नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया के बढ़ते चलन के बीच, बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इसके नाम पर हो रही फूहड़ता और अशोभनीय पोशाकों पर गहरी चिंता व्यक्त की है।बागेश्वर महाराज ने स्पष्ट किया कि गरबा और डांडिया हमारी परंपरा का अभिन्न अंग हैं, लेकिन जिस तरह से कुछ युवा कम कपड़े पहनकर, गलत दृष्टिकोण से, और केवल रील व फोटो बनाने के लिए इसे खेल रहे हैं, उससे उन्हें देवी उपासना का पुण्य प्राप्त नहीं होता है।
उन्होंने पुरजोर आग्रह किया है कि गरबा पंडालों में केवल उन्हीं युवक-युवतियों को प्रवेश दिया जाना चाहिए, जिनकी पोशाकें पूरी हों। महाराज का कहना है कि गरबा ज़रूर हो, लेकिन यह हमारी भारतीय परंपरा और मां दुर्गा की महिमा का मज़ाक नहीं बनना चाहिए।
गौ मूत्र के छिड़काव और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर पूर्व में की गई अपील
महाराज ने अपनी पुरानी अपील को भी दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था कि गरबा पंडाल के गेट पर आने वाले लोगों पर गौ मूत्र का छिड़काव करना चाहिए और गैर-हिंदुओं को प्रवेश नहीं देना चाहिए।उनके पूर्व के बयानों के बाद कई पंडालों में ऐसे बैनर भी लगाए गए थे कि अन्य मजहब के लोगों को गरबा में प्रवेश न दिया जाए। इस पर टिप्पणी करते हुए, महाराज ने कहा, “जब हम दूसरे मजहब के आयोजनों में शामिल नहीं होते, तो उन्हें भी हमारे धार्मिक उत्सवों में नहीं आना चाहिए।
“सनातनियों द्वारा ही धर्म का उपहास
बागेश्वर धाम सरकार ने इस बात पर भी गहरा अफसोस जताया कि जितना मज़ाक सनातन धर्मावलंबी स्वयं अपने धर्म का बनाते हैं, उतना अन्य मजहब के लोग भी नहीं करते।उन्होंने नवरात्रि की विडंबना बताते हुए कहा कि जो लोग नौ दिन दुर्गा-दुर्गा करते हैं, वही दसवें दिन दारू और मुर्गा करते हैं।यह खबर बागेश्वर धाम सरकार के उस संदेश को विस्तार से प्रस्तुत करती है जिसमें उन्होंने नवरात्रि के पावन पर्व पर गरबा और डांडिया की गरिमा बनाए रखने पर ज़ोर दिया है।