Yemen Under Attack as US Launches operation: डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने जहां गाजा और हमास की सांसे हलक में अटकी हैं, तो ट्रंप का दूसरा फैसला हूती आतंकियों के लिए मौत की काली छाया बन सकता है. दरअसल यमन की मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक हूती आतंकियों के खिलाफ अब डायरेक्ट जमीन से सैन्य अभियान की तैयारी चल रही है. अगर ऐसा हुआ तो हूतियों का नामोनिशान मिट जाएगा.
माजरा क्या है?
यमन से आई खबरों की मानें तो देश की मान्यता प्राप्त सरकार ने एक बड़ी मिलिशिया फोर्स खड़ी कर ली है. इस फोर्स में तकरीबन 80 हजार लड़ाके शामिल हैं. इस फौज का टारगेट है होदैदा बंदरगाह पर अपना कब्जा करना. इस पोर्ट को हूती आतंकवादियों का गढ़ माना जाता है. जानकारों का ये भी मानना है कि इस फोर्स को खड़ा करने के पीछे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका का भी हाथ हो सकता है.
पिछले हफ्ते सऊदी अरब में अमेरिका की सेंट्रल कमांड के जनरल माइकल और यमन की फौज के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल हमूद अजीज की मुलाकात हुई थी. माना जा रहा है इस मुलाकात के बाद हूती आतंकियों के खिलाफ सबसे बड़े सैन्य अभियान पर सहमति बन गई है. यानी यमन में एक बार फिर 2014 जैसे हालात बन सकते हैं.
2014 में क्या हुआ था?
साल 2014 में हूती आतंकियों के गुट अंसार अल्लाह ने यमन की सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. यमन की सरकार पर सुन्नी मुस्लिमों का दबदबा था. जबकि ‘अंसार अल्लाह’ शिया लड़ाकों का गुट है. शिया-सुन्नी के नाम पर हुआ ये टकराव गृहयुद्ध में बदल गया था. इस जंग में दोनों पक्षों के तकरीबन 20 हजार लड़ाके मारे गए थे. लाखों यमनी नागरिक विस्थापित हो गए थे. पश्चिमी और दक्षिणी यमन पर हूती आतंकियों का कब्जा हो गया था.
हूतियों का अंत तुरंत!
गाजा का युद्ध शुरु होने के बाद यमन के इसी पश्चिमी हिस्से से हूती आतंकी लगातार व्यापारिक जहाजों पर हमले कर रहे हैं. हमास की हिमायत में किए जा रहे इन हमलों की वजह से लाल सागर से होने वाला व्यापार तकरीबन 50 प्रतिशत कम हो गया है. अमेरिका और यूरोप दोनों महाशक्तियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
इसी वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने पहले हूती आतंकियों पर हवाई हमलों का ऑर्डर दिया था. अब बड़ी फौज खड़ी कर हूतियों को जमीन से खदेड़कर नेस्तोनाबूद करने की तैयारी की जा रही है.
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