नई दिल्ली: ईंधन रिसाव के कारण मुश्किल में फंसे मॉरीशस की मदद के लिए भारत आगे आया है. नई दिल्ली की तरफ से कहा गया है कि पर्यावरण संकट में घिरे मॉरीशस की मदद के लिए हर संभव उपाय तलाशे जा रहे हैं.
मॉरीशस के पास हिंद महासागर में 4000 टन ईंधन ले जा रहे जापानी जहाज के मूंगा चट्टान से टकराने के बाद कई टन ईंधन का रिसाव हो गया है. जिसके चलते मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ (Prime Minister Pravind Jugnauth) ने ‘पर्यावरणीय आपातकाल’ घोषित किया है.
भारत सरकार के सूत्रों ने Zee News के सहयोगी चैनल WION को बताया कि इस संकट की स्थिति में भारत मॉरीशस के अधिकारियों से नियमित संपर्क में हैं. सूत्रों ने कहा कि सरकार विभिन्न संभावनाओं का पता लगा रही है और पर्यावरण चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कदम उठाये जाएंगे. इंडियन ऑयल (मॉरीशस) लिमिटेड ने पहले से ही साइट पर एक बार्ज तैनात कर दी है, ताकि जहाज से ईंधन निकालने की स्थिति में सहायता प्रदान की जा सके.
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गौरतलब है कि भारत और मॉरीशस के बीच घनिष्ठ संबंध हैं. 30 जुलाई को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस के समकक्ष प्रविंद जगन्नाथ ने भारत की सहायता से बनाई गई नई सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग का उद्घाटन किया था. अक्टूबर 2019 में, प्रधानमंत्री मोदी और मॉरीशस पीएम ने संयुक्त रूप से मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना के पहले चरण और मॉरीशस में नए ईएनटी अस्पताल परियोजना का उद्घाटन किया था.
ईंधन रिसाव के चलते स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है. सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में उन पर्यावरणीय इलाकों के पास पानी में गहरे रंग का तैलीय पदार्थ फैलता दिखा है, जिन्हें सरकार ने बेहद संवेदनशील बताया है. ईंधन की वजह से मूंगों, मछलियों और समुद्री जीवों को लेकर पर्यावरणविद परेशान हैं. प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने कहा था कि रिसाव के रूप में आई ये आपदा करीब 13 लाख आबादी वाले उनके देश के लिए खतरा है जो पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है.