नवरात्रि में उपयोग के बाद ज्योति कलश के इस्तेमाल से पिछले 14 साल से बन रहे इस मंदिर ने प्रदेशभर में अपनी अलग ही पहचान स्थापित की है, मगर समय (मौसम की मार) सहित कई कारणों से मंदिर को सीधे नुकसान हो रहा है, लोग फोटो खिंचवाने/ रील बनाने के लिए जाने अंजाने में मंदिर को नुकसान पहुंचा रहे हैं, कल भोपाल से रायपुर लौटते वक्त मंदिर की स्थिति देख कर दुख हुआ, जो मंदिर क्षेत्र का पहचान बन चुका है उस पर संकट देखकर मन में चिंता भी हुई, यह मंदिर अपनी पहचान खो दे, मंदिर को बड़ा नुकसान हो इससे पहले इसे सहेजने की जरूरत है।दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब चालीस किलोमीटर दूर धमधा-खैरागढ़ जाने वाले रास्ते पर मौजूद है यह मंदिर आम मंदिरों से बिल्कुल अलग है, इस मंदिर के लिए ईंट या पत्थरों का नहीं बल्कि ज्योति कलशों का इस्तेमाल किया जा रहा है, मंदिर को छोटे-बड़े दियों से बनाया जा रहा है. इस निर्माणाधीन मंदिर के पास ही हनुमान की प्रतिमा स्थापित की गई है, बीते 14 सालों से यह मंदिर निर्माण जारी है।