भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अब तक तीन सूचियों में 79 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। पिछले तीन चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर लड़ चुकी भाजपा इस बार कुछ अलग रणनीति अपना रही है। भाजपा भले ही प्रदेश में डबल इंजन सरकार की बातें कर रही हो, लेकिन पिछले दिनों से सीएम शिवराज को पार्टी ने अलग—थलग कर दिया है। कार्यकर्ता महाकुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधे घंटे से अधिक समय में दिये भाषण में एक बार भी सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं लिया। इतना ही नहीं, मोदी ने सीएम शिवराज की एक भी फ्लेगशिप योजनाओं जैसे लाड़ली बहना योजना का जिक्र भी नहीं किया। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या भाजपा मध्य प्रदेश का चुनाव कर्नाटक की तर्ज पर लड़ने जा रही है? विश्लेषकों का कहना है कि मध्य प्रदेश में चुनाव के ऐन पहले लीडरशिप की कमी दिख रही है। गुटबाजी का खतरा सिर पर अलग मंडरा रहा है। वहीं कांग्रेस लगातार 50% कमीशन का दाग भाजपा पर लगा रही है। आपको बता दें कि कर्नाटक में भी भाजपा सरकार पर 40% कमीशन के आरोप कांग्रेस ने लगाए थे।
क्या थी कर्नाटक की रणनीति
आपको बता दें कि पिछले कुछ महीने पहले कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए थे। यहां पर भाजपा सत्ता में थी और विपक्षी दल कांग्रेस सीएम बसवराज बोम्मई पर कई आरोप मढ़ रहा था। चुनाव से ऐन पहले भाजपा ने सीएम बोम्मई को अलग—थलग कर दिया था। अब यही रणनीति मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान पर भी एप्लाइ होते दिख रही है।
कहीं महंगा न पड़ जाए
कर्नाटक में मुख्यमंत्री को नजरअंदाज करके पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चेहरे पर लड़ा गया था। सीएम बोम्मई एक ओर विपक्षी दलों के आरोपों का प्रहार झेल रहे थे, वहीं अपनी भी पार्टी भाजपा ने उन्हें अलग—थलग कर दिया था। परिणाम आने के बाद भाजपा यहां अपनी सत्ता गंवा चुकी थी।
सीएम को चेहरा न होगा
कर्नाटक में भाजपा ने सीएम बोम्मई को सीएम पद का चेहरा नहीं बताया था। पार्टी ने सीएम का फेस भी तय नहीं किया था। वर्तमान में यही हाल मध्य प्रदेश में भी है। प्रधानमंत्री के भाषण में सीएम और उनकी योजनाओं का एक भी बार जिक्र न होना, इस बात का इशारा कर रहा है कि सीएम बिना फेस ही यह चुनाव लड़ा जाएगा।
कहीं मोदी को एमपी में भारी न पड़ जाए कर्नाटक की रणनीति
