देश के कई राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी हैं. दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में मुस्लिम वर्ग की महिलाएं इस कानून को वापस लेने की मांग करते हुए धरना दे रही हैं. दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में चल रहे धरना प्रदर्शन को दो महीने से ज्यादा का समय हो गया है. गैर-बीजेपी शासित राज्य केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल CAA के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुके हैं. तेलंगाना सरकार CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारी कर रही है. महाराष्ट्र में भी इसको लेकर चर्चा जोरों पर है क्योंकि वहां शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार है लेकिन तीनों दलों के बीच आम राय नहीं बन पा रही है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) ने अब इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि CAA, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) अलग-अलग हैं. CAA से किसी को डरने की जरूरत नहीं है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी, दोनों अलग हैं और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अलग है. अगर CAA लागू होता है तो किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. NRC यहां नहीं है और ये राज्य में लागू नहीं होगा.’
Maharashtra CM Uddhav Thackeray: If NRC is implemented then it will affect not only Hindus or Muslims but also Adivasis. Centre has not discussed NRC as of now. NPR is a census, and I don’t find that anyone will be affected as it happens every ten years. https://t.co/e8AdMif6ks
— ANI (@ANI) February 18, 2020
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘अगर NRC लागू होता है तो ये सिर्फ हिंदुओं और मुस्लिमों को ही नहीं बल्कि आदिवासियों को भी प्रभावित करेगा. केंद्र सरकार ने अभी तक NRC पर चर्चा नहीं की है. NPR जनगणना है जो हर 10 साल में होती है और मुझे नहीं लगता कि इससे कोई प्रभावित होगा.’
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उद्धव ठाकरे के बयान पर राज्य सरकार में सहयोगी पार्टी NCP के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा, ‘सीएम उद्धव ठाकरे का अपना मत है लेकिन NCP के संदर्भ में मैं ये कहूंगा कि हमने CAA के खिलाफ वोट किया था.’
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