- सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प : सालभर में हो सकेगी डिकंपोज, रिसाइकिल भी कर सकेंगे
- अविष्कार के लिए संस्थान में हुए पुकार गो ग्रीन फेस्ट में छात्रों को मिला है प्रथम पुरस्कार
Dainik Bhaskar
Feb 01, 2020, 04:20 PM IST
रायपुर. छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के तीन छात्रों की टीम ने ऐसी प्लास्टिक का अविष्कार किया है, जो कि 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल यानी कि नष्ट होने वाली है। नॉर्मल प्लास्टिक का जहां नष्ट होने में 100 साल लगते हैं, वहीं यह प्लास्टिक महज एक साल में नष्ट हो सकेगी। इसे रिसाइकिल कर दोबारा भी प्रयोग में लाया जा सकता है। ऐसे में यह सिंगल यूज प्लास्टिक का भी बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। इस अविष्कार के लिए एनआईटी में हुए पुकार गो ग्रीन फेस्ट में छात्रों को प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया है।
मक्के के आटे में ग्लिसिरीन और बेलेगर मिलाकर बनाई गई है प्लास्टिक
-
एनआईटी के तीन छात्र निखिल वर्मा, कृष्णेंदु और निहाल पांडे ने ग्रुप ‘रिकवरस’ ने इस प्लास्टिक का अविष्कार किया है। खास बात यह है कि इस प्लास्टिक को मक्के के आटे (स्टार्च) में ग्लिसिरीन और बेलेगर मिलाकर बनाया गया है। यानी कि इसे अगर बाहर फेंक भी दें तो यह ना तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचाती है और ना ही खाने वाले पशुअों को। छात्रों की बनाई यह प्लास्टिक बाजार में मिलने वाली प्लास्टिक से बिल्कुल ही अलग है। इसकी लागत भी बाजार में मिलने वाली प्लास्टिक से कम है अौर इससे प्रदूषण भी नहीं फैलता।
-
तीन माह में किया गया इसे तैयार, लैब के परीक्षणों में हुई पास
नार्मल प्लास्टिक को डिकंपोज होने में 100 साल का समय लग जाता है, फिर भी पूर्ण रूप से नहीं होती। वहीं से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक साल भर में सौ फीसद डिकंपोज होने का दावा किया जा रहा है। टीम में शामिल सदस्य बताते हैं कि इस बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को तीन महीने की मेहनत से बनाया गया है। इसे बनाने के बाद एनआईटी की लैब में परीक्षण किया गया। यह आविष्कार लैब के परीक्षणों में खरा उतरा है। वह कहते हैं कि इसे प्रतियोगिता के लिए बनाया गया था। अब प्रदूषण खत्म करने के लिए इस काम को आगे बढ़ाना है और इस प्लास्टिक को बाजार तक लाना है।
Source link