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Sunday, December 28, 2025
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बिजली क्षेत्र में संकल्पित प्रयासों से प्रदेश बना सरप्लस स्टेट

भोपाल। प्रदेश में सुचारू बिजली प्रदाय सुनिश्चित करने सरकार कृत संकल्पित है। पिछले वर्षों में बिजली उपलब्धता में वृद्धि के लिये किये गये प्रयासों से प्रदेश बिजली के क्षेत्र में सरप्लस स्टेट बन गया है। वर्तमान में प्रदेश की बिजली उपलब्ध क्षमता 22 हजार 730 मेगावाट है। प्रदेश में औद्योगिक, वाणिज्यिक सहित सभी गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घंटे तथा कृषि उपभोक्ताओं को लगभग 10 घंटे बिजली प्रदाय की जा रही है। वर्तमान रबी मौसम में 30 दिसम्बर 2022 को 17 हजार 65 मेगावाट की अधिकतम बिजली मांग की सफलता पूर्ति की गई, जो प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है। वर्ष 2022-23 के दौरान पारेषण कंपनी द्वारा 239 सर्किट कि.मी. पारेषण लाइनों एवं 3091 एमव्हीए क्षमता के अति उच्च दाब उप केन्द्र के कार्य पूर्ण किए जाना प्रस्तावित है, जिसमें 6 नये अति उच्च दाब उप केन्द्र शामिल हैं। साथ ही वितरण कंपनियों द्वारा प्रस्तावित विभिन्न योजनाओं में 371 किमी 33 केव्ही लाईन, 834 किमी 11 केव्ही लाईन, 31 नये 33 केव्ही उपकेन्द्र, 85 पावर ट्रांसफार्मर तथा 2405 वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किये जायेंगे। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमेप-2023 में ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर में 12 अति उच्च दाब उप केन्द्रों एवं 46 नग अति उच्च दाब लाइनों के निर्माण कार्य पूर्ण कर नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों की सुचारू निकासी सुनिश्चित की गई है। वितरण अधो-सरंचना में उपयोग होने वाले ट्रांसफार्मर, मीटर, केबल आदि की गुणवत्ता सुधार के लिये प्रथम चरण में जबलपुर, भोपाल, इन्दौर, उज्जैन एवं ग्वालियर में इन हाउस परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं। दूसरे चरण में सतना, छिंदवाड़ा, सागर गुना एवं बड़वाह में प्रयोगशालाओं की स्थापना की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है। पारेषण लाइनों की टॉप पेट्रोलिंग के कार्य में इस वर्ष नवीनतम ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग शुरू किया गया, जिससे मानवीय संसाधनों की बचत होगी एवं लाईनों के संधारण का कार्य तेजी से एवं सटीक हो सकेगा। श्री सिंगाजी ताप बिजली परियोजना, खंडवा में 600 मेगावॉट की इकाई क्रमांक 1 द्वारा 19 नवम्बर 2021 से 10 जुलाई 2022 तक अर्थात् 233 दिन तक लगातार बिजली उत्पादन का कीर्तिमान स्थापित किया गया। प्रथम प्राप्त सामगी का प्रथम उपयोग का नियम लागू करवाया, जिससे गारंटी अवधि में समाप्त हो रही सामग्री का उपयोग किया जा सका एवं उनमें आयी खराबी को बिना किसी व्यय के सुधारा जा सका। इससे 2 वर्षों में 58 करोड़ रूपये की बचत संभव हुई है। उपभोक्ता बिजली दरों पर सर्वाधिक प्रभाव बिजली उत्पादन लागत का रहता है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में जनरेटिंग कंपनी के ताप बिजली गृहों की इकाइयों में ट्रिपिंग अत्यधिक थी, जिससे तेल खपत में वृद्धि होने के कारण उत्पादन दर अधिक थी। मासिक समीक्षा कर विगत 2 वर्षों में ट्रिपिंग की संख्या में 25 प्रतिशत तक की कमी की गयी है। कोयले की गुणवत्ता की सतत समीक्षा से हीट रेट में भी विगत 2 वर्षों में 0.65 प्रतिशत की कमी आई है। इससे विगत 2 वर्षों में 75 करोड़ रूपये की बचत संभव हो सकी है। बिजली दरों में वृद्धि न हो इसलिए राज्य शासन द्वारा ताप बिजली परियोजनाओं में महंगे विदेशी कोयले का क्रय नहीं किया गया है। अति उच्च दाब फीडरों पर ट्रिपिंग में 18 प्रतिशत एवं उच्च दाब फीडरों पर 6 प्रतिशत की कमी लाई गयी है। इससे उपभोक्ताओं को 14 प्रतिशत अधिक बिजली प्रदाय हो सकी है। प्रदेश में विशेषकर शहरी क्षेत्रों में फॉल्स बिलिंग की समस्या के निराकरण के लिए पोल आधारित उपभोक्ता इंडेक्सिंग का कार्य शुरू किया गया है। प्रदेश के सभी वितरण केन्द्र जोन में प्रतिदिन 10 उपभोक्ताओं से चर्चा कर बिजली प्रदाय की वास्तविक स्थिति का फीडबेक लिया जा रहा है। इसमें अब तक 25 लाख 94 हजार 404 उपभोक्ताओं से संवाद किया गया है, जिसमें संतुष्टि का प्रतिशत 98 है। कोरोना की विपरीत परिस्थितियों में सभी श्रेणियों के बिजली उपभोक्ताओं को लगभग 1000 करोड़ रूपये की राहत दी गई है। निम्न आय वर्ग के 88 लाख उपभोक्ताओं के 5334 करोड़ रूपये के बिल माफ किए गए हैं। विद्युत् वितरण कंपनियों के सतत प्रयासों एवं राज्य शासन के समर्थन से प्रदेश की तकनीकी और वाणिज्यिक हानियां (ए.टी. एण्ड सी. हानि), जो वित्तीय वर्ष 2019-20 में 31.4% थीं, कम होकर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 20.3% हो गई हैं। यह भारत सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित लक्ष्य 33.84% से कम है।मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी द्वारा अमरकंटक ताप बिजली गृह में 4666 करोड़ रूपये की लागत से 660 मेगावाट क्षमता की एक नई इकाई की स्थापना प्रस्तावित है। स्मार्ट मीटर योजना में तीनों वितरण कंपनियों द्वारा प्रथम चरण में लगभग 23 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाना प्रस्तावित है। बिजली मंत्रालय, भारत सरकार की रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम में राज्य की तीनों वितरण कंपनियों के लागत 24 हजार 170 करोड़ रूपये के कार्यों को सहमति दी गई। योजना में प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग एवं सिस्टम मीटरिंग, वितरण हानियों में कमी के लिए प्रस्तावित कार्य, प्रणाली के सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण के कार्य शामिल हैं। उच्च दाब संयोजनों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्राप्त कर ऑनलाइन भुगतान पर संयोजन स्वीकृति की व्यवस्था लागू की गई है। उद्योगों को बिजली संयोजन के लिए आवश्यक दस्तावेजों की संख्या कम कर दी गई। 33 केव्ही तक के नवीन बिजली संयोजन के लिए चार्जिंग परमिशन तथा 33 केव्ही तक की विद्यमान संस्थापनाओं का आवधिक निरीक्षण बिजली निरीक्षक से कराने की अनिवार्यता को हटाते हुए उपभोक्ता द्वारा स्व-प्रमाणन की व्यवस्था लागू कर उपभोक्ता की सहायता के लिए चार्टर्ड विद्युत् सुरक्षा इंजीनियर को अधिकृत किया गया है। 132 केव्ही एवं इसके ऊपर के बिजली संयोजन के लिए बिजली निरीक्षक से चार्जिंग परमिशन को लोक सेवा गारंटी अधिनियम में लाया गया है। उद्योगों को दी जाने वाली विभिन्न बिजली सेवाओं को भी इस अधिनियम में लाया गया है। उपभोक्ताओं द्वारा उच्च एवं निम्न दाब के नये कनेक्शन के लिए आवेदन नाम भार उपयोग परिवर्तन, प्रोफाईल में परिवर्तन, बिल भुगतान एवं शिकायत, सेल्फ फोटो रीडिंग, मीटर स्थान परिवर्तन एवं स्थाई विच्छेदन के लिए स्मार्ट बिजली एप विकसित किए गए हैं। बिलिंग के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। मोबाईल एप द्वारा फोटो मीटर रीडिंग की सुविधा का विस्तार कर उपभोक्ता को स्वयं मीटर की फोटो के साथ अपनी रीडिंग अपलोड करने की सुविधा दी गयी है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली प्रदाय संबंधी शिकायतों के निराकरण के लिए केन्द्रीयकृत कॉल सेंटरों (1912) की क्षमता वृद्धि की गई है। उपभोक्ता संतुष्टि के लिए फीडबैक व्यवस्था भी है। असंतुष्ट उपभोक्ताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क कर, समस्या निराकरण के प्रयास किये जाते हैं। समाचार-पत्रों, ट्विटर, फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया से प्राप्त शिकायतों पर भी तुरंत कार्यवाही की जा रही है। ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर के अंतर्गत उपकेन्द्रों एवं लाइनों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। आर. पी. ओ. दायित्वों की पूर्ति करते हुए नवकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए ग्रिड स्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए 12 अति उच्च दाब उप केन्द्रों एवं सम्बंधित 46 पारेषण लाइनों का निर्माण निर्धारित समय में पूरा किया गया है। स्थानीय निर्माताओं को प्रोत्साहन के लिए निर्णय लिया गया है कि भविष्य में कुल सामग्री खरीदी में न्यूनतम 10 प्रतिशत राशि की सामग्री स्थानीय निर्माताओं से खरीदी जाए।

(लेख के लेखक प्रदुम्न सिंह तोमर हैं, वे मध्य प्रदेश शासन के ऊर्जा मंत्री हैं।)

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