नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President) द्वारा पूछे जाने पर कि क्या डिस्इंफेक्टेन्ट्स (disinfectants) का इंजेक्शन और ब्लीच कोरोना वायरस का इलाज कर सकता है, इससे संबंधित एक सर्वेक्षण किया गया. सर्वेक्षण में ये तो पता नहीं चला कि ट्रंप की ये अटपटी बात कोरोना इलाज में कितनी कारगर हो सकती है लेकिन ये जरूर पता चला कि एक तिहाई से अधिक अमेरिकियों ने संक्रमण को रोकने की कोशिश में क्लीनर और डिस्इंफेक्टेन्ट्स का खासा दुरुपयोग किया है.
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सर्वेक्षण में सामने आया कि कई नागरिक (US Citizens) ब्लीच से भोजन धो रहे हैं और अपनी स्किन पर डिस्इंफेक्टेन्ट्स स्प्रे कर रहे हैं. कुछ लोग तो जानबूझकर इन उत्पादों को या तो सांस के जरिए इन्हेल कर रहे थे या इन्हें निगल तक रहे थे. मई 4 में 502 अमेरिकी वयस्कों ने सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के ऑनलाइन सर्वेक्षण में कुछ ऐसी ही “हाई-रिस्क” प्रैक्टिसेस के बारे में बताया.
सर्वेक्षण के लेखक ने इस बारे में नोटिस किया कि महामारी के बीच कीटाणुनाशक और सफाईकर्मियों को उनकी सेवाएं देने के लिए बहुत लोगों ने संपर्क साधा.
सर्वेक्षण में शामिल कम से कम 39 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सीडीसी द्वारा अनुशंसित नहीं की गई कम से कम एक हाई-रिस्क प्रैक्टिस जानबूझकर कर रहे थे. सर्वेक्षण में शामिल चार फीसदी ने माना कि उन्होंने गरारे करने के लिए पतला ब्लीच सॉल्यूशन, साबुन के पानी या डिस्इंफेक्टेंट्स का इस्तेमाल किया.
सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि एक-चौथाई लोगों में उत्पादों के ऐसे उपयोग से स्वास्थ्य पर कम से कम एक बुरा प्रभाव देखा गया है.
गौरतलब है कि अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी कोरोना वायरस टास्कफोर्स ब्रीफिंग के दौरान वैज्ञानिकों से पूछा था कि क्या संक्रमित के शरीर में कीटाणुनाशक डालने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है.