एमपी कांग्रेस में परिवारवाद का नया संस्करण
सोनिया के साथ राहुल और प्रियंका गांधी पार्टी हाईकमान की उपेक्षा से नाराज!
भोपाल। कांग्रेस में जो हो जाए वह कम है। प्रदेश में एक समय तक एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस में पहले भी गुटबाजी चरम पर ही है, लेकिन अब नई तरह के परिवारवाद की राजनीति सामने आ रही है। अब देखिए न कांग्रेस बाप-बेटों की ‘बपौती’ बनकर रह गई है। जो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अभी तक बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी में एक दूसरे के साथी थे। अब अपने वारिस को बड़ा नेता साबित करने के लिए गली कूचे में होने वाली लड़ाई की तरह सरेआम जुबानी जंग लड़ रहे हैं।
बता दें कि तीन साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाते ही कांग्रेस की सरकार भी चली गई थी। तब लग रहा था कि कांग्रेस में गुटबाजी का दौर थम गया है, लेकिन अब जबकि चुनाव सिर पर है, पार्टी 18 साल से विपक्ष में बैठी है। इतने सालों में बहुत कुछ बदल गया, लेकिन नहीं बदली तो कांग्रेस की ‘गुटबाजी’। अब गुटबाजी से एक कदम आगे बढ़कर ‘बपौती’ तक बात पहुंच चुकी है। पुत्र मोह में नेता इतने ‘अंधे’ हो चुके हैं कि पूरा कांग्रेस हाई कमान उनके आगे बौना दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, जहां छिंदवाड़ा की सभी 6 सीटें बेटे नकुल नाथ से ऐलान करवा रहे हैं, वहीं टिकट वितरण में भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह का दखल तेजी से बढ़ रहा है। वचन पत्र के विमोचन के मौके पर कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच तू—तू, मैं—मैं, सबने देखी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक दूसरे के हमसफर दो दिग्गज नेता आपस में भिड़े हैं।

कमल नाथ ने अपने बेटे नकुल नाथ को मजबूत करना शुरू कर दिया है, वहीं दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह को बड़ा नेता बनाना चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस की मुख्यधारा के बड़े नेता सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, विवेक तनखा अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

चुनाव में कांग्रेस को हो सकता है भारी नुकसान
मतदान की तारीख के पूरे एक महीने पहले कमल नाथ और दिग्गी का यह विवाद चुनाव में पार्टी को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छिन्दवाड़ा की 6 सीट पर प्रत्याशी घोषित करने का अधिकार नकुल नाथ को देना सीधे—सीधे नेतृत्व को सीधी चुनौती दे रहा है। वहीं प्रदेश में कांग्रेस के इकलौते सांसद नकुल नाथ भी पार्टी लाइन को धता बता कर केंद्रीय चुनाव समिति के निर्णय से पहले अपने प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान असहाय नजर आ रही है। प्रदेश के नेताओं ने इसकी शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सर्वेसर्वा नेता सोनिया गांधी से भी की है। अंदरखाने की मानें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चेतावनी दी है कि हालात नहीं सुधरे तो वे मध्यप्रदेश से दूरी बना सकते हैं।

भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा (Narendra Saluja) ने इस पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया कि छिन्दवाड़ा की 6 सीट पर प्रत्याशी घोषित करने का अधिकार नकुल नाथ (Nakul Nath) को….. दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) जी , सुरेश पचौरी (Suresh Pachouri) जी , अरुण यादव (Arun Yadav) , अजय सिंह (Ajay Singh Rahul Bhaiya) , कांतिलाल भूरिया (Kantilal Bhuria) , विवेक तनखा (Vivek Tankha) को भी क्या अपने-अपने क्षेत्रों में टिकट घोषित करने का अधिकार कमलनाथ (Kamal Nath) जी ने दिया है….? असहाय कांग्रेस…. ऐसा आज तक इतिहास में नहीं हुआ है…. नेतृत्व को सीधी चुनौती….