Tuesday, July 15, 2025
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DNA ANALYSIS: Reality check of Chinas maneuvering videos| DNA ANALYSIS: चीन के युद्धाभ्यास वाले वीडियोज का रियलिटी चेक

नई दिल्ली: आज हम चीन की सेना के लाइट, कैमरा और शूटिंग वाले मनोवैज्ञानिक युद्ध का विश्लेषण करेंगे, जिसके केंद्र में है चीन का दोहरा चरित्र. चीन एक तरफ तो Line Of Actual Control यानी LAC पर भारत के साथ तनाव को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने पर सहमति जता चुका है,  लेकिन दूसरी तरफ भारतीय सीमा पर सैन्य बलों की तैनाती और उकसाने वाले वीडियोज और तस्वीरें जारी करके भारत के संयम की परीक्षा ले रहा है. 

चीन के सरकारी न्यूज चैनल, चाइना सेंट्रल टेलीविजन के मुताबिक शनिवार को चीन ने भारत से लगी सीमा के पास एक अज्ञात स्थान पर, अपने सैनिकों को तैनात किया. चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने रविवार को इसका एक वीडियो भी जारी किया है. चीन ने LAC पर अपने जवानों को पहुंचाने के लिए नागरिक परिवहन सेवाओं का उपयोग किया है. 

निजी बसों, निजी कंपनियों के विमानों और ट्रेनों से जवानों को सीमा तक पहुंचाया गया है. इन सैनिकों में चीन की एयरफोर्स के Para-Troopers की टुकड़ियां भी शामिल हैं. इन जवानों को चीन के हुबेई प्रांत से उत्तर-पश्चिमी सीमा पर करीब 16 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात किया गया है. ये वही इलाका है जहां पिछले करीब एक महीने से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं. 

देखें DNA-

जवानों के अलावा चीन ने ट्रेनों के जरिये बड़े-बड़े टैंक्स और बख्तरबंद गाड़ियां भी सीमा के पास पहुंचाईं हैं. चीन की मीडिया के मुताबिक चीन की सेना ये दिखाना चाहती थी कि कितने कम समय में वो, भारत की सीमा तक अपने जवान और हथियारों को पहुंचा सकती है. 

चीन इस तरह के वीडियो जारी करके भारत पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इन तस्वीरों को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इतनी ऊंचाई पर भी चीनी सैनिक साधारण यूनिफार्म में हैं. जबकि इतने ऊंचाई वाले क्षेत्र में शरीर को ठंड से बचाने के लिए सैनिकों को खास तरह की यूनिफार्म पहनने की जरूरत पड़ती है. 

चीन ने ये प्रोपगेंडा वीडियो जारी करके बता दिया है कि उस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता. आप खुद सोचिए कि शनिवार को लद्दाख के चुशूल के सामने चीन के मोल्दो में दोनों देशों के बीच LAC पर तनाव कम करने को लेकर उच्च सैन्य अधिकारियों की बातचीत होती है. और अगले ही दिन, यानी रविवार को चीन, अपने सैनिकों की तैनाती वाला प्रोपगेंडा वीडियो, जारी कर देता है.  

ऐसा ही एक और वीडियो ग्लोबल टाइम्स ने आज भी जारी किया है. इस वीडियो में चीनी सैनिक, टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ किसी पहाड़ी इलाके दिखाई दे रहे हैं. ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि चीनी सेना की तिब्बत कमांड ने LAC पर, हाल ही में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था और इसके तहत
दुश्मन की सीमा में घुसकर उसकी बख्तरबंद गाड़ियों और सैन्य ठिकानों पर हमला करने का अभ्यास किया गया था. यानी ये कोई युद्ध अभ्यास तो नहीं था लेकिन भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने की कोशिश जरूर थी. 

जाहिर तौर पर चीन ने भारत के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ दिया है, और चीन ऐसा पहली बार नहीं कर रहा है. याद कीजिए जब डोकलाम में भारत और चीन की सेना आमने-सामने आ गईं थीं तब भी चीन ने तिब्बत में इसी तरह के प्रोपेगेंडा वीडियोज जारी करके भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश की थी. दरअसल, चीन की ये पुरानी रणनीति रही है कि वो फर्जी वीडियो, और विवादित सीमा के गलत नक्शे जारी करके दुश्मन देशों को उकसाने की कोशिश करता है, और विरोधियों के मन में अपनी सेना की ताकत का डर पैदा करने के लिए, ऐसे युद्धाभ्यासों की तस्वीरें जारी करता है, जिनकी प्रमाणिकता, हमेशा संदेह के घेरे में रहती है. इस बार भी चीन ऐसा ही कर रहा है. 

चीन के इस वीडियो वॉर के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना ने भी अपने पराक्रम का एक वीडियो जारी किया है. 

इस वीडियो में आप भारतीय के सैनिकों, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी इस वीडियो को अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है. 2 मिनट 4 सेकेंड के इस वीडियो में सेना के आसमान से लेकर जमीन तक की तैयारियों और प्रशिक्षण को दिखाया गया है. यहां तक कि रात में भी भारतीय सेना किस सजगता से दुर्गम इलाकों में अपना परचम लहराती है, ये भी इस वीडियो में प्रदर्शित किया गया है. ध्रुव वॉरियर्स नाम के इस वीडियो में भारतीय सेना की जल-थल और नभ की तैयारी दिखाई देती है. वीडियो में आसमान में कलाबाजी करते सुखोई विमान है तो वहीं ड्रोन कैसे भारतीय जवानों की आंख बना हुआ है, ये भी देखा जा सकता है. 

चीन की वीडियो आर्मी तो हम सब देख रहे हैं, लेकिन ये वीडियो आर्मी, जमीन पर बलवान है या फिर कायर है, इसे आज हम आपको बताते हैं. आपको पता होगा कि दुनिया भर के देश, संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के लिए अपने सैनिक भेजते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र दुनिया की उन जगहों पर तैनात करता है, जहां पर कोई गृह युद्ध या संघर्ष चल रहा है. ऐसी ही एक जगह दक्षिण सूडान है. 

दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा में चीन के सैनिक UN Peacekeeping मिशन के तहत तैनात थे. चीन के सैनिक वहां पर एक शरणार्थी शिविर की सुरक्षा करने के लिए लगाए गए थे. जुलाई 2015 में इस शिविर पर विद्रोही गुटों ने हमला कर दिया. वहां पर मौजूद लोगों की हत्या और महिलाओं के साथ बलात्कार किया. यहां से चीन के सैनिकों का कैंप सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर था. आप सोचिए कि जब वहां विद्रोही अत्याचार कर रहे थे, नागरिकों की हत्या कर रहे थे और महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहे थे, तो चीन के सैनिक अपने कैंपस से बाहर नहीं निकले. लोग खुद को बचाने के लिए अपील कर रहे थे, लेकिन चीन के सैनिकों को अपनी जान ज़्यादा प्यारी थी. जबकि इन सैनिकों की तैनाती ही नागरिकों की रक्षा करने के लिए हुई थी. बताया जाता है कि इसी लड़ाई में जब विद्रोही गुटों ने भारी हथियारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया और उनकी ओर से तोप का एक गोला चीन के सैनिकों के कैंप पर आकर गिरा, और इसके चीन के दो सैनिकों की मौत हो गई, तो चीन के सैनिक वहां से भाग गए. सिर्फ यही नहीं, भागते हुए चीन के सैनिक अपने हथियार और गोला बारूद भी छोड़ गए. ये किसी भी सैनिक के लिए कितने बड़े शर्म की बात है, कि वो अपने हथियार ही छोड़ कर भाग जाए. लेकिन चीन के सैनिकों ने दक्षिण सूडान में यही किया. इसे सुनकर आप समझ गए होंगे कि चाइनीज सैनिक भी चाइनीज प्रोडक्ट के जैसे ही होते हैं, जिनके टिकने की कोई गारंटी नहीं है.
 
अब इसी घटना में चीन के सैनिकों और भारत के सैनिकों का अंतर बताते हैं. जिस वक्त दक्षिण सूडान में ये हमला हुआ था, उस वक्त भारतीय सेना की एक टुकड़ी भी वहां पर थी, जिसे रिजर्व में रखा गया था. ये भारतीय सेना की 7वीं कुमाऊं रेजिमेंट के जवान थे, जिन्हें हमले के बाद हालात पर काबू पाने के लिए बुलाया गया था. बेखौफ होकर भारत के जवानों ने उस इलाके में विद्रोहियों को भगाया और उस इलाके को फिर से अपने कब्जे में लिया. बताया जाता है कि बाद में दक्षिणी सूडान के UN मिशन के कमांडर ने भारतीय सैनिकों से खुद मुलाकात की और इन सैनिकों का शुक्रिया अदा किया.

चीन की वीडियो आर्मी तो हम सब देख रहे हैं, लेकिन ये वीडियो आर्मी, जमीन पर बलवान है या फिर कायर है, इसे आज हम आपको बताते हैं. आपको पता होगा कि दुनिया भर के देश, संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के लिए अपने सैनिक भेजते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र दुनिया की उन जगहों पर तैनात करता है, जहां पर कोई गृह युद्ध या संघर्ष चल रहा है. ऐसी ही एक जगह दक्षिण सूडान है. 

दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा में चीन के सैनिक UN पीसकीपिंग मिशन के तहत तैनात थे. चीन के सैनिक वहां पर एक शरणार्थी शिविर की सुरक्षा करने के लिए लगाए गए थे. जुलाई 2015 में इस शिविर पर विद्रोही गुटों ने हमला कर दिया. वहां पर मौजूद लोगों की हत्या और महिलाओं के साथ बलात्कार किया. यहां से चीन के सैनिकों का कैंप सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर था. आप सोचिए कि जब वहां विद्रोही अत्याचार कर रहे थे, नागरिकों की हत्या कर रहे थे और महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहे थे, तो चीन के सैनिक अपने कैंपस से बाहर नहीं निकले. लोग खुद को बचाने के लिए अपील कर रहे थे, लेकिन चीन के सैनिकों को अपनी जान ज़्यादा प्यारी थी. जबकि इन सैनिकों की तैनाती ही नागरिकों की रक्षा करने के लिए हुई थी. बताया जाता है कि इसी लड़ाई में जब विद्रोही गुटों ने भारी हथियारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया और उनकी ओर से तोप का एक गोला चीन के सैनिकों के कैंप पर आकर गिरा, और इसके चीन के दो सैनिकों की मौत हो गई, तो चीन के सैनिक वहां से भाग गए. सिर्फ यही नहीं, भागते हुए चीन के सैनिक अपने हथियार और गोला बारूद भी छोड़ गए.

 ये किसी भी सैनिक के लिए कितने बड़े शर्म की बात है, कि वो अपने हथियार ही छोड़ कर भाग जाए. लेकिन चीन के सैनिकों ने दक्षिण सूडान में यही किया. इसे सुनकर आप समझ गए होंगे कि चाइनीज सैनिक भी चाइनीज प्रोडक्ट के जैसे ही होते हैं, जिनके टिकने की कोई गारंटी नहीं है. 

चीन जानता है कि युद्ध की स्थिति में उसको सैनिकों की कमी झेलनी पड़ सकती है. इसलिए उसने इसका भी इंतजाम किया हुआ है. चीन में सभी नागरिकों के लिए दो वर्ष के लिए सैन्य सेवाएं देना अनिवार्य है. 

चीनी सेना में 35 प्रतिशत पद अनिवार्य सेवा के लिए आरक्षित होते हैं. सेना में ग्रामीण और शहरों से 50-50 प्रतिशत जवानों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है.

नागरिकों के लिए चीनी सेना में पहले हर वर्ष भर्ती निकलती थी, जो पहले वर्ष में सिर्फ एक बार होती थी. सेना में शामिल नागरिकों को 90 दिन की सैन्य ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें युद्ध के मैदान में लड़ने के लिए भेजा जा सके. 

रक्षा विशेषज्ञ ये भी दावा करते हैं कि राजनीतिक विचारधारा से सैनिकों का ब्रेनवॉश, दुनिया में सिर्फ चीन की Communist Party ही करती है, और इसी कारण से चीन की सेना को कम्यूनिस्ट पार्टी की सेना भी कहा जाता है. 

भारत पूरे संयम और पूरी सख्ती के साथ चीन का जवाब दे रहा है, लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सरकार पर ही राजनैतिक तोप चला रहे हैं. राहुल गांधी ने पहले शायरी करके ये कहा कि सबको सीमा की हकीकत के बारे पता है, फिर उन्होंने कहा कि मीडिया को डरा धमका दिया गया है लेकिन भारत के सैनिकों को सच पता है, वो जानते हैं कि लद्दाख में क्या हो रहा है. 

लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जवाब दिया है और कहा कि वो संसद में विस्तार से बताएंगे कि भारत और चीन की सीमा पर क्या हो रहा है. 

 




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