उज्जैन,महिदपुर के बैजनाथ गांव में तेंदुए का मिला शव,शरीर पर दो जगह चोंट के निशान मिले,मृत तेंदुए के सभी अंग सुरक्षित,शरीर से बदबू आने के साथ ही कई जगह लगे कीड़े,डीएफओ ने कहा पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विसरा जांच रिपोर्ट से ही मौत के कारणों का होगा खुलासा,
उज्जैन जिले के महिदपुर अनुभाग अंतर्गत झारडा रोड पर लगने वाले बैजनाथ गांव के जंगल में मरा हुआ मादा तेंदुआ मिला है। बकरी चराने वाले युवक ने मृत तेंदुआ देखा और उसकी जानकारी वन विभाग को दी। उसके बाद शव को वन विभाग ने जब्त कर उसका पोस्टमार्टम करवाया है। तेंदुआ का शव फूल चुका था और उसके शरीर के दो भाग पर घाव में कीडे लग गए थे।दरअसल गेंहु की कटाई के बाद गर्मी के दिनों में कृषक भी खेतों की तरफ रूख नहीं कर रहे है। ऐसे में उज्जैन जिले में गुरूवार अपरांह के समय ग्राम बैजनाथ के जंगल में मवेशी चराने वाले युवक काशीराम ने पथरीली जमीन पर मरा हुआ मादा तेंदुआ देखा जिससे बदबू आने लगी थी। तेंदुआ के सभी दांत,नाखून सुरक्षित थे और उसके सिर के सीधे भाग में और शरीर के सीधे भाग में पिछले पांव के उपरी हिस्से में भी जख्म था जिसमें कीडे लगे हुए थे।
मृत तेंदुआ के शरीर के सभी अंग सुरक्षित बताए गए हैं। सूचना मिलने पर डीएफओ पीडी गेब्रियल अमले के साथ स्थल पर पहुंचे थे।तेंदुआ के परीक्षण के लिए महिदपुर से पशु चिकित्सक अरविंद मैथनिया के साथ अन्य चिकित्सक को बुलाया गया था। डीएफओ पीड़ी गेब्रियल के अनुसार करीब डेढ से 2 वर्ष की मादा तेंदुआ का शव है। प्रारंभिक रूप से यही सामने आ रहा है कि पानी के अभाव में उसकी प्राकृतिक मौत हुई है उसे किसी ने मारा नहीं है। शव पूरी तरह से सुरक्षित मिला है उसके सभी अंग बरकरार हैं। उसके पूरे शरीर की विभागीय नियमानुसार नाप जोख ली गई है। दो तीन दिन से शव पडा होने से उसमें कीडे लगने जैसी स्थिति बनी है जिससे जख्म जैसा दिख रहा है। शव को स्थल से उठवाकर महिदपुर में वन नर्सरी ले जाकर वहां डाक्टरों से उसका पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है। घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र में भी जांच की गई है कि मृतक तेंदुआ ने कुछ खाया हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला है। न ही आसपास शिकार या इसी तरह के अन्य कोई संकेत ही मिले हैं। तेंदुआ पूरी तरह से वयस्क था। पोस्टमार्टम में बिसरा निकाल कर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाएगा।
उसकी रिपोर्ट से ही अंतिम रूप से यह तय होगा कि आखिर किन परिस्थितियों में तेंदुआ की मौत हुई है। वहीं दूसरी और क्षेत्र के सरपंच सहित ग्रामीणों से जानकारी लेने पर सामने आया कि कुछ दिनों पहले तेंदुआ दिखने की क्षेत्र में बात जरूर सामने आई थी लेकिन उसने कोई शिकार नहीं किया था ऐसी स्थिति में उसकी जानकारी वन विभाग को नहीं दी गई । डीएफओ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उज्जैन जिला में नाम मात्र का ही जंगल है और जंगली सुअर, नीलगाय, जैसे ही जानवर हैं। तेंदुआ इस क्षेत्र में कहां से और कैसे आया यह अपने आप में बडा प्रश्न है। यहां बता दें कि वर्ष 2007 में भी तेंदुआ जिला मुख्यालय तक आ पहुंचा था । उसे सीसीएफ बंगले एवं वन विभाग के रेस्ट हाउस के पिछले भाग से ट्रांक्यूलाईज कर पकडा गया था।