Sunday, June 29, 2025
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हमास से इजरायल का ‘इंतकाम’ऑन होल्ड, 46 दिन बाद 4 दिन के संघर्षविराम की इनसाइड स्टोरी

DNA Analysis: हमास के खिलाफ इजरायल के युद्ध को आज 47 दिन पूरे हो गये. 46 दिन से इजरायल के हमलों और गाजा पट्टी के हालात की तस्वीरें आपने देखी हैं. लेकिन बीते एक महीने से हमास को जड़ से ख़त्म करने पर अड़ा इजरायल, अब 4 दिन के Ceasefire पर सहमत हो गया है. कोई इसे इजरायल का Master Stroke बता रहा है तो कोई इसे हमास के सामने इजरायल के Surrender के तौर पर देख रहा है. दरअसल, Ceasefire को लेकर बीते काफी दिनों से Qatar, Turkiye और अमेरिका कोशिशें कर रहे थे. इन देशों को इसमें 47वें दिन कामयाबी तब मिली, जब मंगलवार की देर रात इजरायली प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu ने Cabinet Meeting की. जिसमें Ceasefire पर सहमति जताई गई. 

इजरायल ने मानीं हमास की शर्तें

इजरायल अभी अस्थायी तौर पर 4 दिन के लिए युद्धविराम करेगा. लेकिन यहां सबसे बड़ी बात ये कि Netanyahu हमास की शर्तों पर Ceasefire पर तैयार हुए हैं. हमास की पहली शर्त है कि वो 240 बंधकों में से सिर्फ 50 को ही रिहा करेगा. इसपर इजरायल राजी है. हमास जिन 50 बंधकों को रिहा करेगा, उनमें महिला और बच्चे ही शामिल होंगे. किसी बंधक सैनिक को नहीं छोड़ा जायेगा. इसपर भी इजरायल सहमत हो गया. हमास ने शर्त रखी कि इजरायल को 150 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करना होगा. इसके लिए भी इजरायल ने हामी भर दी. हमास की शर्त है कि वो हर दिन 12 से 13 के ग्रुप में बंधकों को छोड़ेगा, जिसके बदले एक दिन का Ceasefire होगा, इसके लिए इजरायल तैयार है. हमास की शर्त है कि South गाजा के ऊपर 6 घंटे, सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक Drone Surveillance रोकनी होंगी. ऐसा करने को इजरायल तैयार है. जिन 50 बंधकों को हमास रिहा करेगा उनमें 30 बच्चे, 12 महिलाएं और 8 बुजुर्ग महिलाएं होंगी. इजरायल इसके लिए भी राजी हो गया. फिलहाल 4 दिन के Ceasefire का ऐलान किया गया है, इस समयसीमा के बाद अगर इजरायल 150 और फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने के लिए तैयार हो जाता है. तो हमास 24 घंटे Ceasefire के बदले 10 बंधकों को रिहा कर सकता है.

हमास के सामने इजरायल का सरेंडर?

इजरायल-हमास के बीच Ceasefire होना राहत की बात है, लेकिन ये हमास के सामने इजरायल का Surrender ज्यादा लगता है. क्योंकि Ceasefire के लिए जिन शर्तों पर सहमति बनी है. वो सभी शर्तें हमास ने रखी हैं और इजरायल इन शर्तों को मानने के लिए तैयार हो गया. हालांकि इजरायल के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि अगर कुछ भी गड़बड़ हुई तो हमास से इंतकाम लेने की कार्रवाई दोबारा शुरु हो जाएगी. सवाल है कि युद्ध के 47वें दिन एकाएक ऐसा क्या हुआ कि जो Netanyahu हमास की शर्तें मानने को तैयार हो गये. इसे लेकर कहा जा रहा है कि 50 बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल ऐसा कर रहा है. क्योंकि, अपने लोगों को छुड़ाना इजरायल की प्राथमिकता में रहा है. अपने नागरिकों की रक्षा करना गलत नहीं है. 7 अक्टूबर को हमास आतंकियों ने जो नरसंहार इजरायल में घुसकर किया था, उसका बदला लेने के लिए ही इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध शुरू किया. लेकिन इस युद्ध की कीमत गाजा के आम लोगों को भी चुकानी पड़ी है.

गाजा में आम लोगों के 45 फीसदी घर तबाह

इजरायल ने चेतावनी देकर उत्तरी गाजा से लाखों लोगों को पलायन के लिए कहा था, ताकि आम नागरिकों को नुकसान ना उठाना पड़े. इसके बाद इजरायल ने उत्तरी गाजा में इतने बम बरसाए कि हज़ारों इमारतों को जमींदोज कर दिया. इजरायल दावा करता रहा कि सिर्फ हमास आतंकियों के ठिकानों पर हमले किये गये, लेकिन क्या इजरायल के हमलों में सिर्फ आतंकियों के अड्डे ही तबाह हुए. आम लोगों के घर इससे प्रभावित नहीं हुए. जबकि United Nations की एक रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में 45 फीसदी घर आम लोगों के तबाह हुए हैं. गाजा की Health Ministry की आधिकारिक Report के मुताबिक 14 हज़ार 128 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, इससे कई गुना ज्यादा घायल हुए हैं. और हज़ारों इमारतें तबाह होने के बाद इजरायल Ceasefire पर राजी हुआ. जबकि इजरायल के 1200 लोगों की हमास के हमले में जान गई. सवाल है कि अगर इजरायल के लोगों का जीवन बहूमुल्य है, तो गाजा के आम नागरिकों को जीने का अधिकार क्यों नहीं है. जिन्हें हमास के अपराध की कीमत चुकानी पड़ रही है.

हमास का Offer स्वीकार

प्रधानमंत्री Netanyahu 47वें दिन Ceasefire को तैयार हुए, इसके लिए भी उन्हें हमास का Offer स्वीकार करना पड़ा. सवाल है कि जब एक महीने पहले हमास ने ऐसा ही Offer दिया था तब Netanyahu क्यों तैयार नहीं हुए, तब वो हमास को पूरी तरह ख़त्म करने पर अड़े हुए थे. आखिर, 47 दिन बाद किस मजबूरी ने इजरायल को हमास के सामने झुकने पर मजबूर कर दिया. हमास की शर्तों पर इजरायल सीजफायर को राजी हुआ, इसे सीधे तौर पर इजरायल के सरेंडर के तौर पर देखा जा रहा है. इस सीजफायर में अमेरिका ने भूमिका निभाई है, इसलिए जिन 50 बंधकों को हमास छोड़ेगा उनमें अमेरिकी भी होंगे. लेकिन सवाल ये कि 46 दिन से हमास का नामोंनिशान मिटाने की कसम खा रहे प्रधानमंत्री नेतन्याहू सीजफायर के लिए कैसे और क्यों राजी हो गये. क्यों इजरायल हमास के सामने झुक गया.

नेतन्याहू ने क्यों मानी हमास की शर्त?

46 दिन से नेतन्याहू यही दावे कर रहे थे. दुनिया की आपत्तियों को दरकिनार कर उनका एक ही कहना था, कि हमास के साथ कोई नरमी नहीं बरती जायेगी. अगर गाजा में आम लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है तो इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. यहां तक दावा किया था कि सीजफायर सरेंडर करने जैसा होगा. कुछ दिन पहले तक सीजफायर को सरेंडर बताने वाले नेतन्याहू, अब एक तरह से सरेंडर ही कर गए हैं. अब नेतन्याहू सीजफायर के लिए मजबूर हुए हैं तो उसकी एक नहीं बल्कि चार वजह हैं. पहली वजह.. बंधकों को छुड़ाना मुश्किल हुआ. इजरायल डिफेंस फोर्स को पक्की ख़बर थी, कि हमास आतंकियों ने सभी बंधकों को उत्तरी गाजा के अल शिफा अस्पताल में रखा हुआ है. बीते हफ्ते इजरायली सेना ने इस अस्पताल को घेर लिया था, फिर सेना अस्पताल के अंदर दाखिल हुई. IDF ने अल शिफा अस्पताल में बंधकों को रखे जाने के सबूत दिखाये.

अल शिफा अस्पताल में नहीं मिले बंधक

अल शिफा अस्पताल में जब बंधक नहीं मिले, तब इजरायल को सीजफायर के लिए राजी होना पड़ा. जानकारों की मानें तो इससे पहले IDF को यकीन था, कि वो अपने दम पर बंधकों को छुड़ा लेंगे. इससे इजरायली सैनिक देश की नज़रों में हीरो बनेंगे. क्योंकि, इससे पहले इजरायली सेना एक महिला बंधक सैनिक को छुड़ाने में कामयाब हो चुकी थी. दूसरी वजह यह है कि 7 अक्टूबर के बाद से तेल अवीव में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. नेतन्याहू पर दबाव बढ़ता जा रहा था. करीब एक महीने पहले सीजफायर से इजरायल ने इनकार किया था, लेकिन इजरायल में प्रोटेस्ट बढ़ते गये. लोगों की मांग थी कि हमास के साथ डील करनी चाहिए. मंगलवार की रात भी बंधकों के रिश्तेदार सड़क पर उतर आए और सीजफायर के लिए दबाव बनाया.

..नेतन्याहू भड़क गए

तीसरी वजह यह है कि हमास के खिलाफ युद्ध को लेकर नेतन्याहू ने कुछ दिन पहले कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी. जिसमें डिप्टी स्पीकर और सांसद निसिम वेतुरी भी थे. उन्होंने मीटिंग के बाद एक इजरायली रेडियो चैनल को इंटरव्यू दिया, इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इजरायल को गाजा में आग लगा देनी चाहिए. कैबिनेट मीटिंग की बातें लीक हुई तो इसपर नेतन्याहू भड़क गए. लेकिन सांसद निसिम वेतुरी नहीं रुके, उन्होंने अपने बयान पर कायम रहने का ट्वीट कर दिया. इससे भी नेतन्याहू पर सीजफायर के लिए दबाव बढ़ा. चौथी वजह ये है कि इजरायल ने उत्तरी गाजा के लोगों को क्षेत्र छोड़ने की चेतावनी दी थी, साथ ही गाजा में मानवीय सहायता के लिए भी रास्ता रोक दिया था. इजरायल के इस कदम से कई समर्थक देश भी खुश नहीं थे. सीजफायर के लिए लगातार इजरायल पर दबाव बढ़ रहा था, दूसरी तरफ महीनेभर अमेरिका कतर के साथ सीजफायर के लिए डील में लगा हुआ था. आखिरकार 47वें दिन इजरायल और नेतन्याहू को इसके लिए राजी होना पड़ा.

गाजा करीब-करीब तबाह

इजरायल सीजफायर पर तब सहमत हुआ, जब गाजा करीब-करीब तबाह हो चुका है. अगर सीजफायर पर पहले सहमति बन जाती, तो बंधक भी अबतक रिहा हो चुके होते. और गाजा में इतना भारी नुकसान नहीं होता. हमास को ये बात पहले से पता थी कि जबतक उसकी कैद में इजरायली बंधक रहेंगे. वो इजरायल से अपनी शर्तें मनवा सकता है. अक्टूबर में 50 बंधकों को रिहा करने के बदले हमास ने 6000 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई की मांग की थी. जिसे इजरायल ने मानने से इनकार कर दिया था. अब हमास की शर्त मानते हुए इजरायल 150 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ने के लिए राजी हो गया है, लेकिन इजरायल के लिए इन कैदियों की रिहाई इतनी आसान नहीं है.

  • इजरायल की जेलों में बंद कैदियों को छोड़ने के नियम बेहद सख्त हैं.
  • ऐसे कैदी जिनपर इजरायली नागरिकों की हत्या का आरोप है
  • ऐसे कैदी को छोड़ने से पहले Victim Family को बताया जाता है
  • परिवार को Supreme Court में अपील करने के लिए 24 घंटे का वक्त दिया जाता है
  • अगर Victim Family कोर्ट जाती है, तो कैदी की रिहाई रुक सकती है.
  • इसलिए 47वें दिन Ceasefire पर सहमति बनी और लागू 48वें दिन से होगा.

150 फिलिस्तीनी कैदी छोड़ने पर राजी

फिलहाल तो इजरायल हमास के शर्तों को मानने के लिए तैयार हो गया है और 150 फिलिस्तीनी कैदी छोड़ने पर राजी है. जानकारों का मानना है कि जिन कैदियों को हमास छुड़ा रहा है, वो आम फिलिस्तीनी नहीं बल्कि हमास से जुड़े आतंकी हैं. जिन्हें गंभीर अपराध में गिरफ्तार करके इजरायल ने जेलों में डाल रखा है. हमास ने फिलहाल 50 बंधकों की रिहाई के बदले 4 दिन Ceasefire की शर्त रखी है. बदले में 150 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा कराना चाहता है. हमास की इस शर्त ने इस आतंकी संगठन को एकबार फिर दुनिया के सामने बेनकाब किया है. हमास ने जिन 150 फिलिस्तीनियों की रिहाई की शर्त रखी है, उससे फिर साबित हो गया कि हमास को गाजा के आम नागरिकों से कोई मतलब नहीं. गाजा के लोगों के लिए हमास सीजफायर के लिए आगे नहीं आया, बल्कि उसे उन लोगों की फिक्र है, जो उसकी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं.

..इजरायल पलटवार जरूर करेगा

अगर हमास को गाजा के लोगों की फिक्र होती, तो 7 अक्टूबर के नरसंहार को अंजाम ही नहीं देता. क्योंकि, हमास को ये बात अच्छे से पता थी कि इजरायल पलटवार जरूर करेगा. इसलिए हमास आतंकी 240 लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ लाए. हमास ने बंधकों को अपनी ढाल की तरह इस्तेमाल किया, जबकि गाजा के आम लोग इजरायल के हमलों में नुकसान उठाते रहे. जब हमास के 60 से ज्यादा कमांडर मारे गये तब हमास भी सीजफायर को तैयार हुआ है. हमास की एक शर्त ये है कि साउथ गाजा में सुबह 10 बजे से 4 बजे तक Drone Surveillance रोकनी होगी. इसके पीछे जो वजह मानी जा रही है, उसके मुताबिक उत्तरी गाजा से हमास आतंकी साउथ गाजा में शिफ्ट हो चुके हैं. जिनपर इजरायल Drone से नज़र रख रहा है. ऐसे में हमास के बड़े नेता इजरायल की हवाई निगरानी से बचकर निकलना चाहते हैं. इन हमास नेताओं को पता है कि इजरायल रुकने वाला नहीं है, Ceasefire के बाद फिर से इजरायल पलटवार करेगा.




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