Friday, July 4, 2025
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Lockdown-2: लकड़ियां लादे महिलाओं ने कहा- राशन तो मिल रहा है, लेकिन उसे पकाएं कैसे? Lockdown-2: Women loaded with wood said- They are getting ration, but how to cook it | raipur – News in Hindi

Lockdown-2: लकड़ियां लादे महिलाओं ने कहा- 'राशन तो मिल रहा है, लेकिन उसे पकाएं कैसे?'

रायपुर व आस पास के इलाकों से सूखी लकड़ियां बिन कर महिलाएं घर ले जाती नजर आईं.

लॉकडाउन पार्ट-2 की पहली सुबह न्यूज 18 छत्तीसगढ़ के संवादाता ने राजधानी रायपुर की सड़कों पर नजर आई घटनाओं का आखों देखा हाल बयान किया.

रायपुर. देश में लॉकडाउन पार्ट-2 के ऐलान के बाद की पहली सुबह आम दिनों जैसी ही थी. कुछ वैसा ही नजारा जैसा कि आम दिनों में देखने को मिलता है, लेकिन एक बात जो अलग थी, वो ये कि घर से दूध, सब्जी जैसी चीजें लेने के लिए बाहर निकले ज्यादातर लोगों के चेहरे मास्क, रूमाल और गमछों से ढंके हुए थे. अब इसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का असर कहें या कोरोना के बढ़ते संक्रमण का खौफ, लेकिन ये बात तो पक्की थी कि मास्क नहीं पहनने पर राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का डर लोगों में ज्यादा था.

इस बीच सुबह करीब 9 बजे रायपुर के कोटा इलाके से रामनगर जाने वाली सड़क में इस लॉकडाउन के दौरान मुझे ऐसी तस्वीर दिखाई दी, जो आम दिनों में राजधानी की सड़कों पर या तो दिखाई नहीं देती या फिर नजरअंदाज कर दी जाती है. सड़क पर दो महिलाएं एक बच्चे के साथ लकड़ियों का गट्ठा सिर पर लिए रामनगर की ओर जा रही थी. पूछने पर महिलाओं ने अपना नाम श्यामा पटेल और मोहनी साहू बताया.

उज्ज्वला युग में लकड़ियों का क्या काम?
हालांकि इसके तुरंत बाद मेरा प्रश्न उनसे सिर पर रखी लकड़ियों के गठ्ठों को लेकर था कि आखिर उज्ज्वला युग में वे इन लकड़ियों का क्या करेंगी. तब महिलाओं ने बताया कि वे आम दिनों में मजदूरी का काम करती हैं. तब लकड़ियां खरीदकर जलाती थीं और लॉकडाउन के दौरान काम नहीं चलने की वजह से पैसे खत्म हो चुके हैं. सरकार की ओर से फ्री राशन तो मिल रहा है, लेकिन उसे पकाने के लिए लकड़ी का इंतज़ाम करना बहुत जरूरी है और इसलिए इस बार खरीदने की जगह पास के इलाकों से सूखी लकड़ियां बिन कर घर ले जा रही हैं.

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लॉकडाउन में सड़क पर तरबूज बेचने निकला युवक.

ढूंढा दूसरा रोजगार
थोड़ी दूर आगे निकलने के बाद साइकिल सवार एक युवक खड़ा दिखाई दिया. साइकिल के कैरियर पर एक कैरेट रखा हुआ था जिसमें 5-7 तरबूज रहे होंगे, लेकिन जब उससे बात शुरू हुई, तब उसके बताया कि उसका नाम गोलू है और वो यहां आम दिनों में मजदूरी का काम करता है, लेकिन लॉक डाउन के दौरान मजदूरी का पूरा काम बंद है. इसलिए गोलू अब सुबह तरबूज बेच कर अपनी जीविका चला रहा है. आमदनी उतनी तो ज्यादा नहीं है, लेकिन फिर भी राशन पानी का खर्च निकल रहा है, गोली की तरह कई और लोग सड़क पर सब्जियां बेच रहे थे. हांलाकि इससे पहले उन्होंने भी कभी सब्जी नहीं बेची थी, लेकिन लॉकडाउन में क्योंकि तय समय तक सब्जी बेचने में पाबंदी नहीं है इसलिए सब्जी का ही धंधा शुरू कर दिया.

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सड़क पर जरूरी सामान लेने निकले लोग.

इमरजेंसी में ही निकले बाहर
राजधानी के मुख्य सड़क जी रोड पर आने के बाद यहां पेट्रोल पंप के सामने लोगों की भीड़ दिखाई दी. यह लोग पंप खोलने का इंतजार कर रहे थे. रायपुर में इस समय सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक पेट्रोल पंप खुले रहते हैं लेकिन सुबह का समय सबसे अनुकूल होता है. क्योंकि इस समय सड़कों पर रोकने के लिए पुलिस वाले ज्यादा नहीं होते. यहां खड़े लोगों से जब मैंने पूछा की लॉक डाउन के दौरान घर से बाहर निकलने पर ही पाबंदी है, घर के पास से ही आवश्यक वस्तुएं खरीदने के निर्देश हैं. ऐसे में वह पेट्रोल पंप खोलने का इंतजार क्यों कर रहे हैं. तब उन्होंने बताया कि वैसे तो वे बेवजह घर से बाहर निकलने से बचते हैं, लेकिन किसी भी तरह की इमरजेंसी होने पर यही स्कूटर और बाइक काम आएगी. हालांकि इसमें से ​कुछ लोग मास्क लगाए नहीं दिखे.

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सड़क किनारे लॉकडाउन के नियमों का उलंघन करते दिखे युवक.

निर्देशों का मजाक
यहां से आगे बढ़ने पर कुछ लोग सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बनाते हुए एक साथ ग्रुप में खड़े हुए दिखाई दिए जब इनसे पूछा गया कि वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं? तब उनके पास कोई ठोस उत्तर तो नहीं था, लेकिन उनका कहना था क्योंकि सुबह के बाद पुलिस की पेट्रोलिंग उनके इलाके में नहीं आती इसलिए वे हर दिन सुबह केवल आपस में बातचीत करने के लिए ही यहां पर इकट्ठा हो जाते हैं और इसी दौरान थोड़ा बहुत गली क्रिकेट का भी लुत्फ उठा लेते हैं. कोरोना संक्रमण के समय ग्रुप में खड़ा होना खतरनाक है बताने पर वे बीना कुछ कहे बस अपने घर की ओर निकल गये.

मदद को बढ़े हाथ
यहां से कुछ दूर आगे बढ़ा तो नजरों को सुकून देने वाली घटना नजर आई. युवाओं का एक समूह अलग अलग गाड़ियों से उतरा. उनके हाथों में कुछ पैकेट थे. युवाओं ने सड़क पर नजर आ रहे जरूरतमंदों को खाने का पैकेट दिया. इस दौरान वे सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी करते रहे. उनके चेहरे मास्क से ढंके थे. चूंकि मैं आफिस के लिए निकला था और शिफ्ट शुरू होने का समय हो रहा था. इसलिए उनसे बात नहीं किया, लेकिन लॉकडाउन पार्ट-2 की पहली सुबह आम दिनों से बिल्कुल अलग थी. सड़कों पर निर्देशों का पालन और उलंघन दोनों ही होते नजर आए.

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First published: April 15, 2020, 11:22 AM IST




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