Wednesday, June 25, 2025
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Chhattisgarh News In Hindi : Infant Death In Chhattisgarh’s Balod, Due To Hospital Doctors and Nurses Negligence | नर्स के कहने पर दादी चम्मच से पिला रही थी दूध, सांस की नली में जाने नवजात की मौत

  • मातृ शिशु अस्पताल की घटना :  तबीयत बिगड़ने पर दादी ने बताया तो बोली नर्स- डॉक्टर आएंगे तो देखेंगे
  • 3 दिन पहले ही अस्पताल में स्वस्थ बच्ची का हुआ था जन्म, जमकर हंगामा, अब कलेक्टर से होगी शिकायत 

Dainik Bhaskar

Feb 04, 2020, 11:34 AM IST

बालोद. छत्तीसगढ़ के बालोद में मातृ शिशु अस्पताल में सोमवार को नर्स और डॉक्टरों की लापरवाही के चलते तीन दिन पहली जन्मी नवजात बच्ची की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। परिजनों का आरोप है कि नर्स के कहने पर बच्ची की दादी चम्मच से दूध पिला रही थीं। इसी दौरान दूध उसकी सांस नली में चला गया। इस पर उन्होंने नर्स से कहा था तो उसने डॉक्टर के आने पर देखने की बात कही। इसके बाद बच्ची ने दम तोड़ दिया। वहीं डॉक्टर का भी कहना है कि श्वांस नली में दूध रुक गया और यही मौत की वजह बना। 

डॉक्टर बोले- हमारे पास और भी काम है परिवार वालों को भी ध्यान देना चाहिए

  1. दुर्ग शिवपारा निवासी टीकम ढीमर की पत्नी गीता डिलवरी के लिए अपने मायका कुंदरूपारा आई हुई थी। शुक्रवार दोपहर करीब 1 बजे तीन उसने 3 किलो की स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। सोमवार सुबह 9 बजे अचानक बच्ची की तबीयत बिगड़ी और दोपहर 12 बजे मौत हो गई। घटना के बाद बच्ची की दादी नगीना ने बताया कि सुबह 6 बजे नर्स को हमने बच्ची को दिखाया था। मां को कम दूध आ रहा था। इस पर नर्स ने कहा कि बच्ची को चम्मच के माध्यम से दूध पिलाएं। 

  2. चम्मच से दूध पिलाने के बाद बच्ची की रोने की आवाज कम होती चली गई। इस पर दो बार नर्स के पास जाकर उसे देखने के लिए भी कहा, लेकिन उसने जवाब दिया कि डॉक्टर आएंगे तो वे देखेंगे। डॉक्टर करीब 9.30 बजे आए तो बच्ची को ऊपर एनआरसी में शिफ्ट किया गया। वहां से तीन घंटे बाद दोपहर करीब 12 बजे डॉक्टर ने आकर बताया कि बच्ची की मौत हो गई है। साथ ही डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि हमारे पास और भी काम है परिवार वालों को ध्यान देना चाहिए।

  3. नवजात के ब्रेन तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाया

    भास्कर के सवाल डॉ. अरविंद कुमार, अस्पताल के डॉक्टर
    तीन किलो की स्वस्थ बच्ची की मौत आखिर कैसे हो गई। श्वांस की नली में दूध फंस गया। ब्रेन तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाया, जिससे मौत हो गई।
    क्या यहां देख-रेख करने वाले कर्मचारियों की कमी है। कर्मचारी पर्याप्त हैं। लेकिन यह तो मां को देखना होता है कि बच्चे को सुला कर दूध न पिलाएं।
    परिजन कह रहे नर्स को दो बार बताया गया पर नहीं देखी। यह तत्काल स्थिति में होता है और हम तो बच्चों की जांच कर ही रहे हैं। अचानक कुछ हो जाए इसे मां ही जान सकती है। हम बार-बार कहते हैं बच्ची को सुला कर दूध न पिलाओ।


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