रेलवे कर्मचारियों के लिए मास्कर बनाए जा रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)(प्रतीकात्मक फोटो)
वर्तमान में पूरे बाजार में मास्क (Mask) की उपलब्धता कम हो गई है और भारतीय रेल (Indian Railway) के कर्मचारी भी इस कमी से जूझ रहे हैं. यह एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
ऐसे में इंजीनियरिंग विभाग के ट्रैकमैन की महिला कर्मचारियों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और रेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए सामग्री से मास्क का निर्माण कार्य वर्क फ्रॉम होम के तहत शुरू कर दिया है. अभी तक लगभग 3000 से भी अधिक मास्क बनाकर रेलवे में कार्य कर रहे कर्मचारियों के उपयोग के लिए जमा भी करा दिया है. इसमें महत्वपूर्ण योगदान है ट्रैकमैन संतोषी मांझी का जिन्होंने अब तक 100 से भी अधिक मास्क बनाए हैं. उनके इस योगदान से अब मास्क की कमी से लड़ने में पूरी मदद मिल रही है. मास्क निर्माण का कार्य अभी भी जारी है और रेल प्रशासन द्वारा इस कार्य को सराहा जा रहा है. वहीं महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.
कोरोना संक्रमण से बचाने कर रहे ये काम
आपको बता दें कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर मंडल में मालगाड़ियों का सुरक्षित परिचालन हो इसके लिए रेलवे ट्रैक को सुरक्षित रखने में इंजीनियरिंग विभाग का महत्वपूर्ण कार्य है. इसलिए ट्रैक पर कार्य करते समय करोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए सैनिटाइजर, मास्क, हैंडवॉश भी उपलब्ध कराए गए हैं. सभी लोग निश्चित दूरी बनाते हुए कार्य कर रहे हैं. ट्रैकमैन का कार्य मैनुअली होता है इसलिए इन्हें विषम परिस्थितियों में भी देशहित में कार्य कर रहे हैं. रेलवे ट्रैक को गर्मियों के अनुरूप मापदंडों के अनुसार भी दुरुस्त कर रहे हैं. रेल पटरियों को समय-समय पर विभिन्न मौसम के अनुसार एडजस्ट करना पड़ता है.
मास्क निर्माण का कार्य अभी भी जारी है और रेल प्रशासन द्वारा इस कार्य को सराहा जा रहा है.
विषम परिस्थितियों में भी पूरे देश में मालगाड़ियों का परिचालन लगातार हो रहा है. रायपुर मंडल में मालगाड़ियों का परिचालन सुरक्षित एवं निर्बाध हो सके इसलिए रेल पथ के संरक्षा प्रहरी (ट्रैकमैन) रेलवे ट्रैक की संरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए रेलवे ट्रैक पर कार्य कर रहे हैं. ट्रैकमैन- ट्रैक की पेट्रोलिंग, गेटमैन एवं की-मैन का कार्य कर रहे हैं. एक की-मैन अपने कार्य के लिए सुबह 5 बजे निकलता है और अपने क्षेत्र के पूरे ट्रैक का अच्छे से निरीक्षण करके शाम को 5 बजे घर लौटता है. इस दौरान वह औसतन 12 किलोमीटर प्रतिदिन रेलवे ट्रैक पर चलता है एवं यह सुनिश्चित करता है कि ट्रैक पर सब ठीक है और जरूरत होने पर उच्च अधिकारियों को इस से अवगत कराता है. वहीं गेटमैन अपने फाटक पर मुस्तैदी से खड़ा रहकर सड़क से आने जाने वाले वाहनों की संरक्षा का ध्यान रखता है.
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First published: April 14, 2020, 12:50 PM IST


