वेबसीरीज- पंचायत
डायरेक्टर- दीपक मिश्रा
कास्ट- रघुवीर यादव, नीना गुप्ता, जितेंद्र कुमार
रोटिंग- 3.5
‘हम निराश होते हैं और मेहनत करने से डरते हैं. हमें कोशिश करते रहना चाहिए. क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ बात तो बहुत छोटी सी है लेकिन मतलब बहुत गूढ़ है. ऐसी बातें हम दिन में पता नहीं कितनी बार सुनते हैं और एक पल के लिए सोचते हैं कि अब से पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन अगले ही पल हम फिर वही पुराने ढर्रे पर चल पड़ते हैं. जिंदगी में मुश्किलें आती-जाती रहती हैं मगर इतनी आसानी से उम्मीद का दामन छोड़ देंगे तो आगे बढ़ ही नहीं पाएंगे. ऐसा कुछ मैसेज लेकर आए हैं जितेंद्र कुमार. जितेंद्र कुमार की एक नई वेब सीरीज आई है अमेजॉन प्राइम पर. नाम है ”पंचायत”.
क्या है कहानी?
तो वेब सीरीज की कहानी पर आते हैं. कहानी है एक शहर के लड़के अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) की. जो इंजिनियर है और उसकी नौकरी लगती है एक ग्राम पंचायत में सचिव के तौर पर और वो भी महज 20 हजार तनख्वाह में. खैर, अभिषेक को वो नौकरी करनी तो नहीं, और सही बात भी है शहर का एक लड़का महज 20 हजार की नौकरी के लिए गांव क्यों जाएगा. पर किस्मत आगे किसी की चली ही कहां है.
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हाथ में कोई और काम न होने कारण अभिषेक ने सोचा घर बैठने से तो अच्छा है नौकरी ही कर ले. अभिषेक का दोस्त प्रतीक (बिस्वापति सरकार) भी उसे ये ही सलाह देता है. तो अभिषेक सामान बांध कर बस से निकल पड़ता है गांव फुलेरा, जहां उसकी नौकरी लगी है. बस फिर क्या जैसे ही वो फुलेरा में कदम रखता है मुश्किलें पलकें बिछाए उसका इंतजार कर रही होती हैं. ग्राम पंचायत का प्रधान होती तो मंजू देवी हैं, लेकिन उनके पति प्रधानपति बनकर सारा काम खुद ही देखते हैं. इन्हीं के अंदर रहकर अभिषेक को काम करना होता है.
अब अभिषेक गांव पहुंच तो जाता है लेकिन वहां मन नहीं लगता. उसका दोस्त उसे CAT के एग्जाम की तैयारी के लिए कहता है और बोलता है कि अगर अच्छी नौकरी चाहिए तो MBA करो.
बस फिर क्या गांव से निकलने की लालसा और ज्यादा पैसे कमाने का जोश अभिषेक के सर चढ़ जाता है. वो खूब मेहनत करता है. रुकिए-रुकिए कहानी इतनी सिंपल भी नहीं है कि इस दौरान अभिषेक की जिंदगी में बहुत रुकावटें आती हैं. एक तो ऑफिस का काम, दूसरा ये कि गांव है, बिजली तो हमेशा मिलेगी नहीं. तो जब बिजली नहीं तो आदमी पढ़े तो पढ़े कैसे. लेकिन अभिषेक भी भईया तिकड़मबाजी में होशियार हैं और अपने रास्ते को आसान बनाने में लगे हैं. इस सब में एक इंसान अभिषेक की बहुत मदद करता है और वो है विकास (चंदन रॉय). विकास अभिषेक का ऑफिस सहायक होता है.
खैर, वेब सीरीज की कहानी बिल्कुल रोलरकोस्टर राइड की तरह है. इमोशनल, सोशल मैसेज, गुस्सा, फ्रस्ट्रेशन, यूनिटी, कॉमेडी, एक्शन सब देखने को मिलेगा लेकिन अपने ही अंदाज में. खैर, बाकी अब पूरी कहानी जानने के लिए आपको वेब सीरीज देखनी होगी, सब यहां जान लेंगे तो वेब सीरीज का मजा खराब हो जाएगा.
कैसी है स्टारकास्ट?
8 एपिसोड की इस वेब सीरीज में यूं तो बहुत से लोग हैं लेकिन मुख्य किरदार में जितेंद्र कुमार के अलावा प्रधान ब्रिज भूषण दुबे (रघुवीर यादव), प्रहलाद पांडे (फैसल मलिक), विकास (चंदन रॉय) और मंजू देवी (नीना गुप्ता). हर एसपिसोड एक नई कहानी के साथ शुरू होता है और उसी पर खत्म. लास्ट एपिसोड बाकी सारे एपिसोड को जोड़ता है. वेबसीरीज में सभी लोग अपनी जगह बहुत अच्छे हैं. जितेंद्र की एक्टिंग बेहद ही उम्दा है. वहीं उसका ऑफिस सहायक जो बने हैं चंदन रॉय बहुत ही बढ़िया रोल पकड़े हैं. उनको स्क्रीन पर देख अच्छा लगता है.
नीना गुप्ता भी अच्छी हैं, लेकिन उन्हें वेब सीरीज में थोड़ा और देखने का मन किया. मतलब उनका रोल कम है वेब सीरीज में और होता तो मजा आता, लेकिन जितना भी अच्छा है. फैजल मलिक और रघुवीर यादव भी अपने-अपने रोल में फिट थे. वेब सीरीज के सपोर्टिंग एक्टर्स इसकी जान थे.
इसका नहीं चला जादू
वेब सीरीज की कहानी तो अच्छी है लेकिन कहीं-कहीं चीजें खींची हुई सी नजर आईं. नीना गुप्ता का रोल भी कम था. जितेंद्र भी कभी-कभी ओवर लगे लेकिन फिर उन्होंने संभाल लिया.
लेकिन वेब सीरीज का डायरेक्शन, शानदार डायलॉग, कैमरा वर्क सभी काफी अच्छा है. गांव का पूरा फील आता है. बढ़िया वेब सीरीज है. लॉकडाउन के इस समय में अपनी बोरयित दूर करने के लिए बेशक देखी जा सकती है.


