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Monday, December 22, 2025
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injections: 11वीं क्लास के छात्र को 5 दिन में लगे 16 इंजेक्शन, कोविड के कठिन वक्त में भी ठहाके लगाते रहे ईशान – real covid story of a school student who was given 16 injections due to covid 19

दीवाली रोशनी, पॉजिटिविटी, गुडनेस और एक्साइटमेंट से भरा त्यौहार है। इस साल की दीवाली पर लाखों लोगों ने भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए अपने दिल के दरवाज़े खोल कर रखे थे। लेकिन मेरा परिवार इस खुशी का हिस्सा नहीं बन पाया। दरअसल, हमने उस दिन अपनी आंखें खोलीं तो पता चला कि फैमिली के लोग जानलेवा COVID-19 की चपेट में आ गए हैं।

जिस महामारी को हमने तकरीबन सालभर भगाने की कोशिश की थी आखिरकार हम उसकी चपेट में आ ही गए। यह कहना है 11 क्लास के स्टूडेंट ईशान अरोरा का, जिसे अपने जीवन में उस वक्त सबसे बड़ा झटका लगा जब रोशनी के त्योहार दीवाली पर उनके परिवार के सदस्यों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उन्होंने अपने दर्द के साथ एक उत्साह को भी बयां किया। ईशान ने बताया कि इस कठिन दौर को उन्होंने किस तरह से गुजारा।

गोवर्धन पूजा के दिन अस्पताल में भर्ती हुए पेरेंट्स

डॉक्टर्स ने हमें हमारी सेहत और ऑक्सीजन लेवल पर ध्यान देने और वक्त पर दवा लेने की सलाह दी थी। स्थिति डराने वाली थी लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि हम उस वक्त तनावपूर्ण वाले जीवन से दूर रहे। अगले दिन, मेरे पिताजी के spO2 का लेवल 89 तक गिर गया (95 से ऊपर का स्तर सामान्य माना जाता है)। यह अत्यधिक गंभीर मामला था, क्योंकि वह डायबिटीज के मरीज थे और परिवार में सबसे कमजोर थे। दीवाली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन मेरी मां अस्पताल में भर्ती होने के लिए बार-बार फोन कर रही थी और तब मैंने बर्तन धोए और भोजन तैयार किया। उसी दिन की शाम को एक एम्बुलेंस आई और मेरे पापा को भी अस्पताल ले गई। उन्हें तुरंत आईसीयू में ले जाया गया और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया।

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मुझ पर थी पूरे घर की जिम्मेदारी

अस्पताल में भर्ती मेरे पिता को उस वक्त प्लाज्मा डोनर की जरूरत थी और अगले दो दिनों में मेरी मां का sp2 लेवल भी नीचे आ गया। मां का sp02 लेवल पिता से भी कम हो गया था। हालांकि, मेरी मां मुझे घर पर अकेला छोड़ अस्पताल में भर्ती नहीं होना चाहती थी। लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें भर्ती होकर ही मुझसे संपर्क में रहने की सलाह दी। इस बार, मैंने मां के लिए अस्पताल के एक बेड को रिजर्व करने की बार-बार कोशिश की और दोपहर में उन्हें भर्ती कराया गया। अगले हफ्ते के लिए मेरे घर सारा भार मुझ पर और मेरे पालतू जर्मन शेफर्ड पर था। मैं ईश्वर का सदा आभारी रहूंगा, क्योंकि उन्हें याद कर ही मुझे भरोसा था कि मेरे माता-पिता पेशेवर चिकित्सा उपचार से जल्द ठीक होंगे। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि जब भी मैंने अपने माता-पिता की स्थिति के बारे में सोचा, तब भगवान ने मुझे उस चिंता से मुक्त करने के लिए शक्ति दी। मैं उन्हें दिन में कई बार फोन करता था और हर बार उनके स्वस्थ होने की खुशी में मुझे यही आवाजें आती रहीं कि वे ठीक थे।

शानदार रही डॉग की कंपनी और दोस्तों ने किया लाइट मूड

इन 7 दिनों के दरमियान मुझे सिर्फ अपने डॉग की कंपनी मिली जिसके साथ मैंने पूरा सप्ताह गुजारा। उस वक्त मेरे हाल-चाल लेने और मदद करने के लिए कई दोस्तों का आना हुआ जिन्होंने मेरे मूड को हल्का करने की कोशिश की। मेरे लिए यह ये लम्हे भी बेहद सुखद थे। मेरे सबसे अच्छे दोस्तों में से एक के परिवार और मेरे पड़ोसी ने मुझे ताजा, घर का बना भोजन भेजकर मेरी काफी मदद की। इतने अच्छे लोगों की वजह से मैं बुरे वक्त में भी अधिक तनाव और परेशानियों से घिरा हुआ नहीं था। मैं बहुत भाग्यशाली था। बाद में आखिरकार मेरी मां अस्पताल से घर लौट आई और उनके बाद पापा भी वापस आए। तब हमने दोनों के आने को लेकर एक जश्न सेलिब्रेट किया और खुशी के पलों को जिया। अगले दिन मेरा अपना sp02 लेवल 86 तक गिर गया।

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पेरेंट्स के डिस्चार्ज होते ही अस्पताल में भर्ती हए ईशान

उस वक्त हमने सोचा था कि अब सब ठीक हो रहा है, लेकिन अब अस्पताल में भर्ती होने के लिए मेरी बारी थी। यकीनन यह मेरे लिए डरावना था। मुझे आईसीयू में ले जाया गया और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। जहां पर मेरे पास कंपनी के लिए केवल एक छोटी गणेश की मूर्ति थी। अस्पताल में भर्ती होने के 5 दिनों के टाइम पीरियड में मुझे 16 इंजेक्शन दिए गए। इस कठिन वक्त में मैंने अपने जीवन के अच्छे लम्हों के बारे में सोचा। ICU से 3 दिनों के बाद मुझे एक जनरल COVID रूम में शिफ्ट किया गया और उस वक्त मेरे दोस्तों ने मुझसे घंटों तक ग्रुप वीडियो कॉल पर बातें कीं। इसी तरह मैंने अपने कोविड सफर को जिया और जंग को जीता।

2020 ने सिखाई कई चीजें

2020-

ईशान का कहना है कि जीवन अनमोल है, और साल 2020- भले ही दर्दनाक और बेरंग रहा हो, लेकिन इससे भी हमें काफी कुछ सीख मिली है। घर पर रहें, सुरक्षित रहें, मास्क पहनें, और सबसे महत्वपूर्ण बात, स्वस्थ रहें- मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से। यहां तक कि इन दिनों बड़े पैमाने पर केबिन फीवर के बावजूद, जीवन को पूरी तरह से एक की शर्तों पर जीया जा सकता है। किताब उठाओ, वीडियो गेम खेलो, अपना पसंदीदा संगीत सुनें। । कुछ ही समय में, आप खुद को एक खुश और आनंदित जगह में पाएंगे।

अंग्रेजी में इस स्‍टोरी को पढ़ने के लिए यहां क्‍लिक करें


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