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Chhattisgarh News In Hindi : Two-year master water plan, not even in 12 years; Still spend 4 crores | 2 साल का मास्टर वाटर प्लान, 12 वर्ष में भी नहीं बना; फिर भी 4 करोड़ खर्च

  • फाइल खुली और विश्लेषण हुआ, तब सामने आया जल विभाग का घपला
  • गोलमाल की आंतरिक जांच रिपोर्ट और मास्टर प्लान से जुड़े दस्तावेज सिर्फ भास्कर के पास

Dainik Bhaskar

Feb 12, 2020, 08:47 AM IST

रायपुर (अमिताभ अरुण दुबे) . राज्य बनने के बाद से अब तक छत्तीसगढ़ का मास्टर वाटर प्लान नहीं बन पाया। यह प्लान पानी के प्रबंधन से जुड़ा हुआ है। प्लान नहीं बना, इससे ज्यादा गंभीर मामला ये है कि 2006 में इस प्लान के लिए दिल्ली की कंपनी को 4 करोड़ रुपए के अनुबंध के साथ लगाया गया। कंपनी को 4 सितंबर 2008 तक प्लान शासन को सौंपना था। इस अवधि में कंपनी को पूरा भुगतान कर दिया गया। यही नहीं, वाटर प्लान की उच्चस्तरीय बैठकों पर लाखों रुपए फूंके गए।

लेकिन कंपनी ने 12 साल बीतने के बाद भी रिपोर्ट जमा नहीं की है। दो साल पहले इस मामले की जांच के लिए अांतरिक कमेटी बिठाई गई थी। उसने अपनी रिपोर्ट में पूरा गोलमाल उजागर भी किया, लेकिन डेढ़ साल से यह रिपोर्ट भी दबी हुई है। भास्कर ने आंतरिक जांच रिपोर्ट और मास्टर प्लान के एक हजार से ज्यादा पन्नों वाले दस्तावेज हासिल किए हैं।  

उनके गहराई से अध्ययन में पता चला कि वाटर प्लान के लिए तकनीकी सलाहकार समिति की बैठकें 9 बार हुईं। जल संसाधन विभाग में इसके लिए मास्टर प्लान सेल भी बनाया गया, पर वह अब अस्तित्व में नहीं है।  2018 में प्रदेश के सभी नदी-कछारों के एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों से मास्टर वाटर प्लान पर तकनीकी सुझाव और बिंदुवार संशोधन मांगा गया, पर अब तक किसी ने नहीं दिया। इसलिए यह कवायद फिर शुरू होने वाली है।

8 साल बाद किया ब्लैकलिस्ट
दिल्ली की कंपनी वैप्कोस को विभाग ने 8 साल बाद, 2014 में ब्लैकलिस्ट किया गया। तब तक कंपनी को 3.75 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान हो चुका था। 2018 में एक बार वाटर फिर मास्टर वाटर प्लान के लिए इंजीनियरों सक्रिय किया गया। उसके बाद से मामला फिर ठंडा हो गया। उधर, कंपनी को कई रिमाइंडर भेजे गए, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला।

टीएसी में नामित इंजीनियर का दावा-कंपनी ने दिया धोखा
जल संसाधन विभाग में 2006 में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर तथा मास्टर वाटर प्लान की टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी (टीएसी) में नामित एचआर कुटारे का कहना है कि कंपनी वैप्कोस ने विभाग को हमेशा धोखे में रखा और कोई सहयोग नहीं दिया। टीएसी ने जितनी बार भी मास्टर प्लान में कमियां बताईं, कंपनी ने सुधार नहीं किया। कुटारे कुछ अरसा पहले इंजीनियर इन चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। विभाग ने सालभर पहले भी कंपनी से कहा था कि वे कंप्लायंस करें, लेकिन शायद यह भी नहीं हुआ। ताजा हालात अब विभाग के अफसर ही बता पाएंगे।

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