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Tuesday, December 23, 2025
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drug effect on brain: Drug In Stress: ड्रग्स लेने पर कैसा महसूस होता है, आखिर क्यों हैं बॉलिवुड में इतने ड्रगी? – sushant singh rajput death case and bollywood drug consumption drug effect on brain

ड्रग्स के सेवन को लेकर जिस स्तर का हंगामा इस समय हमारे देश में देखने को मिल रहा है, उसका पूरा फोकस इस समय केवल बॉलिवुड है। लेकिन ऐसा नहीं है कि ड्रग्स का कंजंप्शन केवल बॉलिवुड मे होता है। हां लेकिन ड्रग्स केस में फंस चुकी जया साहा ने एनसीबी की पूछताछ में सितारों का बचाव करने के लिए जिस तरह के तर्क दिए हैं, उनसे दिल्ली के जाने माने सायकाइट्रिस्ट एग्री नहीं करते हैं…

क्या वाकई ड्रग्स लेने से स्ट्रेस कम होता है? इस बारे में बात करते हुए मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज (दिल्ली) के सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार कहते हैं कि कोई भी ड्रग हमारे ब्रेन के मिड पार्ट में पहुंचने पर प्लेजर ऐक्टिविटीज के सर्किट में जाकर काम करता है। आमतौर पर ब्रेन का यह हिस्सा सेक्स, फूड, प्लेजर ऐक्टिविटीज, म्यूजिक आदि के कारण ऐक्टिव होता है। ड्रग्स भी ब्रेन के इसी सर्किट पर काम करता है और ड्रग लेने के बाद हाई फील होने लगता है।

क्या होती है हाई फीलिंग?
-हाई फील करने के दौरान आप खुद को फुल ऑफ एनर्जी महसूस करते हैं। इस दौरान आप आस-पास के माहौल से पूरी तरह कट जाते हैं और तनाव देनेवाली बातों को भूल जाते हैं। डिसइनिवेटिव बिहेवियर (जो काम आप एलर्टनेस में नहीं कर सकते) कुछ समय के लिए नींद और थकान गायब हो जाती हैं।

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क्या वाकई स्ट्रेस कम करने के लिए बॉलिवुड स्टार्स लेते हैं ड्रग्स (एक पार्टी फोटो)

हाई फील में होते हैं ‘लो’ काम
-जब व्यक्ति हाई फील करता है तो उसकी कॉन्शियसनेस कम हो जाती है, जजमेंट पुअर हो जाता है और रीजनिंग में भी मुश्किल होती है। इस कारण उनका व्यवहार सामान्य स्थिति की अपेक्षा में बहुत अधिक बदल जाता है। इस अवस्था में लोगों का रोबरी, रेप, ऐक्सिडेंट और इंपल्सिव बिहेवियर करना बहुत अधिक सामान्य ऐक्टिविटीज हैं। अक्सर इस हाई फील के दौरान व्यक्ति ऐसे काम नहीं कर पाता है, जिनमें पूरे फोकस की जरूरत होती है।

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क्यों सितारे यूज करते हैं ड्रग्स?
-सुशांत डेथ केस से जुड़े ड्रग्स मामले में जेल में बंद जया साहा का कहना है कि फिल्मी सितारे अपने स्ट्रेस और डिप्रेशन को कम करने के लिए ड्रग्स लेते हैं। इस बारे में डॉक्टर राजेश कहते हैं कि यह पूरी तरह एक मिथ है कि एंग्जाइटी और डिप्रेशन में लोग ड्रग्स लेते हैं। अपने क्लीनिकल एक्सपीरियंस के बारे में बात करते हुए डॉक्टर कुमार कहते हैं कि एंग्जाइटी और डिप्रेशन के इलाज में कुछ खास पेथी की सीमित दवाओं को छोड़ दिया जाए तो कोई मेडिसिन ऐसी नहीं है, जिसके कॉम्पोनेंट इन ड्रग्स से मिलते-जुलते भी हों। जबकि ड्रग्स का सेवन करने से इन बीमारियों के लक्षण बढ़ जरूर जाते हैं।

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मिड ब्रेन पर होता है ड्रग का असर

फन के लिए लेते हैं
-आमतौर पर एडिक्शन के शिकार लोग फिर भले ही वे सिलेब्रिटी ही क्यों ना हों, ड्रग्स का सेवन फन के लिए करते हैं। लेकिन वो लोग हमेशा किसी और को अपने ड्रग्स अडिक्शन का कारण बताते हैं। मतलब वे अपने ऊपर जिम्मेदारी ना लेकर किसी और पर प्रोजेक्ट करते हैं या कहिए कि दोषी ठहराते हैं, इसे सायकॉलजी की भाषा में डिफेंस मैकेनिज़म कहा जाता है।

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-ड्रग लेनेवाले लोग अलग-अलग कारण देते हैं कि हमने ड्रग्स का सेवन इस कारण किया या उस कारण किया… जैसा कि वे उदाहरण देते हैं कि इन देशों में तो लीगलाइज है ड्रग्स लेना, इसलिए भारत में भी इन्हें लेने की छूट होनी चाहिए। जबकि उन्हें बात की जानकारी नहीं होती है कि जिन देशों में इन ड्रग्स पर पाबंदी नहीं है, वहां भी मेंटल इलनेस के इलाज के लिए इन ड्रग्स का सेवन नहीं किया जाता है।

हर प्रफेशन में है स्ट्रेस
-डॉक्टर राजेश कहते हैं कि जितना पेन आपको सफलता के स्तर पर पहुंचने के लिए लेना पड़ता है, उससे अधिक पेन आपको सफलता की ऊंचाइयों पर बने रहने के लिए लेना पड़ता है। लेकिन यह बात सिर्फ बॉलिवुड पर नहीं बल्कि हर प्रफेशन पर लागू होती है। इसलिए इस कारण को वैलेड नहीं माना जा सकता कि बॉलिवुड सितारे स्ट्रेस कंट्रोल करने के लिए ड्रग्स लेते हैं।

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सुशांत डेथ मिस्ट्री में ड्रग ऐंगल पर जांच

स्ट्रेस से बचने के लिए क्या करें
-डॉक्टर राजेश के अनुसार, स्ट्रेस कम करने के कई दूसरे तरीके होते हैं, जो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने का काम करते हैं। इनमें माइंडफुलनेस प्रैक्टिस, मेडिटेशन, योगा और अन्य स्प्रिचुअल प्रैक्टिस की जा सकती हैं। आप सायकाइट्रिस्ट से ट्रीटमेंट, सायकॉलिजस्ट से काउंसलिंग या स्प्रीचुअल काउंसलिंग ले सकते हैं। ये सभी स्ट्रेस से लड़ने के हेल्दी तरीके हैं।

यदि आप अपना तनाव कम करने के लिए ड्रग्स लेते हैं तो आप बस कुछ देर के लिए अपने स्ट्रेस को दूर कर पाते हैं। लेकिन इसके साथ ही खुद को अन्य समस्याओं में झोंक रहे होते हैं। इनमें मेंटल और फीजिकल दोनों तरह की बीमारियां शामिल हैं।

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