Home Breaking News साहब के कुशल निर्देशन में कोरोना की शतकीय पारी ?

साहब के कुशल निर्देशन में कोरोना की शतकीय पारी ?

छतरपुर जिले को चाटुकारों से मॉडल घोषित का प्रचार करने वाले अब हक्केबक्के

अब तो साहेब जिला कुख्यात हो गया


धीरज चतुर्वेदी
अपने गुणगान करने के छपास रोगी साहब बहादुर के लिये इस खबर का भी आम जनता बेसब्री के इंतज़ार मे है कि कोरोना ने कुशल कुशाग्र निर्देशन मे शतकीय पारी खेल ली। यह आंकड़ा कहाँ तक पहुंचेगा इसका ऊपर वाला ही मालिक है।


छतरपुर जिले के वास्तविक नाजुक हालात के बाद भी साहब बहादुर अपने चाटुकार संसाधनों कि दम पर कोरोना मामले मे जिले को मॉडल घोषित कराने का प्रचारित करा रहे थे। असलियत खुली तो असल दर्शन पूरे हुए कि यह मॉडल नहीं था बल्कि कोरोना बम घूम रहे थे पर जाँच करने वाला कोई नहीं था। अब समझ आया कि कोरोना का संक्रमण वह चिड़िया का खेल नहीं जो उंगली के इशारे पर फुर्र हो जाती हो। पूरी बहादुरी के पँख कटे नजर आ रहे है जिसने छतरपुर शहर मे वह रायता फैला दिया है जो बेकाबू हो चुका है।

एक सरकारी डॉक्टर भोपाल से आता है ओर वह क्वारंटाइन नहीं होता जिसका असर है कि उसके सम्पर्क मे आने वाले महोबा रोड के चौरसिया परिवार के दो लोग संक्रमित हो गये। वह पैथालॉजी लेब जो कलेक्शन के लिये पंजीकृत है पर जाँच कर लोगो को मौत के मुँह मे समाहित करवा रही है। यह मेहरबानी है जिम्मेदारों की जो आपदा को अवसर समझ जनता को आत्म निर्भर बनाने के सिद्धांत पर अग्रसर है क्यो कि जिम्मेदारों कि विलासता कि जरुरत तो यही अवैधानिक कृत्यों कि न्योछावर से पूरी होती है, यह आमलोगों मे चर्चा का विषय है ओर आरोप है। जिस तरह कोरोना ने छतरपुर जिले मे बमबारी की है वह अब हालात गंभीर हो चुके है।

आंकड़ों कि बात कि जाये तो 1 जुलाई से कोरोना किल अभियान शुरू हुआ। तो 30 जून तक छतरपुर जिले मे मात्र 2001 सेम्पल जाँच हेतु भेजे गये थे। जिसमे 56 पॉजिटिव निकले थे। शुक्रवार 17 जुलाई तक 6353 सेम्पल जाँच हेतु भेजे गये। जिसमे 1194 कि रिपोर्ट आना शेष है। चौकाने वाला आंकड़ा है कि छतरपुर जिला शतकीय पारी खेल चुका है।

कोरोना किल अभियान के पहले तक बाजुए फड़काकर मॉडल घोषित किया जा रहा था पर 17 दिन मे 46 मामले मिलने से अब साबित हो गया कि केवल मॉडल था जिस पर विख्यात ओर कुख्यात का नामकरण करना शेष था। एक प्रकार से प्रशासनिक लचरता का परिणाम है जिसे जिले को गंभीर रूप से भुगतना पढ़ेगा। इसमें जनता ने भी आग मे घी का काम किया है। जो कोरोना से डरती नहीं दिखाई दी ओर आज भी बेखौफ घूम रही है। वह दुकानदार भी भयभीत नहीं है जो आपदा को अवसर समझ कमाने मे जुटे है पर नियमों को ताक मे रखे है।

अब उन राजनैतिक चेहरों को भी सामने आना चाहिए जो प्रशासनिक कि सख़्ती कि मुखालफत करते रहे। जिनकी दया दर्ष्टि से आज कोरोना शहर के हर हिस्से पर कहर बरपा रहा है। कोरोना का संक्रमण अब गांव से शहर ओर कस्बो कि ओर रुख कर गया है। प्रशासन पहले सेम्पलिंग से दूर रहकर अपनी साख बचाता रहा अब इसी बचाव ने संक्रमण को वह रूप दे दिया है जो बेहिसाब होकर गंभीर है।

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