एक झूठे रिश्वत केस ने जागेश्वर प्रसाद की 39 साल की जिंदगी बर्बाद कर दी। 1986 में उन पर ₹100 की रिश्वत का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। हाल ही में, 83 साल की उम्र में उन्हें इस मामले से बरी कर दिया गया, लेकिन तब तक उनका सब कुछ खत्म हो चुका था।
इस घटना के बाद उनकी पत्नी सदमे से गुजर गईं, चार बच्चों की पढ़ाई छूट गई और उनकी आधी सैलरी काट दी गई। रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन भी नहीं मिली, जिसके कारण उन्हें चौकीदारी करके पेट पालना पड़ा। अब जब उन्हें इंसाफ मिला है, तो वे अपनी पेंशन और बकाया वेतन का इंतजार कर रहे हैं।