उज्जैन। श्री सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात भगवान हर (महाकाल) और हरि (गोपालजी) का दिव्य मिलन हुआ। इस अवसर पर भगवान महाकाल ने गोपालजी को सृष्टि संचालन का भार सौंपा। प्रतीक स्वरूप, महाकाल की ओर से गोपालजी को बिल्व पत्र की माला पहनाई गई, वहीं गोपालजी की ओर से महाकाल को तुलसी की माला अर्पित की गई।
कार्यक्रम में परंपरा अनुसार गोपाल मंदिर के पुजारियों ने अवंतिकानाथ को वस्त्र, फल, सूखे मेवे और मिष्ठान भेंट किए।महाकालेश्वर मंदिर से रात 11 बजे राजसी वैभव के साथ हरिहर मिलन की सवारी निकली, जिसमें पुलिस अश्वरोही दल, बैंड, सशस्त्र बल और अग्निरोधी दस्ता शामिल रहे। यह सवारी कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए रात 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची, जहां भगवान महाकाल और गोपालजी का मिलन हुआ।
पूजन-अर्चन के बाद रात 2 बजे महाकाल की सवारी पुनः मंदिर के लिए रवाना हुई।हरिहर मिलन की मान्यता:धार्मिक मान्यता के अनुसार, देव शयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं। इस दौरान पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान शिव के पास रहती है। देव उठनी एकादशी पर जब विष्णुजी जागते हैं, तब बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शिवजी यह सत्ता पुनः विष्णुजी को सौंप देते हैं। इसी दैवीय परंपरा को हरि-हर मिलन कहा जाता है।


