कोरिया साहित्य व कला परिषद व हिंदी साहित्य चेतना के तत्वावधान में बसंत साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के प्रबुद्ध साहित्यकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं
का वाचन किया।
सिविल लाइन मनेन्द्रगढ़ में रितेश श्रीवास्तव के आवास में आयोजित गोष्ठी की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस दौरान साहित्यकार सतीश उपाध्याय ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर करारा प्रहार किया। नारायण तिवारी ने बढ़ती महंगाई पर अपनी प्रस्तुति में प्याज पर कविता सुनाकर लोगों को गुदगुदाया। वहीं गंगा प्रसाद मिश्र ने देशभक्ति पर भावपूर्ण कविता सुनाकर तालियां बटोरी।
कार्टूनिस्ट व व्यंग्यकार जगदीश पाठक ने समाज की विसंगतियों पर अपनी कटाक्ष करती हुई कविता प्रस्तुत की। युवा कवि गौरव अग्रवाल ने मेरी कोशिशों को मौका मिले सुनाकर कवि गोष्ठी को नया रूप दिया। कवि रामचंद्र अग्रवाल ने राम मंदिर पर आए फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारतीय जन मंच का यह सबसे बड़ा सम्मान है। व्यंग्यकार विजय कुमार गुप्ता ने अपने व्यंग्य के माध्यम से वाहवाही बटोरी। क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बसंत पर अपनी बात रखी। साहित्यकार संतोष जैन ने कहा मैं धीरे-धीरे बढ़ता हूं, मैं धीरे-धीरे घटता हूं, इसमें मेरा क्या कसूर। युवा कवि रितेश कुमार श्रीवास्तव ने देशभक्ति पूरक रचना का वाचन करते हुए अपनी बात रखी।
विश्रामपुर से आई साहित्यकार प्रकृति कश्यप ने वसंत पर अपनी भावपूर्ण कविता सुनाकर वाहवाही बटोरी। साहित्यकार मृत्युंजय सोनी ने छोटी मगर सशक्त रचनाओं से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता रामचरित द्विवेदी ने एक ओर बसंत पर गीत सुनाकर वाहवाही बटोरी तो वहीं उन्होंने करोना वायरस पर अपनी बात रखी। इस मौके पर विश्रामपुर से आए राजेश कश्यप, मनेन्द्रगढ़ के गीतकार नरोत्तम शर्मा व शैलेश जैन ने गीतों के माध्यम से आयोजन को नई ऊंचाईयां दीं।
बसंत साहित्य उत्सव के दौरान मौजूद साहित्यकार।
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