muslim population doubled in 10 years, now japan gets these problem | Japan: 10 साल में दोगुनी हुई मुस्लिमों की आबादी, अब सामने आई ये समस्या

टोक्यो: जापान इस वक्त दोहरी चुनौती से जूझ रहा है. एक तो जापान की आबादी घट रही है और देश में जन्म दर भी कम हो गई है. वहीं जापान में तेजी से हो रहा धर्मांतरण भी चिंता का विषय है. धर्मांतरण की समस्या सिर्फ भारत में नहीं है. जापान (Japan) भी इससे परेशान है. जापान की आबादी करीब 13 करोड़ है. बीते एक दशक यानी दस सालों में यहां मुस्लिमों की आबादी दोगुनी से ज्यादा हो गई है. वेबसाइट economist.com की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2010 में जापान में मुस्लिमों की आबादी करीब 1 लाख 10 हजार थी, जो 2020 आते-आते 2 लाख 30 हजार हो गई.
धर्मांतरण से जूझता जापान!
जापान (Japan) में मुस्लिम आबादी इतनी तेजी से बढ़ी की सरकार और प्रशासन सब हैरान हैं. जापान की टोटल मुस्लिम आबादी की बात करें तो उसमें 50 हजार जापानी लोग भी शामिल हैं जो धर्म बदलकर मुस्लिम बने हैं. ये आंकड़े, जापान की वसेडा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तनाडा हिरोफुमी ने जारी किए गए हैं.
जापान के लिए ये बड़ा खतरा
आपको बताते चलें कि जापान में आबादी घटने और जन्म दर कम होने से बड़ा खतरा मंडरा रहा है. इस वजह से भविष्य में जापान में काम करने वाले युवाओं यानी वर्किंग फोर्स की संख्या घटने का अनुमान लगाया गया है. इस वजह से जापान की सरकार लगातार विदेशी वर्कर्स और स्टूडेंट्स पर फोकस कर रही है. जापान के मूल निवासी इस बीच देश में हो रहे इन बदलावों पर चिंतित हैं. जापानी लोग यहां दूसरे देश से आए लोगों के रीति रिवाजों और परंपराओं को लेकर बटे हुए है.
ऐसे में कुछ लोग कहते हैं कि प्रवासी लोगों की जरूरतों को समझते हुए उनकी मदद करनी चाहिए. वही दूसरी विचारधारा वालों का मानना है कि बाहर से आए जिन लोगों को जापानी नागरिकता मिल चुकी है, उन्हे जापान के रीति रिवाजों को अपनाना चाहिए.
जापान के मुस्लिम कर रहे ये मांग
जापान में मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है तो उनके लिए सुविधाएं बढ़ाई गई हैं. अब यहां की मुस्लिम आबादी अन्य चीजों की मांग कर रही है. सरकारी डाटा के मुताबिक जापान में मस्जिदों की संख्या 110 से अधिक हो गई है. एक तरफ मस्जिदों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन कई चीजों के लिए मुस्लिमों को संघर्ष करना पड़ रहा है. इनमें से एक चुनौती है- कब्रिस्तान के लिए जगह ढूंढना. दरअसल जापान में दाह-संस्कार की परंपरा रही है. पहले गिने चुने कब्रिस्तान होते थे लेकिन अब भारी मुस्लिम आबादी की वजह से किसी की मृत्यु होने पर उसे दफनाने के लिए जगह मिलने की समस्या उठ खड़ी हुई है.
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