रीवा, मध्य प्रदेश: प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत हर गाँव को जोड़ने के दावों के बावजूद, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. बारिश के दिनों में कई गाँव का संपर्क शहर से टूट जाता है, जिससे आपात स्थिति में अस्पताल पहुँचना बेहद मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही एक हृदय विदारक वीडियो रीवा जिले से सामने आया है, जहाँ एक बीमार पिता को अस्पताल ले जाने के लिए उनकी बेटियों को डेढ़ किलोमीटर तक कीचड़ और उबड़-खाबड़ रास्ते पर चारपाई पर ढोना पड़ा. यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने जनप्रतिनिधियों के विकास के दावों की पोल खोल दी है.
विकास के दावे फेल, बेटियों ने उठाई जिम्मेदारीयह पूरा मामला रीवा जिले की जनपद पंचायत गंगेव के ग्राम बहेरा का है. इस गाँव में न तो पक्की सड़क बनी है और न ही कोई अस्पताल. नतीजतन, जब एक बुजुर्ग ग्रामीण बीमार पड़े, तो उनकी बेटियों को उन्हें अस्पताल पहुँचाने के लिए चारपाई का सहारा लेना पड़ा. कीचड़ से सने और ऊबड़-खाबड़ कच्चे रास्ते से होते हुए, वे डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुँचीं.
ग्राम पंचायत घुचियारी के तहत आने वाले बहेरा गाँव में सड़क का अभाव है, जबकि स्थानीय विधायक के बयानों में विकास को चौतरफा बताया जा रहा है. सरपंच और सचिव के स्तर पर भी विकास केवल कागजों पर ही चमक रहा है, जबकि जमीनी हकीकत बदहाल है. शासन से विकास के लिए आई राशि कथित तौर पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.2025 में स्मार्ट इंडिया के सपनों के बीच, जब बेटियाँ अपने बीमार पिता को कंधों पर उठाकर अस्पताल ले जाने को मजबूर हों, तो यह सिर्फ बीमारी का दोष नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता का परिणाम होता है. यह यात्रा केवल बीमारी से लड़ने की नहीं थी, बल्कि बेबसी और व्यवस्था की अनदेखी से भरी एक मार्मिक गाथा थी.