तिल्दा ब्लॉक के ग्राम सड्डू में हुए पंचायत चुनावों ने राज्य को पहला ऐसा सरपंच दिया, जिसने जेल में रहकर चुनाव लड़ा। वह खुद प्रचार के लिए भी नहीं आ सका। इस उम्मीदवार का नाम नरेंद्र यादव है। प्रत्याशी प|ी योगेंद्र की आत्महत्या के मामले में वह रायपुर सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी है।
2015 में हुए चुनाव में भी नरेंद्र ने सरपंच पद पर जीत हासिल की थी। उनके पुराने विकास कार्यों को देख जनता ने पूरा समर्थन दिया और दोबारा सरपंच बनाया। बुधवार को आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में नरेंद्र पेरोल पर अपने गांव पहुंचकर लोगों से भेंटकर 17 पंचों के साथ शपथ ली। सड्डू गांव के लोगों ने बताया कि 5 साल पहले जब नरेंद्र सरपंच बना था, तब उनकी उम्र 25 साल थी।
युवा सरपंच ने गांव में कुछ ऐसे काम करवाए, जो अब तक किसी सरपंच ने नहीं करवाया था। इनमें सिंचाई की परेशानी दूर करने के लिए नाले से गांव के तालाब को जोड़ना, नहर का पानी गांव तक पहुंचाना, 3 हजार पौधरोपण, स्टेडियम निर्माण, बिजली कनेक्शन, तालाब का गहरीकरण जैसे काम
शामिल हैं। गांव में पानी की समस्या अब पूरी तरह से दूर हो चुकी है। इस वजह से लोगों ने नरेंद्र को
दोबारा मौका दिया। नरेंद्र के मुकाबले में 5 उम्मीदवार और थे। करीब 800 वोट नरेंद्र को मिले और वह जीत गया।
तिल्दा नेवरा. िनर्वाचन के बाद पदाधिकारियों का फूल मालाओं से स्वागत किया गया।
6 महीने में जमानत नहीं तो दोबारा चुनाव
नरेंद्र यादव के प्रकरण में सुनवाई अपने आखिरी चरण में है। 2017 में नरेंद्र की शादी तिल्दा की सुनीता यादव से हुई थी। किसी वजह से सुनीता ने आत्महत्या कर ली थी। घटना के 3 महीने बाद युवती के परिजनों ने नरेंद्र के खिलाफ शिकायत की, जिसके चलते वह फिलहाल जेल में है। नवनिर्वाचित सरपंच नरेंद्र के परिजनों ने बताया कि विपक्षी नेताओं के बहकाए में आकर यह केस उस पर किया गया है। युवती की मौत से उसका संबंध नहीं है। अब नियमों के मुताबिक यदि 6 महीने में नरेंद्र को जमानत नहीं मिलती तो दोबारा चुनाव कराए जा सकते हैं।
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