- गडकरी ने कहा कि उद्योग जगत को मजदूरों के बारे में सोचना चाहिए
- इस संकट में कुछ लोगों का त्याग को देख रहा हूं, यही भारत की ताकत
कोरोना संकट के बीच देश में हर किसी को मजदूरों के बारे में सोचना चाहिए. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर हरसंभव मदद दे रही है. लेकिन आम आदमी को भी इस संकट में आगे आना चाहिए. क्योंकि यह संकट हमेशा नहीं रहने वाला है.
दरअसल, कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच इंडिया टुडे ग्रुप ई-एजेंडा आजतक कार्यक्रम में सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि हम अमेरिका-जापान की तरह आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं हैं, इसलिए वहां उठाए कदम को यहां लागू करना संभव नहीं है.
गरीबों को लेकर सबको सोचने की जरूरत: गडकरी
गडकरी ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार इस कोशिश में जुटी है कि इस संकट के बीच कोई भूखा नहीं सोए, एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस संकट के दौर में उद्योग जगत को मजदूरों के बारे में सोचना चाहिए. संकट में जो खड़ा होता है उसे ही सच्चा साथी कहा जाता है. गडकरी का कहना है कि यह संकट हमेशा नहीं रहेगा, लेकिन अभी किया हुआ काम हमेशा याद किया जाएगा.
गडकरी ने कहा, ‘सरकार जनधन खातों में पैसे डाल रही है, देश में चावल-गेहूं की कमी नहीं है और गरीबों को उचित रेट पर दिया जा रहा है, इस समय सभी को मजदूरों के पीछे खड़ा रहना चाहिए.
‘कुछ लोग दिल खोलकर कर रहे हैं मदद’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस संकट से देश जल्द बाहर निकलेगा, इसलिए इस दौर में किसी को नौकरी से न निकालें. कोरोना की वजह से मजदूर से लेकर संस्था तक संकट में हैं. लेकिन संस्था की कोशिश होनी चाहिए कि फिलहाल घर से भी मजदूर को भुगतान करना पड़े तो करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के त्याग को देख रहा हूं और यही भारत की ताकत है.
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आजतक इस कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर है, इसके लिए वित्त मंत्रालय द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, बाजार में जब नकदी बढ़ेगी, तभी अर्थव्यवस्थ का पहिया आगे बढ़ेगा. नए उद्योग को लगाने के लिए नियमों में ढील दील दी जा रही है, जब उद्योग लगेगा तभी रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
विदेशी निवेश पर सरकार का फोकस
गडकरी ने कहा कि मैं जो कहता हूं वो करता हूं, दिल्ली-मुंबई हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण का काम हो गया है, कुछ लोगों को ये विश्वास नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि अब उनका मंत्रालय भी नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट के लिए विदेशी निवेश की कोशिश करेगा. अगले 2 वर्षों में 15 लाख करोड़ रुपये के काम करने का लक्ष्य है. जब तेजी से सड़कें बनेंगी तो सीमेंट की खपत होगी, मजदूरों को रोजगार मिलेगा, लोगों के हाथों में जब पैसा आएगा, तो वो खर्च करेंगे, तभी अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी.