चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने NDTV से कई मुद्दों पर बातचीत की. जनरल रावत ने कहा कि सेना हर मोर्चे के लिए पूरी तरह तैयार है. जनरल रावत से जब सवाल पूछा गया कि कोरोना महामारी के दौर में कश्मीर में न तो आतंकवाद खत्म हो रहा है और न ही सीमापार से घुसपैठ. जवाब में जनरल रावत ने कहा, ‘कोरोना के कारण आप सोचते हैं कि पाकिस्तान अपने कश्मीर के मुद्दे को छोड़ देगा यह कभी नहीं होने वाला है. कोरोना के बावजूद भी पाकिस्तान की कोशिश रहेगी कि कश्मीर का माहौल बिगाड़े. यह उनको बिल्कुल नहीं भा रहा है कि पिछले कुछ महीनों से कश्मीर में शांति का माहौल बना हुआ है. उनकी कोशिश तो यही है कि यह शांति की प्रक्रिया अगर लगातार चलती रही तो कश्मीर उनके हाथ से फिसल जाएगा. मैं यकीन के साथ कहने वाला हूं कि कश्मीर उनके हाथ से फिसल जाएगा नहीं फिसल चुका है, लेकिन उनकी कोशिश यही रहेगी कि दुबारा दहशत फैलाई जाए.
इस दहशत फैलाने में कश्मीर में भी कुछ लोग हैं जो पाकिस्तानियों का सहयोग करते थे, उनकी दुकानें बंद हो गई हैं. वह चाहते हैं कि हमारी दुकान फिर चले तो वह पाकिस्तान को सहयोग देते रहते हैं और कोशिश करते हैं कि कश्मीरियों को झूठ फरेब के थ्रू सही खबर ना देते हुए उनको सिर्फ यह बताया जाए कि पाकिस्तान जो है हमारे शुभचिंतक हैं, इसलिए पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादियों को सहयोग देना है. लेकिन मेरे विचार में अब कश्मीरियों के ऊपर भी यह समझ गुजर रही है कि पाकिस्तान जो कर रहा है उसे वह सिर्फ ढोंग कर रहा है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह का अमन और शांति का माहौल आज कश्मीर में बना हुआ है वह बनाए रखना ही ठीक होगा. तभी आप देखेंगे कि जनवरी से अप्रैल महीने में किस तरीके से आतंकवादियों का खात्मा किया गया है. खासकर अप्रैल के महीने में. यह वहां की आवाम के सहयोग के बिना नहीं हो सकता था. मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि इस वक्त कश्मीरी आवाम भारतीय सेना और अन्य संस्थाएं और पुलिस फोर्स जो हमारे साथ काम कर रही हैं, उन्हें पूरा सहयोग कर रही है, ताकि हम आतंकवाद का खात्मा करने में सफलता हासिल करें. इसके लिए मैं कश्मीर के वासियों को भी धन्यवाद कहना चाहूंगा. हम चाहेंगे कि इसी तरह से आप हमारे को सहयोग देते रहे. हमारे ऑपरेशंस में दखलअंदाजी ना करें और हम कश्मीर में आतंकवाद का खात्मा करके रहेंगे.
पूर्व सेना प्रमुख से पूछा गया कि कोरोनावायरस से अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त मार पड़ी है. हर जगह पर खर्चों में कटौती हो रही है. आपको लगता है इससे सेना में जो ऑपरेशनल कैपेबिलिटी है उस पर असर पड़ सकता है?
जवाब में उन्होंने कहा कि अगर कटौती होगी तो हमें प्रायरिटाइजेशन करना होगा. कुछ फिजूल खर्चे बंद करने होंगे. फिजूल खर्चे कहने का मेरा मतलब है जैसे हमारे कुछ सेमिनार होते हैं, ट्रेनिंग विजिट होती है, कुछ विदेशी सेनाओं के साथ Bilateral ट्रेनिंग होती है इन चीजों पर हम कटौती कर सकते हैं.
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