जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को लेकर चल रहे विवाद पर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रेमानंद महाराज के बारे में कोई गलत टिप्पणी नहीं की है और न ही करेंगे। जो भ्रम फैलाया जा रहा है, वह पूरी तरह से गलत है।रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि उनके लिए प्रेमानंद महाराज पुत्र के समान हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि आचार्य होने के नाते वह सभी संतों और विद्वानों को संस्कृत का अध्ययन करने की सलाह देते हैं। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने उनसे भी यही कहा है कि ‘बेटा, पढ़ो-लिखो।’उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब भी प्रेमानंद महाराज उनसे मिलने आएंगे तो वह उन्हें गले लगाकर आशीर्वाद देंगे। इस बयान से उन सभी अटकलों पर विराम लग गया है, जिनमें दोनों संतों के बीच मतभेद की खबरें चल रही थीं।