Sunday, June 29, 2025
HomeThe WorldDNA ANALYSIS: LIVE DEMO of chain reaction of virus infection| DNA ANALYSIS:...

DNA ANALYSIS: LIVE DEMO of chain reaction of virus infection| DNA ANALYSIS: वायरस संक्रमण के चेन रियेक्शन का LIVE DEMO

नई दिल्ली: भारत में अब तक कोरोना वायरस के करीब 1 लाख 40 हजार मामले सामने आ चुके हैं. कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या के मामले में भारत अब दुनिया में 10वें नंबर पर आ गया है. पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 7 हजार नए मामले आए हैं और ये एक दिन में रिकॉर्ड हुए सबसे ज्यादा मामले हैं. अगर भारत में कोरोना वायरस इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो भारत जल्द ही इस मामले में वर्ल्ड चैंपियन बन जाएगा. ये एक ऐसी स्थिति है जिससे भारत को बचना चाहिए.

भारत में मामले इतने तेजी से बढ़ने की एक बड़ी वजह ये है कि भारत के लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का ईमानदारी से पालन नहीं कर रहे हैं. लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश है जिसने अनुशासन के दम पर कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू कर लिया है. इस देश का नाम है जापान. आइए जानते हैं कि जापान ने इस पर कैसे लगाम लगाई. 

कोरोना वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान तक कितनी तेजी से फैलता है इसे आप आंकड़ों के जरिए कई बार देख चुके हैं और समझ चुके हैं, कोरोना वायरस का R Naught फिलहाल 2 से तीन के बीच माना गया है, R Naught का आंकलन इस आधार पर किया जाता है कि एक वायरस एक व्यक्ति से कितने व्यक्तियों के बीच फैलता है. कोरोना वायरस के मामले में वैज्ञानिकों का आंकलन है कि एक व्यक्ति दो से तीन लोगों को संक्रमित कर सकता है. 

आज पहली बार हम आपको बताएंगे कि किसी वायरस के फैलने की रफ्तार आखिर क्या होती है. जापान के सरकारी टीवी चैनल NHK ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक प्रयोग किया. इस प्रयोग का नाम था ब्लैक लाइट एक्सपेरीमेंट. इस प्रयोग के लिए 10 लोगों को एक रेस्टोरेंट जैसी जगह पर बुलाया गया. इनमें शामिल एक व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के रोल में था. इस व्यक्ति के हाथ में एक Fluorescent Substance यानी अंधेरे में चमकने वाला पदार्थ लगाया गया. ये पदार्थ कीटाणुओं और वायरस को दर्शाता है. इसके बाद प्रयोग में शामिल सभी लोगों ने संक्रमित व्यक्ति के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाया. 

प्रयोग के अंत में रेस्टोरेंट में अंधेरा कर दिया गया, और इसके बाद जो हुआ उस पर यकीन करना मुश्किल है. संक्रमित व्यक्ति के हाथों में वायरस को दर्शाता जो पदार्थ लगाया गया था, वो रेस्टोरेंट में मौजूद ज्यादातर लोगों तक पहुंच चुका था. ये पहले व्यक्ति के चेहरे और कपड़ों पर फैल चुका था, दूसरे लोगों के हाथ और शरीर भी इससे संक्रमित हो चुके थे. 

इतना ही नहीं टेबल पर रखा खाना, बर्तन, मेनू कार्ड, पानी का जग, चम्मच सब संक्रमित हो चुके थे. इसे ब्लैक लाइट एक्सपेरीमेंट नाम दिया गया है, क्योंकि इस प्रयोग के दौरान अंधेरे में वायरस के फैलने की गति को समझा गया. 

इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोई वायरस या कीटाणु कितनी तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक और एक वस्तु से दूसरी वस्तु तक फैलने में सक्षम है. 

जापान में इसी तरह का एक और प्रयोग किया गया. इस एक्सपेरीमेंट के दौरान लेजर बीम और हाई सेंसटिविटी कैमरा का इस्तेमाल किया गया. इस प्रयोग का मकसद ये पता लगाना था कि खांसने, छींकने और बोलने के दौरान शरीर से निकलने वाले माइक्रो ड्रॉपलेट्स हवा में कितनी देर तक तैर सकती हैं और इनमें मौजूद वायरस कितनी तेजी से एक जगह से दूसरी जगह तक फैल सकते हैं. माइक्रो ड्रॉपलेट्स वो बूंदें होती हैं, जो खांसने छींकने या बोलने के दौरान निकलती हैं. 

इस प्रयोग में इस्तेमाल की गई टेक्नालॉजी 0.1 माइक्रो मीटर जितने छोटे कणों को भी देखने में सक्षम है. ये कण सांस के द्वारा किसी व्यक्ति के शरीर में बहुत आसानी से प्रवेश कर सकते हैं. 

इस एक्सपेरीमेंट की शुरुआत छींकने से हुई. जैसे ही प्रयोग में शामिल व्यक्ति ने छींका, 1 मिलीमीटर के आकार के ड्रॉपलेट्स यानी बूंदें हवा में फैल गईं. अब इसी प्रक्रिया को हाई सेंसिटिविटी कैमरे की मदद से देखिए. 

जैसे ही व्यक्ति छींका, छोटे छोटे कण हवा में फैल गए. ये सभी कण 10 माइक्रोमीटर से भी छोटे आकार के थे. अब इसी प्रक्रिया को आप एक दूसरे कैमरा एंगल से देखिए, इसमें भी आप देख सकते हैं कि ये ड्रॉपलेट्स बहुत हलकी हैं और हवा के साथ बहने लगती हैं. 

वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ छींकने से ही ये बूंदे हवा में नहीं फैलतीं, बल्कि जब आप किसी व्यक्ति के करीब बैठकर जोर जोर से बात करते हैं तब भी लोगों के मुंह से बड़ी संख्या में ये माइक्रो ड्रॉपलेट्स निकलती हैं.  

दो व्यक्तियों के बीच फैली बूंदें हवा में एक ही जगह स्थिर हैं और वहां से हटकर दूसरी जगह नहीं जा रहीं. हालांकि अभी ये पता नहीं लगाया जा सकता है कि वायरस के संक्रमण के लिए कितनी संख्या में इन बूंदों की जरूरत होती है. लेकिन ये तय है कि छींकने या बातचीत के दौरान निकलने वाले माइक्रो ड्रॉपलेट्स एक हद तक वायरस फैला सकती हैं. 

जहां जगह की कमी होती है और वेंटिलेशन का अभाव होता है वहां संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है. इसलिए जब एक घुटन भरे कमरे में जहां ज्यादा लोग मौजूद होते हैं और उनमें से कोई एक व्यक्ति खांसता या छींकता है तो क्या होता है! जैसे एक व्यक्ति खांसा, इसके मुंह से करीब 1 लाख  ड्रॉपलेट्स निकलीं और ये बूंदें करीब 40 सेकेंड में कमरे में मौजूद आधे लोगों तक पहुंच गईं. बड़े आकार की बूंदों को आप हरे और नीले रंग में देख सकते हैं. आकार में बड़ी और वजन में भारी होने की वजह से ये बूंदे करीब एक मिनट में ही जमीन पर गिर जाती हैं, लेकिन माइक्रो ड्रॉपलेट्स हवा में बहती रहती हैं. 

लेकिन एक व्यक्ति के खांसने के 20 मिनट के अंदर माइक्रो ड्रॉपलेट्स पूरे कमरे में फैल जाती हैं, और कमरे में मौजूद लगभग हर व्यक्ति इसकी चपेट में आ जाता है. 

हालांकि इससे बचने का एक तरीका है और वो है कमरे के खिड़की और दरवाजे खोल देना. इससे जैसे ही बाहर की हवा अंदर आती है ये बूंदें हवा के साथ बहकर बाहर निकल जाती हैं. 

लेकिन अगर आपके घर या दफ्तर में सेंट्रलाइज्ड एयर कंडीशनिंग सिस्टम है तो फिर ये ड्रॉपलेट्स हवा के साथ रिसर्कुलेट  होते हुए दूसरे लोगों तक पहुंच सकती हैं और इनमें मौजूद वायरस दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं. 

इस तरह के संक्रमण से बचने और दूसरों को बचाने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है, चेहरे पर मास्क लगाकर रखना. जब बिना फेस मास्क के छींकते या खांसते हैं तो आप संक्रमण को दूर तक फैला सकते हैं. लेकिन चेहरा अगर फेस मास्क से ढंका हो तो संक्रमण फैलने का खतरा बहुत कम हो जाता है. 

हमें उम्मीद है कि विश्लेषण देखकर आप समझ गए होंगे कि कैसे आपकी लापरवाही संक्रमण की रफ्तार तेज कर सकती है और कई लोगों को बीमार बना सकती है. इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, चेहरे को हमेशा ढक कर रखें. खांसते और छींकते समय चेहरो को रूमाल या किसी किसी कपड़े से ढंक लें और अगर पास में कोई कपड़ा ना हो तो अपनी बाज़ू से अपने नाक और मुंह को कवर कर लें. ऐसा करके आप वायरस के संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं. 

हमने आपको जापान में हुए प्रयोगों के बारे में बताया. जापान में ज्यादातर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और जापान ने कोरोना वायरस के खिलाफ ये लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी है. यही वजह है कि अब जापान में लगाई गई इमरजेंसी भी हटा ली गई है. जापान में संक्रमण के मामलों में कमी आई है और इसलिए जापान की सरकार ने धीरे धीरे सभी प्रांतों से इमरजेंसी हटा ली है. जापान में संक्रमण की सेकेंड और थर्ड वेव का खतरा है. लेकिन वहां की सरकार को उम्मीद है अगर जापान के लोग ऐसे ही सहयोग करते रहे तो जापान में दोबारा इमरजेंसी या लॉकडाउन की नौबत नहीं आएगी. 

जापान उन देशों में था, जहां ये संक्रमण शुरुआत में बहुत तेजी से फैला था. लेकिन कड़े अनुशासन की वजह से जापान में अब तक सिर्फ 16 हजार 628 मामले सामने आए हैं और मौतों की संख्या भी साढ़े आठ सौ के आसपास ही है. भारत भी चाहे तो जापान से सबक लेकर संक्रमण की रफ्तार को कम कर सकता है और पूरी तरह रोक भी सकता है. 

वैसे तो पूरी दुनिया में ही लॉकडाउन के नियमों में ढील दी जा रही है. लेकिन इस मामले में चीन सबसे आगे है. चीन के कुछ शहरों में मार्च महीने में ही नाइट क्लब्स को खोलने की इजाजत मिल गई थी. लेकिन शुरुआत में कोरोना वायरस के डर से इन शहरों में लोग क्लब्स में जाने से और पार्टी करने से बच रहे थे. लेकिन अब इन शहरों के नाइट क्लब्स में रौनक लौटने लगी है. आज हमारे पास शंघाई की कुछ तस्वीरें आई हैं. शंघाई में नाइट क्लब्स खुल चुके हैं और अब बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं. यानी पूरी दुनिया में वायरस का अंधेरा फैलाकर अब चीन सामान्य हो रहा है. आज हमने शंघाई से आई तस्वीरों के आधार पर एक विश्लेषण तैयार किया है. ये विश्लेषण देखकर आप समझ जाएंगे कि कैसे पूरी दुनिया अब भी वायरस का सामना कर रही है और चीन में सब कुछ पटरी पर लौट रहा है. 

नए नियमों के साथ शंघाई में नाइट लाइफ का नया आगाज तो दो महीने पहले ही हो गया था. लेकिन लोगों की रौनक अब लौटनी शुरु हुई है. कोरोना के बीच जिंदगी को जिंदादिली से जीने का ये नया नियम है. शंघाई के क्लब्स में लोग अपना क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं लेकिन सुरक्षा से कोई समझौता नहीं कर रहे. 

कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कई इंतजाम किए गए हैं. काउंटर्स पर सेनिटाइजर्स रखे हुए हैं. सभी मेहमानों का स्वागत टेंपरेचर चेक से किया जा रहा है और पार्टी शुरु करने से पहले सभी अपनी जानकारी दर्ज कर रहे हैं. 

बाउंसर्स हों, बार टेंडर्स हों या वेटर्स. सभी को मास्क और ग्लव्स पहनना जरूरी है. दरवाजों के हैंडल और वॉश रुम्स को हर घंटे डिसइंफेक्ट किया जा रहा है. 

शंघाई पहला शहर नहीं है जहां लॉकडाउन के बाद बार्स को खोला गया है. लेकिन शंघाई के पब्स में मौज-मस्ती कर रहे इन लोगों को यकीन है कि यहां उन्हें कोरोना छू भी नहीं सकता. 

रिकी ली ने बताया कि मुझे कोई चिंता नहीं है क्योंकि शंघाई में हालात कंट्रोल में हैं. इसलिए हमें रात के वक्त क्लब आने पर भी सुरक्षित महसूस हो रहा है. वहीं एलिसन झेंग का कहना है कि अक्सर मैं क्लब आता हूं, ये मेरा शौक है. अबकी बार मैं अपना तनाव दूर करने आया हूं इसलिए ये थोड़ा अलग है. 

लॉकडाउन के बाद अब पूरी दुनिया में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढील जरूर दी जा रही है लेकिन कोरोना का खतरा खत्म नहीं हुआ है. 

अमेरिका के मिसूरी राज्य में पूल पार्टी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को डुबो दिया गया. वीकेंड पार्टी सेलिब्रेशन में सारे सुरक्षा नियम भुला दिए गए. लेकिन अच्छी बात ये है कि कुछ जगहों पर कोरोना की गाइडलाइंस का पालन पूरे नियम से हो रहा है. साइप्रस के लारनाका में बीच पार्टीज नए नियमों के साथ लौट आई हैं. जहां सबकुछ है, बस सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों से कोई समझौता नहीं है. 

तस्वीरें बता रही हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियम और पार्टी कैसे एक साथ की जा सकती हैं. 




Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RECENT COMMENTS

casino online slot depo 10k bonus new member slot bet 100 slot jepang
slot depo 10k slot gacor slot depo 10k slot bet 100