- मेडिकल कॉलेज के दो डाक्टर 18 दिनों से होम क्वारेंटाइन में है, दोनों डाक्टर 15 मार्च को नई दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे थे
- उन्हें 24 घंटे नरेला स्थित क्वारेंटाइन में रखा गया। कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं दिखने पर उन्हें रायपुर आने की अनुमति दी गई
दैनिक भास्कर
Apr 03, 2020, 03:17 AM IST
रायपुर. मेडिकल कॉलेज के दो डाक्टर 18 दिनों से होम क्वारेंटाइन में है। दोनों डाक्टर 15 मार्च को नई दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे थे। उन्हें 24 घंटे नरेला स्थित क्वारेंटाइन में रखा गया। कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं दिखने पर उन्हें रायपुर आने की अनुमति दी गई। रायपुर लौटने के बाद से दोनों होम आइसोलेशन में हैं। आइसोलेशन के 18वें दिन डाक्टरों ने अपने कमरे का दरवाजा कुछ पल के लिए खोला और पत्नी बच्चे से 5 मिनट बात की। उसके बाद फिर खुद को कमरे में कैद कर लिया। इन्हीं डाक्टरों से भास्कर ने बात की-
अपने और परिवार की सुरक्षा के लिए ये कैद जरूरी
मार्च के पहले सप्ताह में हम दो डॉक्टर जर्मनी में एडवांस ट्रेनिंग के लिए गए थे। ट्रेनिंग चल ही रही थी, तभी जर्मनी समेत दुनिया में कोरोना फैलने की खबर आई। रोज नए मरीज बढ़ते जा रहे थे और कोरोना से मौत भी हो रही थीं। ट्रेनिंग के 14 दिन गुजारे, तो बैचेनी होने लगी कि देश लौटना चाहिए। हालांकि हम दक्षिण-पूर्व जर्मनी के यूनिवर्सिटी कैंपस में थे। जबकि देश के दूसरे इलाके में कोरोना के केस आ रहे थे। इसके बावजूद हमने भारत लौटने की ठानी और कंपनी के लोगों से बात की। उन्हें वापसी के लिए टिकट कराने को कहा। वह स्थिति को देखते हुए वे मान भी गए। टिकट बना और हम जर्मनी से नई दिल्ली आ गए। नई दिल्ली में 24 घंटे सरकारी क्वारेंटाइन में रहे। वहां कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिखने के बाद रायपुर एयरपोर्ट पहुंचे। वहां भी जांच की गई। फिर हम 16 मार्च से होम क्वारेंटाइन में हैं। हम डॉक्टर हैं, इसलिए सोशल डिस्टेंस व होम क्वारंेटाइन को समझ रहे हैं। 17वें दिन पत्नी व बच्चों से आमना-सामना हुआ तो लगा कि किस दुनिया में आ गए।
होम क्वारेंटाइन में बाहर घूमना परिवार के साथ धोखा
पिछले 18 दिनों से होम क्वारेंटाइन लंबा वक्त है। अब तो समय काटे नहीं कट रहा है। घर दो फ्लोर का है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मैंने नीचे वाले कमरे को चुना। बस अब उसी में जैसे कैद हूं। रोज तीन टाइम पत्नी भोजन देने नीचे आती है। पर एक दूसरे को देख भी नहीं पाते। दरवाजे के पास वह भोजन रखकर चली जाती है, तब थोड़ा सा द्वार खोलकर प्लेट भीतर लेता हूं। बात करनी हो तो मोबाइल फोन ही सहारा है। अकेले इतने दिन एक कमरे में गुजारना किसी सजा से कम नहीं है, लेकिन हम परिवार व समाज के लोगों के लिए क्वारेंटाइन पर है। सभी को होम क्वारेंटाइन के नियमों का पालन करना ही चाहिए। खुद की सुरक्षा व परिवार की सुरक्षा के लिए ये जरूरी है। कई लोगांे के होम क्वारेंटाइन के दौरान बाहर घूमने की खबर आ रही है। ऐसा नहीं होना चाहिए। वे खुद को और परिवार के साथ धोखा कर रहे हैं। पुलिस उन पर सख्ती कर रही है, यह उचित ही है।
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