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Saturday, December 27, 2025
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coronavirus (COVID‐19) pandemic’s impact on mental health : कोरोना लॉकडाउन में खतरनाक समस्याएं झेल रहे वर्क फ्रॉम होम वाले प्रोफेशनल्स, जानिए एक्सपर्ट्स की राय

​Work from home बन रहा परिवार के बीच विवाद का कारण

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बताया जा रहा है कि युवाओं के लिए लंबे समय तक घर से काम करना (work from home) काफी टफ साबित हो चुका है। पहले जहां कुछ घंटे निर्धारित होते थे लेकिन अब वे लगातार काम करते रहते हैं। ऐसे में वे न सिर्फ उनकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है बल्कि WFH के कारण परिवार में आपसी तनाव भी बढ़ रहा है।

हमारे सहयोगी Times of India से बातचीत में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग (Department of psychiatry) के प्रमुख डॉ. वीएस पाल ने कहा कि वर्क फ्रोम होम कई स्तरों पर अब तमाम लोगों के लिए उनके परिवार के बीच विवाद का कारण भी बन रहा है।

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​लॉकडाउन में 6 की बजाए 12 घंटे तक करना पड़ रहा काम

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बता दें कि कोरोना लॉकडाउन से पहले दफ्तर में काम करने वाले तमाम क्षेत्रों के प्रोफेशनल्स रेगुलर बेसिस पर हर दिन तकरीबन छह घंटे डिजिटल स्क्रीन पर काम करते थे लेकिन अब ये ड्यूरेशन लगभग दोगुनी हो गई है।

हालांकि, सभी पेशेवर ऑफिस द्वारा लगातार बढ़ाए जा रहे कार्य को महामारी के कठिन वक्त में भी सामान्य तरीके से कर रहे हैं लेकिन उनकी सेहत पर इसका उल्टा असर पड़ रहा है। वहीं घंटों काम करने के चलते वे परिवार को भी टाइम नहीं दे पाते जिसकी वजह से अलग तनाव पैदा होता है।

​घर पर काम करने से ये समस्याएं झेल रहे युवा

लंबे समय तक कम्प्यूटर की स्क्रीन देखते के चलते युवाओं को आंखों में चुभन के अतिरिक्त और भी तमाम दृष्टि (vision) संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा सिरदर्द, थकान, तनाव, चिंता और यहां तक कि स्लीपिंग पैटर्न यानी सोने का समय भी गड़बड़ा गया है।

TOI से बातचीत में इंडेक्स मेडिकल कॉलेज (Index Medical college) के मनोचिकित्सा के प्रोफेसर (Professor of psychiatry) डॉक्टर रामगुलम राजदान (Dr Ramgulam Razdan ) ने बताया कि WHF के कारण अब मोटापा (obesity) भी प्रोफेशनल्स की एक बड़ी समस्या बन चुका है जिसके चलते वे तमाम तरह की दूसरी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। चूंकि लॉकडाउन में फिजिकल एक्टीविटीज कम हो गई हैं या कहें कि बंद ही है और ऐसे में वे दिन के कई घंटे स्क्रीन के सामने बिताते हैं।

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​सेहत के लिए खतरनाक है गैजेस्ट का लंबे वक्त तक प्रयोग

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मौजूदा दौर में लैपटॉप और कंप्यूटर एक प्राइमरी टूल बन गए हैं जिन्हें आप चाहकर भी अवॉइड नहीं कर पाते हैं। डॉक्टर दिव्या रॉय के अनुसार, इस तरह के गैजेट्स का लंबे समय तक प्रयोग करना सेहत के लिए ठीक नहीं है। इन डिजिटल उपकरण के घंटों इस्तेमाल के चलते तमाम प्रोफेशनल्स बर्नआउट यानी थकान और तनाव (fatigue and stress) के शिकार हो रहे हैं।

अब उनके पास दूसरी कोई चॉइस ही नहीं बची है। पहले जहां ऑफिस टाइमिंग सुबह 10-06 बजे तक हुआ करती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। मौजूदा हालत में प्रोफेशनल्स सुबह जल्दी लॉग इन तो करते हैं लेकिन उनकी शिफ्ट कब ओवर होगी इसका कोई समय निर्धारित नहीं है।

इस आर्टिकल को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


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