कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा में हाथियों के उत्पात के चलते किसानों का मोह खेती-किसानी से भंग हो रहा है. हाथियों के उत्पात के चलते जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाक में रबी की फसल की बोआई का रकबा 40 फीसदी कम हो गया है. बीते वर्ष ब्लाक में रबी का रकबा 12 हजार 145 हेक्टेयर था. इस बार वह कम होकर 10 हजार 323 हेक्टेयर हो गया है. सबसे अधिक प्रभावित पसान और केंदई रेंज हैं. दोनों ही रेंज में हाथियों के विचरण से गेहूं और चना की बोआई बंद हो गई है. पिछले डेढ़ माह से 45 हाथी यहां डंटे हैं. इस दौरान क्षेत्र के 147 किसानों के 1500 हेक्टेयर से भी अधिक फसल को नुकसान पहुंचा चुके हैं.
पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाक को दलहन और तिलहन की खेती के लिए जाना जाता है. हाथियों ने सबसे अधिक अरहर की फसल को नुकसान पहुंचाया है. इन दिनों खेतों से धान की फसल कट चुकी है. जंगल में चारा नहीं होने से हाथी बस्ती में घुसकर बाड़ी में लगी सब्जियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. किसान हरिनाथ साहू और चन्द्र मोहन कोर्राम का कहना है कि किसानों का मोह फसल लगाने से भंग हो रहा है. क्योंकि हाथी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
5 सालों से जारी है हाथियों का उत्पात
केंदई रेंज के परिक्षेत्र सहायक महेंद्र कुमार साहू ने बताया की पिछले 5 सालों से हाथियों का उत्पात जारी है. हाथियों के खेती बाड़ी और घर नुकसानी का वर्त्तमान में ढाई सौ मुआवज़ा प्रकरण बने हैं, जिसमें कुछ की किसानो का मुआवजा राशि उनके खातों में आनी बची है. दो दंतैल हाथी अलग अलग बीट में मौजूद हैं. रात में विचरण कर हानि पंहुचा रहे हैं. उनके कार्यकाल में अब तक 12 लोगों की जान हाथी ले चुके हैं.
महेन्द्र साहू का कहना है कि ग्रामीणों की मदद और हाथी मित्र दल की मदद से हाथियों की ट्रैकिंग कर जान माल हानि से बचाने की कवायद की जा रहे है. बहरहाल हाथी के उत्पात से प्रभावित ग्रामीण नाराज हैं. खुद को असहाय और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. वन विभाग केवल मुआवजा प्रदान कर औपचारिकता का निर्वहन कर रहा. हाथियों की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए फिरहाल कोई स्थाई निदान नजर नहीं आ रहा.
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