औषधीय गुणों से भरपूर है इलायची
जब बात इलायची की आती है तो ज्यादातर लोग सिर्फ छोटी वाली हरी इलायची के बारे में ही जानते हैं। लेकिन इलायची एक और तरह की होती है जिसे काली इलायची या बड़ी इलायची भी कहते हैं। बड़ी इलायची तेज सुगंध और औषधीय लाभों के लिए जानी जाती है। काली इलायची का इस्तेमाल मसाले के तौर पर तो होता ही है लेकिन औषधि के रूप में भी किया जाता है जिससे कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इलाचयी के बीजों से निकाले गए तेल को सबसे प्रभावी इसेंशियल ऑयल के तौर पर जाना जाता है, जिसे व्यापक रूप से अरोमाथेरपी में उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. ए के मिश्रा बता रहे हैं काली इलायची से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में…
हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद
काली इलायची हृदय की लय को नियंत्रित करती है, जो आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है। काली इलायची के नियमित सेवन से हार्ट हेल्दी रहता है। यह खून के थक्के की संभावनाओं को कम करता है।
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पेट को रखे स्वस्थ
काली इलायची पेट के लिए काफी फायदेमंद होती है। यह पेट के ऐसिड की मात्रा को नियंत्रण में रखने के लिए रस स्राव की प्रक्रिया को विनियमित करने में भी मदद करता है। नतीजतन, गैस्ट्रिक अल्सर या अन्य पाचन विकारों के विकास की संभावना काफी कम हो जाती है।
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सांस की बीमारियों में फायदेमंद
अगर आपको गंभीर सांस की तकलीफ है, तो काली इलायची आपके लिए एक बेहतरीन औषधि है। अस्थमा, काली खांसी, फेफड़े की जकड़न, ब्रॉन्काइटिस, पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस जैसी कई सांस से संबंधित बीमारियों का इस छोटे से मसाले से सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। यह आपके श्वसन पथ को गर्म करता है जिससे फेफड़ों के माध्यम से हवा का संचार आसान हो जाता है।
वायरस और फंगस को दावत देते हैं कार्पेट और पर्दे
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लोग अपने घर को सजाने और सुंदर बनाने के लिए घर में कार्पेट और पर्दे लगाते हैं। अलग-अलग रंगों के इन कार्पेट्स और पर्दों से घर की खूबसूरती तो बढ़ जाती है, लेकिन यही कार्पेट और पर्दे आपको अस्थमा जैसे गंभीर रोग का शिकार भी बना सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि घर में बिछाए गए कार्पेट और खिड़की-दरवाजों पर भारी-भरकम पर्दों में मौजूद वायरस और फंगस, अस्थमा को तेजी से दावत देते हैं। यह चीजें अस्थमा पर ट्रिगर की तरह काम करती हैं यानी जितनी स्पीड से बंदूक से गोली निकलकर दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाती है, ठीक उसी तरह यह चीजें गोली की तरह अस्थमा को बुलाती हैं।
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वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर डॉ राजकुमार ने बताया, ‘घर के कार्पेट और पर्दों पर हवा चलने की वजह से मिट्टी जम जाती है। मिट्टी जमने के बाद लोग इसे झाड़ू से साफ कर देते हैं या फिर कपड़ा मार देते हैं, लेकिन इसके बावजूद इनमें धूलकण और बैक्टीरिया फंसे रह जाते हैं। इनके जमने से सांस लेने पर यह बैक्टीरिया शरीर के अंदर चले जाते हैं, जिससे अस्थमा हो सकता है। यदि लोग घर में कार्पेट और पर्दे लगाने के शौकीन हैं, तो उन्हें उसकी सफाई का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। वैक्यूम क्लीनर से सफाई की जानी चाहिए। अस्थमा के मरीजों को इन सभी चीजों से दूर रहना चाहिए। खासकर उस वक्त जब घर या कहीं आस-पास सफाई हो रही हो। दुनिया भर में अस्थमा के 30 करोड़ से भी ज्यादा मरीज हैं। भारत में तो हालत और भी खराब है। यहां तो हर 10वां व्यक्ति अस्थमा की चपेट में है।’
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डॉ. राजकुमार का कहना है कि अस्थमा होने की सबसे बड़ी वजह जागरुकता की कमी है। अस्थमा ऐसी बीमारी है जो अगर एक बार किसी व्यक्ति को हो जाए तो इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। डॉक्टरों की मानें तो अगर किसी व्यक्ति की लगातार सांस फूल रही हो, सांस लेने पर छाती से आवाज आ रही हो, लंबे समय से खांसी हो या मौसम बदलने पर परेशानी होती हो, तो डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए।
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अस्थमा होने का एक बड़ा कारण घर में पेट्स को पालना भी हो सकता है। घर में गाय, भैंस और बकरी पालने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है, लेकिन अब घर में कुत्ते और बिल्ली पालने का चलन शुरू हो गया है, जो अस्थमा का एक बड़ा कारण है। इन जानवरों के बालों में भी कई बैक्टीरिया और धूलकण जम जाते हैं। लोग इनके साथ बैठकर खाना खाते हैं, सोते हैं जिससे अस्थमा का खतरा दोगुना बढ़ जाता है, इसलिए इन जानवरों से दूरी जरूरी है।
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बुखार, सिरदर्द, जुकाम होने पर लोग अपनी मर्जी से आईब्रुफीन या अन्य गोलियां डॉक्टर की सलाह के बिना खा लेते हैं, जो शरीर में अस्थमा के रोग पैदा कर सकती है। बुखार हो या सिरदर्द, सभी अलग-अलग स्तर पर होते हैं। ऐसे में अपने मन से गोलियों खाने की बजाय डॉक्टर की सलाह से ही दवा खानी चाहिए।
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लोग भूख लगने पर कुछ भी खा लेते हैं। पैक्ड स्नैक्स, तली-भुनी चीजें…यह चीजें अस्थमा को ट्रिगर कर सकती हैं। सोया, मूंगफली भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जो अस्थमा को बढ़ा सकती हैं। लिहाजा इन्हें भी जरूरत से ज्यादा खाने की बजाए सोच समझकर लिमिट में रहकर ही खाना चाहिए।
ओरल हेल्थ
कई दंत रोगों, जैसे दांतों का संक्रमण, मसूड़ों के संक्रमण आदि का इलाज काली इलायची से किया जा सकता है। इसके अलावा, इसकी तीक्ष्ण सुगंध मुंह की बदबू या खराब सांस को ठीक करने में मदद कर सकती है।
किडनी को क्लीन करने में मददगार
काली इलायची एक प्रभावी मूत्रवर्धक होने के कारण, पेशाब की समस्या और गुर्दे की गंदगी को साफ करने में मदद करती है। यह आपके गुर्दे की प्रणाली को स्वस्थ रखती है।
दूर होता है स्कैल्प का इंफेक्शन
काली इलायची का ऐंटिऑक्सिडेटिव गुण आपके स्कैल्प और बालों को पोषण प्रदान करने में सहायक होते हैं। यह प्राकृतिक रूप से ऐंटिसेप्टिक और जीवाणुरोधी होती है, इसलिए इसका सेवन स्कैल्प पर खुजली-जलन और संक्रमण को रोकने के लिए भी अच्छा है।
घर पर बने इन ड्रिंक्स से मिलेगा किडनी स्टोन से छुटकारा
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किडनी स्टोन की समस्या से पीड़ित लोगों को न सिर्फ असहनीय दर्द बल्कि उसके कारण होने वाली हेल्थ से जुड़ी अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। स्टोन को शरीर से बाहर निकालने में कुछ होममेड ड्रिंक्स काफी मदद कर सकते हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में:
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हल्के गरम या फिर नॉर्मल पानी से बना नींबू पानी रोज पिएं। नींबू में मौजूद साइट्रेट शरीर में कैल्शियम से बनने वाले स्टोन्स को बनने से रोकता है। साथ ही में यह पहले से मौजूद छोटे स्टोन्स को ब्रेक कर उन्हें यूरिन के थ्रू पास होने में भी मदद करता है।
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बेसिल के पत्तों को चाहे तो फ्रेशली क्रश कर या फिर मार्केट से उसका ड्राई फॉर्म खरीदकर पानी में डालें। इस पानी को रोज सुबह पिएं। बेसिल में मौजूद ऐसेटिक ऐसिड न सिर्फ किडनी स्टोन को तोड़ने में मदद करता है बल्कि यह स्टोन से होने वाले दर्द को भी कम करता है।
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बेसिल की तरह ही ऐपल साइडर विनिगर में भी ऐसिटिक ऐसिड होता है। यह स्टोन को तोड़कर उसे डिजॉल्व होने और शरीर से उसके बाहर निकलने में मदद करता है। इसे पीने के लिए एक ग्लास में गरम पानी लें और उसमें एक चम्मच ऐपल साइडर विनिगर मिलाएं। रोज इसका एक ग्लास पिएं।
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धनिया सिर्फ सब्जी का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि अगर इसका जूस पीने पर स्टोन की समस्या से भी निजात मिलती है। ब्लेंडर में धनिए के साथ पानी मिलाकर जूस तैयार करें और चाहे तो इसका स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें दो-तीन पुदीने की पत्तियां भी डाल दें।
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अनार के दानें अलग से निकाल लें और ब्लेंडर में डालकर उसका जूस बना लें। रोज इस जूस का एक ग्लास पीने पर शरीर से स्टोन को फ्लश आउट करने के साथ ही बॉडी को टॉक्सिन फ्री करने में भी मदद मिलती है। इसके साथ ही यह एसिडिटी लेवल को भी कम करता है। (डिस्क्लेमर: किडनी स्टोन को बॉडी से निकालने में ये ड्रिंक्स मददगार साबित हो सकती है लेकिन इन्हें स्टोन का इलाज न सझमें। स्टोन की समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह को पूरी तरह फॉलो करें।)