रायपुर . देवांगन समाज अपनी संख्या और ताकत का अंदाजा लगाने के लिए नया प्रयोग कर रहा है। वह नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) की तर्ज पर देवांगन पापुलेशन रजिस्टर (डीपीआर) बना रहा है। ताकि इससे वह अपने समाज का जनसंख्या बल तथा राजनीतिक रसूख का अंदाजा लगा सके। इस डिजिटल गिनती के जरिए वह अपने बेरोजगारों, अविवाहितों के बारे में भी जानकारी जमा कर रहा है। उसका दावा है कि देश में करीब सात करोड़ देवांगन हैं। देश में यह डिजिटल जनगणना ऑनलाइन की जा रही है। अब तक राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख लोग रजिस्टर्ड हो चुके हैं। देवांगन समाज का कोई भी व्यक्ति डब्लूडब्लूडब्लू डॉट देवांगन डॉट ओआरजी पर क्लिक करके इस पर रजिस्ट्रेशन करा सकता है। 

यह है डीपीआर 
सर्वे में पूछी जा रही जानकारी के भावी उद्देश्य हैं। सही जानकारी मिलने पर समाज के लिए प्लान बनाए जा सकेंगे। देवांगन समाज के राष्ट्रीय युवा सचिव रायपुर के दान सिंह देवांगन को इस डीपीआर का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण वरोड़े ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा व अभिनेत्री जयाप्रदा भी देवांगन समाज से हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ बुलाने की तैयारी चल रही है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले को नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, शिक्षा, मोबाइल नंबर, फोटो, आधार कार्ड नंबर आदि। पता को लेकर पूछा जा रहा है कि वह किस वार्ड, किस शहर, किस जिले व प्रदेश तथा विधानसभा क्षेत्र का निवासी है। इससे विधानसभावार देवांगनों की संख्या मिलेगी। इससे
राजनीतिक लाभ लिया जा सकेगा।

ब्लड ग्रुप की जानकारी इसलिए मांगी जा रही है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर ब्लड बैंक बनाया जा सके।  यह भी पूछा जा रहा है कि आवेदक के पास कोई राजनीतिक या सामाजिक दायित्व है या नहीं? इससे पालिटिक्स में कितने देवांगन है यह पता लग सकेगा। वैवाहिक स्थिति से अविवाहित युवाओं का डेटा पता लगेगा। उनके लिए योग्य वर-वधु के लिए सम्मेलन आयोजित किए जा सकेंगे। इसलिए फार्म में पति का गोत्र, पत्नी का ससुराल का गोत्र व संतान की संख्या भी इंट्री कराई जा रही है। देवांगनों के पास टू-व्हीलर या फोर व्हीलर है इससे आर्थिक समृद्धि का अनुमान लगाया जाएगा। स्वयं का घर और उसमें शौचालय है या नहीं है, मकान कच्चा है या पक्का या किराए के घर में रहते हैं। यह जानकारी मिलने पर सरकार की मदद से पक्के घर बनाने की योजना शुरू की जाएगी।

पहचान पत्र मिलेंगे
इस डीजिटल सर्वे में जब पूरा फार्म भर दिया जाता है तब  सबमिट पर क्लिक करने का विकल्प आता है। फार्म जमा होने पर उससे एक पहचान पत्र की प्रिंट निकाली जा सकेगी। इस पहचान पत्र के जरिए समाज के किसी भी व्यक्ति को देश में कहीं भी समाज की धर्मशाला में रूम मिल सकेगा। देवांगन अभी 22 राज्यों में हैं। इनमें छत्तीसगढ़ में 28 लाख, ओडिशा में 30 लाख, मध्यप्रदेश में 35 लाख, झारखंड में 15 लाख, उत्तरप्रदेश में 25 लाख, बिहार में 20 लाख, तेलंगाना में 40 लाख, प. बंगाल में 30 लाख, महाराष्ट्र में 40 लाख, कर्नाटक में 30 लाख। इस तरह करीब सात करोड़ देवांगन अनुमानित हैं।

इस तरह के सरनेम हैं देवांगनों के 
छत्तीसगढ़ में देवांगन समाज के अन्य राज्य में सरनेम अलग होते हैं। इसमें देवांग, देवांगर, तरार, मेहर, पद्मशाली, मूदलियार, चेटीयार, कोष्टा, कोसरिया, कोष्टी, ताँती, पटवा, राम, प्रसाद आदि हैं। कर्नाटक का लिंगायत समाज भी देवांगन समाज का ही अंग है। येदियुरप्पा इसी से हैं।  राष्ट्रीय सलाहकार सेवकराम देवांगन ने कहा कि छह महीने में डेटा कलेक्ट करने के बाद इसका वेरीफिकेशन किया जाएगा। मंडल व जिला स्तर के बाद प्रदेश स्तर पर सूची बनेगी। अगर किसी ने फर्जी रजिस्ट्रेशन कराया है तो निरस्त किया जाएगा। जरूरी हुआ तो दोषी के खिलाफ पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई जाएगी।


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