इस्लामाबाद/बीजिंग: इस्लामोफोबिया को लेकर पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) का दोहरा चरित्र एक बार फिर उजागर हुआ है. इमरान आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ने पर फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, लेकिन चीन के मुद्दे पर उनकी जुबान को लकवा मार गया है. चीनी टेलीविजन पर पैगंबर मोहम्मद की तस्वीर दिखाने को लेकर वह मौन हैं.
क्या अब बहिष्कार करेंगे?
अब सवाल यह उठता है कि क्या खुद को इस्लाम के पैरोकार करार देने वाले पाकिस्तान और तुर्की चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे? फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने पर एक युवक ने शिक्षक का सिर कलम कर दिया था. पुलिस की कार्रवाई में जब वह युवक मारा गया तो मुस्लिम देश भड़क उठे. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (Emmanuel Macron) का धार्मिक कट्टरता के खिलाफ दिया बयान उन्हें बिलकुल भी रास नहीं आया. इसके जवाब में फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार का अभियान शुरू कर दिया गया.
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फ्रांस के खिलाफ लिख डाला पत्र
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो बाकायदा मुस्लिम देशों को पत्र लिखकर पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुट होने की अपील तक कर डाली. उन्होंने कहा कि इस्लामोफोबिया से ग्रस्त पश्चिम देशों की लीडरशिप को सही रास्ते पर लाने के लिए मुस्लिम देशों का एकजुट होना जरूरी है. लेकिन अब चीन के मुद्दे पर उनके मुंह से आवाज नहीं निकल रही है.
सीसीटीवी में दिखाया चित्र
चीन के टीवी चैनल चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) पर प्रसारित टीवी सीरीज का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, जिसमें तांग राजवंश के शासन के दौरान अरब राजदूत के चीन जाने के सीन को दिखाया गया है. वीडियो में अरब राजदूत को पैगंबर मोहम्मद के चित्र को चीनी सम्राट को भेंट करते हुए देखा जा सकता है. टीवी सीरीज ‘कैरोल ऑफ झेंगुआन’ में पैगंबर मोहम्मद का चित्र दिखाया गया है. गौर करने वाली बात यह है कि न तो चीन प्रशासन और न ही टीवी चैनल ने इस दावे का खंडन नहीं किया है. यानी चीनी अधिकारियों को इससे कोई समस्या नहीं है. लिहाजा, यह सवाल उठाना लाजमी है कि क्या तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश पैगंबर मोहम्मद का चित्रण करने वाले चीन का विरोध करेंगे?
जारी है फ्रांस की कार्रवाई
मुस्लिम देशों की धमकी और बहिष्कार के बावजूद फ्रांस की सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रखी है. फ्रांस ने कई मस्जिदों पर ताला लगा दिया है. बता दें कि राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कट्टरपंथी इस्लाम की कड़ी आलोचना की थी. शिक्षक की हत्या को उन्होंने इस्लामिक आतंकवादी हमला बताया था. अपने ताजा बयान में मैक्रों ने कहा कि वो फ्रांसीसी लोगों की रक्षा के लिए कड़े फैसले लेते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘विवादों के बावजूद,निर्णय लेने में कठिनाई के बावजूद, मेरी जिम्मेदारी सभी फ्रांसीसी लोगों की रक्षा करना है’.
भारत फ्रांस के साथ
दुनियाभर के मुस्लिम देश फ्रांस का विरोध कर रहे हैं, लेकिन भारत खुलकर फ्रांस के साथ आ गया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि अंतरराष्ट्रीय वाद-विवाद के सबसे बुनियादी मानकों के उल्लंघन के मामले में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की हम निंदा करते हैं. हम साथ ही भयानक तरीके से क्रूर आतंकवादी हमले में फ़्रांसीसी शिक्षक की हत्या की भी निंदा करते हैं. हम उनके परिवार और फ्रांस के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं. किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद के समर्थन का कोई औचित्य नहीं है.