नई दिल्ली: रूस से तेल खरीदने के मामले में भारत पर निशाना साधने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिश नाकाम हो गई है। जुलाई 2025 में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को भारत के डीजल निर्यात से बड़ी राहत मिली है, जो मुख्य रूप से रूस से आयातित कच्चे तेल से बना है। यह डेटा ट्रंप के उस आरोप को गलत साबित करता है कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसकी “युद्ध मशीनरी” को मजबूत कर रहा है।
अमेरिका का दोहरा रवैया:ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल आयात के कारण भारत पर 50% का भारी टैक्स लगाया था, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया था। हालांकि, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा।
यूक्रेन को भारत से मदद:आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई 2025 में भारत, यूक्रेन को डीजल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारतीय रिफाइनरियां रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदकर उसे डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों में बदल रही हैं। इस परिष्कृत ईंधन को यूरोप के रास्ते यूक्रेन भेजा जा रहा है, जिससे युद्ध से प्रभावित यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है।
ट्रंप ने आरोप लगाया था कि भारत रूस को आर्थिक रूप से समर्थन दे रहा है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। रूस से खरीदा गया तेल, जब भारत में परिष्कृत होकर यूक्रेन पहुँचता है, तो वह अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को सहारा देता है। इस तरह, अमेरिका का भारत पर दबाव बनाने का प्रयास विफल रहा और इस मोर्चे पर उसकी आलोचना को एक बड़ा झटका लगा है।


