भोपाल। अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो वह गोबर भी खरीदेगी। पशुपालक या गोबर बेचने वाले को 2 रुपये प्रतिकिलो दिया जाएगा। यह वचन कांग्रेस ने जनता को दिया है। मंगलवार को जारी वचन पत्र (घोषणा पत्र) में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ‘गोबर खरीदी’ योजना का जिक्र किया। हालांकि वचन पत्र में कांग्रेस ने योजना की विस्तार से जानकारी तो नहीं दी है, लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि कांग्रेस का क्या प्लान है और गोबर खरीदी किस मैकेनिज्म से की जाएगी।
दरअसल, गोबर खरीदी की योजना देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में 20 जुलाई, 2020 को शुरू की गई है। वर्ष 2018 में हुए चुनाव से पहले वहां कांग्रेस ने योजना का ऐलान किया था। जब सरकार बनी तो लोगों से गोबर खरीदी शुरू कर दी गई। वहां योजना को ‘गोधन न्याय योजना’ नाम दिया गया है। मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस योजना को यही नाम देगी। छत्तीसगढ़ में अगस्त 2023 तक राज्य के 3 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों ने गोबर बेचकर लाभ कमाया है। इसी से प्रेरित होकर मध्य प्रदेश में इसे लागू करने का मन बनाया है। अगर छत्तीसगढ़ का मॉडल देखें तो पता चलता है कि वहां पर सरकार ने गोबर खरीदी के लिए स्व-सहायता समूहों को काम में लगाया है। वहां समूह की महिलाएं गोबर खरीदी करती हैं। यह गोबर में रखा जाता है। इससे महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है। सरकार जितना भी गोबर खरीदेगी उससे जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट बनाई जाएगी। फिर यह खाद किसानों को बेची जा सकेगी। जैविक खाद की कीमत 8 से 10 रुपये प्रतिकिलो हो सकती है।जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के मृदा वैज्ञानिक और कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. शेखर सिंह बघेल कहते हैं कि वर्तमान समय में किसान पशुओं से दूर हो रहे हैं। पशुपालन पर नकारात्मक असर दिख रहा है। ऐसे में गोबर खरीदी होने से दूध के अलावा किसानों को गोबर से भी अतिरिक्त आय होगी। वहीं, गोबर से बनने वाली खाद से जैविक कृषि ज्यादा होगी।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस जीती तो किसानों से खरीदा जाएगा गोबर, मिलेंगे 2 रुपये किलो
