नई दिल्ली: DNA में हम आपको कई बार बता चुके हैं कि जब तक दुनिया के बड़े बड़े देश Coronavirus को कंट्रोल करेंगे तब तक चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था को कंट्रोल कर चुका होगा. लेकिन अब बात इससे आगे बढ़ चुकी है.
अब चीन ने दुनिया के खिलाफ World War-3 छेड़ दिया है और आपको इसके बारे में पता तक नहीं चला. अगर चीन अपने इरादों में सफल रहा तो ये युद्ध जैविक हथियारों के दम पर लड़ा जाएगा, जिसमें परमाणु हथियार नहीं बल्कि कीटाणुओं से बने हथियारों का इस्तेमाल होगा. इसमें मनोवैज्ञानिक डर का भी इस्तेमाल होगा और परमाणु बम शहरों पर नहीं बल्कि अर्थव्यस्थाओं पर गिराए जाएंगे.
लेकिन सबसे पहले ये समझिए कि चीन का सबसे नया प्लान क्या है. Lockdown की वजह से पूरी दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है, अमेरिका जैसे देशों में तो कच्चे तेल की कीमत माइनस में चली गई है यानी शून्य से भी कम हो गई है. लेकिन अब चीन इसका फायदा उठाकर, अपने तेल भंडार बढ़ाने में जुटा हुआ है.
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दिसंबर में CoronaVirus का पहला मामला चीन में ही सामने आया था और जब मार्च में WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया तब अचानक से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें भी गिरने लगीं. Russia और सऊदी अरब के बीच तेल के उत्पादन को लेकर चल रही लड़ाई की वजह से भी तेल के दाम कम होने लगे. चीन ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और पिछले तीन महीनों में कच्चे तेल के आयात को 5 प्रतिशत तक बढ़ा लिया.
ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि चीन ने मार्च में कच्चा तेल लाने के लिए 40 टैंकरों को सउदी अरब भेजा था, इनमें से हर टैंकर की क्षमता 32 करोड़ लीटर कच्चा तेल ढोने की है.
चीन का आधिकारिक तेल भंडार करीब साढ़े 6 हजार करोड़ लीटर का है, जबकि चीन की योजना इसे बढ़ाकर 8 हज़ार करोड़ लीटर से साढ़े 9 हजार करोड़ लीटर करने की है.
यानी चीन ने पहले पूरी दुनिया को महामारी दी, और जब दुनिया इससे लड़ रही है, तो चीन, खुद को आर्थिक महाशक्ति बनाने की चाल चल रहा है और हर तरीके से दुनिया का शोषण कर रहा है.
चीन ने पहले दुनिया को कोरोना वायरस दिया और फिर उससे लड़ने के लिए घटिया मेडिकल सप्लाई के जरिये मुनाफा कमाया.
जब चीन के वायरस हमले से दुनिया की अर्थव्यवस्था गिरने लगी, तो चीन, दुनियाभर में आर्थिक रूप से कमजोर कंपनियों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाने लगा.
अब कच्चे तेल के दाम गिरने लगे तो चीन, सस्ता तेल खरीदकर अपने Oil Stock को बढ़ाने में लग गया है.
चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन में भी अपनी दखलअंदाजी को बढ़ाना चाहता है. उसने WHO को तीन करोड़ डॉलर्स यानी करीब 228 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. वो भी तब, जब अमेरिका, WHO की फंडिंग पर रोक लगा चुका है.
जाहिर है, दुनिया इस वक्त चीन द्वारा छेड़े गए युद्ध में घिरी हुई है. जिसमें दुनिया के देशों को दो मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है, एक तरफ कोरोना से जान बचानी है और दूसरी तरफ चीन की विस्तारवादी नीतियों से बचना है. लेकिन चीन, हथियारों वाला युद्ध नहीं कर रहा है बल्कि दुनिया पर आर्थिक, जैविक और मनोवैज्ञानिक हमले कर रहा है और अब तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कह दिया है ये कोरोना कोई Flu नहीं है, बल्कि अमेरिका पर हमला हुआ है.


