नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Trump) पिछले सप्ताह एक वक्त अपने सलाहकारों से कहा था कि वे वॉशिंगटन डीसी क्षेत्र में नागरिक अशांति रोकने के लिए 10 हजार सैनिकों को तैनात करना चाहते थे. यह जानकारी एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने दी है.
सेामवार को ओवल ऑफिस की गरम चर्चाओं में सामने आया कि पेंटागन (Pentagon) नेतृत्व के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति अपनी धमकी को सही साबित करने के लिए किस हद तक जाना चाहते थे.
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अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बैठक में रक्षा सचिव मार्क एस्पर, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन, जनरल मार्क मिले और अटॉर्नी जनरल विलियम बर ने ऐसी तैनाती के खिलाफ सिफारिश की.
इतना ही नहीं अधिकारी ने ये भी कहा कि बैठक “विवादास्पद” थी. वहीं व्हाइट हाउस ने इस मामले पर टिप्पणी करने के अनुरोध का तुरंत जवाब भी नहीं दिया.
ट्रंप तब से ही नेशनल गार्ड की तैनाती से संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं, जब से पेंटागन ने इस विकल्प को घरेलू संकटों से निपटने के लिए एक अधिक पारंपरिक उपकरण बताया था.
अधिकारी ने कहा, “उस समय शहर में सक्रिय ड्यूटी बल उपलब्ध था लेकिन वह राष्ट्रपति के लिए पर्याप्त नहीं था.”
जाहिर है ये टिप्पणियां, ट्रम्प की अमेरिकी सेना (US Army)को घरेलू मामलों में उतारने की इच्छा के विरूद्ध पेंटागन के बाहर और अंदर की गहरी बेचैनी को दर्शाती हैं.
ये विरोध प्रदर्शन तब से ही चल रहे हैं जब 25 मई को मिनियापोलिस के एक पुलिसकर्मी ने लगभग नौ मिनट तक अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन पर घुटना रखा और इससे उनकी मौत हो गई.
फ्लोयड की मृत्यु न देश में विरोध की लहर ला दी.