नई दिल्ली: पाकिस्तान (Pakistan) के लाहौर में दसियों हजार लोग एक कट्टरपंथी मौलाना खादिम हुसैन रिजवी (Khadim Hussain Rizvi) की मौत का शोक मनाने के लिए इकट्ठा हुए. ये वही मौलाना है, जिसने सालों तक देश के धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों को आतंकित किया, यूरोपीय देशों के विनाश के लिए और कई दंगों के लिए उकसाया. इससे वो देश का ऐसा नेता बन गया जिससे लोग डरते थे.
पाकिस्तान में जहां कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर आने का खतरा है, उसी जोखिम भरे समय में लाहौर में बिना मास्क के लोगों का हुजूम दिखाई दिया. रिजवी की अंत्येष्टि में हिस्सा लेने आए इन लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का सिरे से उल्लंघन किया.
नहीं बताया गया मौत का कारण
54 साल के मौलाना की गुरुवार को मृत्यु हो गई थी और उसकी मौत के कारण का खुलासा अब तक नहीं किया गया है. ना ही उसकी मौत का कारण तय करने के लिए शव का कोरोना वायरस टेस्ट या ऑटोप्सी किया गया.
रिजवी पाकिस्तान के रूढ़िवादी धार्मिक अधिकार की बात करने वाला ऐसा शख्स था जो धार्मिक आक्रोश बढ़ाने और किसी भी मामले के लिए अपने हजारों कट्टर समर्थकों को तुरंत साथ खड़ा कर लेने में माहिर था.
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फ्रांस में पैगंबर के कार्टून वाले मामले में निकाली थी रैली
रिजवी पर विवादास्पद ईशनिंदा पर हिंसा फैलाने और पंजाब में उग्रवाद और कट्टरपंथ को प्रोत्साहित करने का जिम्मेदार माना जाता था. उसकी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी (TLP) ने फ्रांस में पैगंबर के कार्टून वाले मामले में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ 3 दिन की रैली की थी. बाद में यह दावा करने के बाद रैली खत्म की गई थी उनके दबाव के कारण सरकार को फ्रांसीसी राजदूत को वापस भेजने पर मजबूर होना पड़ा.
ऐसी विभाजनकारी विचारधारा के बावजूद पाकिस्तानी सेना ने उसे ‘महान विद्वान’ माना और प्रधानमंत्री इमरान खान ने उसे श्रद्धांजलि भी अर्पित की.