बांधवगढ़। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में अजब—गजब मामला सामने आया है। यहां की स्पॉटी नाम की बाघिन पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। स्पॉटी के 2016 में दिए बच्चों में से एक कजरी ( T100) भी अपनी मां की तरह पर्यटकों एवं वन्यजीव प्रेमियों में काफी लोकप्रिय है। कजरी (T100) का इलाका बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का ताला ज़ोन था। कजरी अक्सर अपने चार बच्चों के साथ ताला ज़ोन में अठखेलियां करते दिखाई देती थी। सफ़ारी में आने वाले पर्यटक उसके दीदार को लेकर आश्वस्त रहते थे। चूंकि टाइगर रिजर्व के सीमा से कई गांव जुड़े हुए हैं। यहां पर कई बार मानव वन्यप्राणी संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। पार्क की सीमा से सटे मझखेता, दमना और गाटा गांव में पिछले दो तीन महीनों में किसी बाघ द्वारा लगातार पालतू मवेशियों का शिकार कर रहा था। ग्रामीणों पर भी हमला कर बाघ ने उनको मार दिया। बाघ के इन हमलों से ग्रामीण आक्रोशित हो गए। गांव वालों के बढ़ते दवाब के चलते बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने 28 नवंबर को कजरी को रेस्क्यू कर लिया। कजरी के रेस्क्यू करने के बाद वन्यजीव प्रेमी इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करने लगे है। 6 वर्ष की कजरी ताला ज़ोन की एकमात्र ब्रीडिंग टाइग्रेस थी और भविष्य में उसका कुनबा और बढ़ता जो बांधवगढ़ में बाघों की वृद्धि के लिहाज से अच्छा होता। वहीं, कजरी के बच्चे अभी 16 से 18 महीने के हैं। मां से बिछड़ कर उनका जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा के अनुसार पार्क की सीमा से सटे गांवों में पालतू जानवरों के मारे जाने की घटनाओं के बाद कैमरा ट्रैप लगाकर फ़ोटो मिलान कर सही पहचान करने के बाद ही कजरी (T100) का रेस्क्यू किया गया है। कजरी के तीनों बच्चे उससे अलग होकर खुद शिकार करने लगे हैं। पार्क प्रबंधन ने पूरी निगरानी और जांच के बाद ही उस बाघ को रेस्क्यू किया है। आपको बता दें कि भारत का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों के घनत्व के लिहाज़ से पूरी दुनिया में अव्वल है। यहां के कोर और बफ़र इलाकों को मिलाकर लगभग 200 से ज्यादा बाघ हैं। बाघों की इसी बढ़ती संख्या और सीमित वन क्षेत्र के चलते टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में बाघों का दखल बढ़ता जा रहा है।
अधिकाकरियों की कारगुजारी, 16 महीने के हैं शावकों से मां को अलग कर दिया
