लव, प्यार, इश्क, मोहब्बत, ये कब-किसे-कहां-कैसे और क्यों हो जाता है ये कोई नहीं जानता और इसके पीछे किसी तरह का कोई स्पष्ट कारण भी नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि प्यार तो एक अहसास है जो किसी के लिए अचानक हमारे मन में समा जाता है। कई बार तो उस व्यक्ति को बता भी नहीं होता कि वह किसी के प्यार में पड़ गया है। लेकिन यही प्यार आपकी लाइफ को जितना खुशनुमा बना देता है वहीं, ये प्यार आपको बीमार भी कर सकता है और इसी इश्क के शरीर पर कुछ साइड इफेक्ट्स भी नजर आते हैं। ऐसा हम नहीं कह रह है बल्कि रिसर्च कह रही है।
एक तरह का अडिक्शन है प्यार
अमेरिका की न्यू जर्सी स्थित रटगर्स यूनिवर्सिटी में साल 2010 में हुई एक स्टडी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि प्यार एक तरह का नशा होता है। यह आपके दिमाग के उन हिस्सों को पूरी तरह से कंट्रोल कर लेता है जिनसे आप जरूरी निर्णय लेते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि जब आप प्यार में पड़ते हैं तो दिमाग में डोपामाइन, ऑक्सिटोसिन, ऐड्रनलिन और वैसोप्रेसिन जैसे कई केमिकल्स रिलीज होते हैं। जैसे किसी व्यक्ति को ड्रग्स लेने पर उसकी लत लग जाती है ठीक उसी तरह दिमाग में इन केमिकल्स के रिलीज होने पर आप जिस व्यक्ति से प्यार करते हैं आपको उसकी लत लग जाती है, उसका अडिक्शन हो जाता है।
पेट में गुड़गुड़ाहट होने लगती है
प्यार सिर्फ नशा ही नहीं है, बल्कि आपको बीमार भी बना देता है। बीमार होने का मतलब ये नहीं आप बिस्तर पकड़ लेंगे लेकिन शरीर में कुछ बदलाव या यूं कहें कि साइड इफेक्ट्स नजर आने लगते हैं। इस पूरी स्थिति को लवसिकनेस कहते हैं। दरअसल, प्यार होते ही हमारे शरीर में मौजूद स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल रक्त वाहिकाओं के जरिये हमारे पेट में पहुंच जाता है। इसकी वजह से पेट में गुड़गुड़ाहट होने लगती है और आपको भूख भी महसूस नहीं होती। ऐसा लगता है कि आप बीमार हो गए हैं।
प्यार जताने का पुराना तरीका इसलिए है सबसे बेहतर, जानें वजह
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फेसबुक, ट्विटर लेटर इंस्टाग्राम के जमाने में अगर कोई आपसे लव लेटर लिखने के लिए कहे तो आपका रिऐक्शन कैसा होगा? जाहिर तौर पर आपको लगेगा, अरे यार क्या बातें कर रहे हो…लेकिन सच यही है कि लिखे हुए शब्दों का जादू, आज भी टाइप किए हुए शब्दों से कहीं अधिक होता है…और यह बात यंग जनरेशन को समझ में आ रही है…
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छोटे से स्मार्ट फोन के अंदर इतने सारे तरीके हैं अपनी फीलिंग्स शेयर करने के फिर भी यंगस्टर्स क्यों लव लेटर लिखना पसंद कर रहे हैं, यह सवाल उठना लाजिमी है। लेकिन इस फर्क को आप तभी महसूस कर पाएंगे, जब आप खुद सारे प्लेटफॉर्म छोड़कर खुद लव-लेटर लिखने बैठेंगे।
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जब हम कोई मैसेज टेक्स्ट करते हैं तो हम अपनी फीलिंग्स एक्स्प्रेस करते हुए भी खुद को खुलकर बयां नहीं कर पाते हैं, यह किसी सेफ गेम की तरह फील देता है। लेकिन जब हम अपने हाथों में कलम थामकर अपने इमोशंस लिखना शुरू करते हैं तो जो कुछ भी लिखा जाता है, वो सीधे दिल से आता है। उसमें दिमाग का दखल कम ही होता है।
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राइटिंग एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब हम अपने हाथ से लव-लेटर लिखते हैं तो अपनी रॉ फीलिंग्स को उड़ेल देते हैं। क्योंकि उसमें डिलीट और पेस्ट का ऑप्शन नहीं होता। वहीं, हमारी कोशिश रहती है कि हमारे लेटर में कट कम से कम लगे हों। इसलिए जो लिखते हैं वो फ्लो में लिखते जाते हैं।
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लव लेटर को हाथ में लेकर पढ़ना या अपने लव्ड-वन के हाथ में देना, दोनों आपको प्यार भरी भावनाओं से भर देते हैं। इस दौरान आप एक-दूसरे के चेहरे के भावों को भी आंखों में उतार लेते हैं। इसमें आप फीजिकली इन्वॉल्व होते हैं। जबकि टेक्स्ट मैसेज के साथ आप इन पलों को इंजॉय नहीं कर पाते हैं।
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आप इस बात को जरूर समझ पाएंगे कि जब आप हाथ में पेन लेकर कुछ लिखना शुरू करते हैं तो आप पूरी तरह उसी पर फोकस्ड होते हैं। बात जब लव लेटर लिखने की हो तो फोकस खुद-ब-खुद कहीं अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में जब आपका पार्टनर इस लेटर को हाथ में पकड़कर पढ़ता है तो आपके उड़ेले हुए प्यार का अहसास कर पाता है। लव लैटर उसे अहसास कराता है कि वह आपके लिए कितना खास है क्योंकि यह आपने खासतौर पर उसके लिए किया है।
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लव लेटरदेने के लिए आपको कुछ खास तरीका अपनाना होता है। आप एक खास पल और लम्हे का इंताज करते हैं, जब उसके हाथों में अपनी भावनाएं थमा सकें। इस दौरान की गई प्लानिंग और आपका एक्सप्रेस करने का तरीका आपको अपने प्यार के कहीं अधिक नजदीक लेकर जाता है।
हॉर्मोन्स पर पड़ता है असर
आपके प्यार भरे रिश्ते के शुरुआती 1-2 साल के समय में जब दोनों पार्टनर एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते वाली फीलिंग रहती है उस दौरान आपके शरीर के हॉर्मोन्स पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है। 2004 की एक स्टडी की मानें तो जब आप प्यार में होते हैं तो स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल महिला और पुरुष दोनों में बढ़ जाता है और इस दौरान मेल सेक्स हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन का लेवल पुरुषों में घट जाता है और महिलाओं में बढ़ जाता है।
भूख-प्यास नहीं लगती
रटगर्स यूनिवर्सिटी के रिसचर्स ने रोमाटिंक रिलेशनशिप में डूबे लोगों पर अध्ययन किया तो पाया कि ब्रेन का वो हिस्सा जो सामने वाले व्यक्ति को क्रिटिकली परखता है वह हिस्सा प्यार में पड़े लोगों में कमजोर हो जाता है और व्यक्ति को अपने पार्टनर में कमियां या तो नजर ही नहीं आतीं या बेहद कम नजर आती हैं। दिमाग का ये हिस्सा ही आपकी भूख प्यास और मॉनिटरी गेंस को इंस्टिगेट करता है लिहाजा प्यार में इन सब चीजों पर भी असर पड़ता है।
प्यार में नींद नहीं आती
एक्सपर्ट्स की मानें तो जब आपको सच्चा प्यार होता है तो ब्रेन में डोपामाइन जैसे ढेर सारे केमिकल्स भरे होते हैं जिस वजह से व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि वह सातवें आसमान पर है। शरीर में बहुत ज्यादा एनर्जी महसूस होती है और रात-रात भर नींद नहीं आती। हालांकि एक्सपर्ट्स की मानें तो नींद न लेने की वजह से ही कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं जैसे- वजन बढ़ना, हाई ब्लड प्रेशर आदि।
सचमुच प्यार है या सिर्फ आकर्षण, ऐसे पता लगाएं
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यंग ऐज में ऐसा अक्सर होता है, जब हम इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि हम जिसके साथ रिलेशनशिप में हैं, हम उसे वाकई प्यार करते हैं या यह सिर्फ आकर्षण है! बात तब और बिगड़ जाती है, जब एक पार्टनर शादी करना चाहता है और दूसरा अपने रिश्ते को लेकर श्योर ही नहीं हो पाता…
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प्रपोजल और डेटिंग से आगे बढ़कर बात सेक्स तक पहुंच जाती है। सब कुछ ठीक चल रहा होता है लेकिन कंफ्यूजन बना रहता है कि क्या यह प्यार है या सिर्फ लस्ट है। लव और लस्ट का कंफ्यूजन यंगस्टर्स को बहुत परेशान करता है।
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काउंसलर्स के अनुसार, प्यार और आकर्षण दो तरह के होते हैं। पहला जो पहली नजर में हो जाता है, किसी को देखा और लट्टू हो गए। इसे आप लव ऐट फर्स्ट साइट भी कहते हैं। जबकि दूसरा होता है, जो वक्त के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है।
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प्यार के रिश्ते में भी इंवेस्टमेंट की जरूरत होती है। यहां हम मटीरियलिस्टिक इंवेस्टमेंट की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि वक्त और इमोशन का इंवेस्टमेंट भी इसमें शामिल है। केवल फिजिकल अटैचमेंट से बात नहीं बनती। रिश्ते इमोशन से चलते हैं। इसलिए सेक्शुअल लाइफ पर जोर न देकर अपनी बॉन्डिंग मजबूत बनाने पर जोर दें।
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अगर आप अपने रिश्ते को लेकर कंफ्यूज हैं कि यह लव है या लस्ट और क्या आपको इस रिश्ते को शादी का रूप देना चाहिए? तो इन बातों पर ध्यान देना होगा, आप सोचें कि क्या आपको अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम बिताना पसंद है? या आपको उसकी जरूरत तभी महसूस होती है जब आप फिजिकल होना चाहते हैं?
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जिस रिश्ते में लव नहीं लस्ट होता है, वहां फिजिकल नीड ही हावी होती है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आपको समझ लेना चाहिए कि ये प्यार नहीं है। अगर आपके इस रिश्ते में दोस्ती का भाव शामिल नहीं है आप एक-दूसरे से अपने सीक्रेट्स शेयर नहीं करते हैं तो आपको इस रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले इस पर थोड़ी मेहनत करनी होगी।
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अगर आप अकेले में अपने पार्टनर के बारे में सोचते हुए महसूस करते हैं कि इमोशनली आप उसके बिना अधूरे हैं, वही एक इंसान है जो आपको बेहतर समझता है, आप उस पर ट्रस्ट कर सकते हैं। आपकी जिंदगी में उसकी जरूरत सिर्फ फिजिकल नीड तक सीमित नहीं है बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप में भी आप उसे अपने पास चाहते हैं। तो समझ जाइए कि आप प्यार में हैं।